लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर प्रदेश के किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाये जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने आग्रह किया है कि राष्ट्रीय किसान आयोग के सुझावों के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव के अनुसार खरीफ, 2015 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम0एस0पी0) को संशोधित किया जाए।
इसके साथ ही, रबी, 2015-16 की फसलों के एम0एस0पी0 की घोषणा भी राज्य सरकार द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार ही किए जाने का भी अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री ने 21 अगस्त, 2015 को अपने लिखे पत्र में अनुरोध किया है कि राज्य सरकार द्वारा प्रेषित संस्तुतियों के सापेक्ष केन्द्र सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य में काफी अन्तर है, जो किसानों के हित में नहीं है। साथ ही, केन्द्र सरकार द्वारा घोषित मूल्य राष्ट्रीय किसान आयोग और लोकसभा की भावना के विपरीत है। उन्होंने कहा है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य प्राप्त न हो पाने के कारण उनके समक्ष आर्थिक संकट की स्थित उत्पन्न हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने यह भी अवगत कराया है कि राज्य सरकार के कृषि मंत्री की अध्यक्षता में मूल्य परामर्शदात्री समिति का गठन किया गया है, जिसमें खाद्य एवं रसद मंत्री, सहकारिता मंत्री, दो सांसद, कृषि उत्पादन आयुक्त, कुलपति, नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद, चन्द्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर, सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ, मा0 कांशीराम कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के साथ-साथ प्रमुख सचिव कृषि/खाद्य एवं रसद, सहकारिता निदेशक राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद, आयुक्त खाद्य एवं रसद विभाग, कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश को सदस्य तथा निदेशक कृषि सांख्यिकी एवं फसल बीमा को सदस्य सचिव नामित किया गया है। इस समिति द्वारा खरीफ की प्रमुख फसलों जैसे धान (सामान्य), धान (ग्रेड-ए), धान (बासमती), ज्वार, बाजरा, मक्का, उर्द, मूंग, अरहर, मूंगफली, सोयाबीन तथा रबी की प्रमुख फसलों जैसे गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर तथा लाही-सरसों के सहायय मूल्यों की संस्तुति कृषि लागत और मूल्य आयोग, भारत सरकार को भेजी जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि 19 अप्रैल, 2015 को सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में कृषि लागत और मूल्य आयोग, भारत सरकार को खरीफ, 2015-16 तथा रबी, 2015-16 (विपणन वर्ष 2016-17) की प्रमुख फसलों की सहायय मूल्यों की संस्तुति प्रेषित किए जाने के लिए मूल्य परामर्शदात्री परिषद की बैठक हुई थी, जिसमें परिषद द्वारा खरीफ, 2015-16 तथा रबी, 2015-16 (विपणन वर्ष 2016-17) की प्रमुख फसलों के मूल्य कृषि लागत और मूल्य आयोग, भारत सरकार को संस्तुत किए गए थे। परिषद द्वारा खरीफ, 2015-16 के लिए धान (सामान्य) 2,330 रुपये, धान (ग्रेड-ए) 2,640 रुपए, बासमती 3,770 रुपए, ज्वार 2,225 रुपए, बाजरा 2,075 रुपए, मक्का 2,020 रुपए, उर्द 5,675 रुपए, मूंग 5,910 रुपए, अरहर 5,535 रुपए, मूंगफली 5,045 रुपए, सोयाबीन 3,830 रुपए प्रति कुन्तल की संस्तुति की गयी थी। इसी प्रकार रबी, 2015-16 (विपणन वर्ष 2016-17) के लिए गेहूं का संस्तुत मूल्य 2,590 रुपए, जौ 2,215 रुपए, चना 4,340 रुपए, मटर 4,110 रुपए, मसूर 4,865 रुपए तथा लाही-सरसों 4,970 रुपए प्रति कुन्तल मूल्य की संस्तुत की गयी थी।
मुख्यमंत्री ने खरीफ, 2015-16 की फसलों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा कृषि लागत और मूल्य आयोग भारत सरकार को संस्तुत मूल्य तथा इसके सापेक्ष भारत सरकार द्वारा घोषित एम0एस0पी0 में काफी अन्तर होने की ओर भी प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा संस्तुत तथा भारत सरकार द्वारा घोषित धान (सामान्य) के एम0एस0पी0 में 920 रुपए, धान (ग्रेड-ए) में 1,190 रुपए का अन्तर है। इसी प्रकार ज्वार (हाईब्रिड) में 655 रुपए, (मलदन्दी) में 635 रुपए, बाजरा में 800 रुपए, मक्का में 695 रुपए, उर्द 1,058 रुपए, मूंग 1,060 रुपए, अरहर 910 रुपए, मूंगफली 1,015 रुपए तथा सोयाबीन में 1,230 रुपए का अन्तर है।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा एम0एस0पी0 के सम्बन्ध में की गयी संस्तुतियों का हवाला देते हुए कहा है कि फसलों के एम0एस0पी0 निर्धारित किए जाने के सम्बन्ध में कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा फरवरी, 2004 में एक राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था, जिसमें 4 अक्टूबर, 2004 को ड्राफ्ट नेशनल पाॅलिसी फार फारमर्स, भारत सरकार को प्रस्तुत की गयी थी, जिसे सितम्बर, 2007 में लोक सभा द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। उन्होंने इस पाॅलिसी के दो महत्वपूर्ण बिन्दुओं की तरफ ध्यान दिलाते हुए कहा है कि फसलों के समर्थन मूल्य निर्धारण प्रक्रिया को इस प्रकार विकसित किया जाना चाहिए कि वह कृषि में उपयोग होने वाले इनपुट के मूल्य वृद्धि के समानुपातिक हो। इसके अलावा, कृषि लागत और मूल्य आयोग, भारत सरकार जो फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों की संस्तुतियां भारत सरकार को उपलब्ध कराता है के आधार पर फसलों का एम0एस0पी0 उनके भारित औसत उत्पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने पत्र में इस बात पर विशेष बल दिया है कि राज्य सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव के अनुसार खरीफ, 2015 में न्यूनतम समर्थन मूल्यों को संशोधित करने के साथ ही, रबी, 2015-16 के मूल्यों की घोषणा भी राज्य सरकार द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार ही की जाए, ताकि प्रदेश के लाखों किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सके और खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा नीति भी प्रभावी हो सके।