देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली से अनुरोध किया है कि वर्ष 2013 की आपदा से प्रभावित जनपदों के लोगो को राहत प्रदान करते हुए सेवाकर एवं ऋण पर ब्याज माफी की जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में भी अवगत कराया गया था कि वर्ष 2013 की आपदा से लोगों के व्यवसाय, पर्यटन व्यवसाय, भवन, होटल भवन, दुकान, कृषि भूमि/फसलों की व्यापक हानि से लोगों के समाप्तप्राय हुए रोजगार साधनो की पुनःस्थापना हेतु वित्तीय सहायता की नितान्त आवश्यकता के दृष्टिगत सेवाकर एवं ऋण पर ब्याज माफी दिए जाने की आवश्यकता है।
उत्तराखण्ड में जून 2013 में आई भीषण आपदा से राज्य को हुई अपार हानि एवं आपदाग्रस्त क्षेत्रों, विशेषकर जनपद रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर एवं पिथारौगढ़ में लोगों के व्यवसाय, पर्यटन व्यवसाय, भवन, होटल भवन, दुकान, कृषि भूमि/फसलों की व्यापक हानि हुई थी। राज्य सरकार ने आपदाग्रस्त क्षेत्रों के लोगों के रोजगार सृजन हेतु अनेक उपाय किए हैं, परन्तु राज्य के वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण यह पर्याप्त नहीं हैं। भारत सरकार के सहयोग से आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पुनर्निर्माण एवं पुनर्वास के दीर्घकालीन कार्य गतिमान हैं। यहां के लोगों को रोजगार के अवसर पुनः स्थापित हो सकें। इस हेतु हम अनेक प्रयास कर रहे हैं, परन्तु भारत सरकार की सहायता के बिना यह सफल नहीं हो सकता है। उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में पर्यटन व्यवसाय का रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान है। पर्यटकों/यात्रियों में सुरक्षा का विश्वास जगाने की प्रबल आवश्यकता के दृष्टिगत इतनी विषम परिस्थितियों के बावजूद चारधाम यात्रा सफलतापूर्वक चल रही है। आशा है अगले दो वर्षों में उत्तराखण्ड अपनी पूर्ण क्षमता के अनुसार सुरक्षित यात्रा एवं पर्यटन की गति प्राप्त करने में सफल होगा। परन्तु आपदाग्रस्त लोगों के रोजगार को पुनःस्थापित करने में 3-4 वर्ष लगेंगे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने केन्दीय वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि भारत सरकार उत्तराखण्ड के आपदाग्रस्त जिलों (जनपद रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर एवं पिथारौगढ़) के लोगों के पर्यटन व्यवसाय, भवन, होटल भवन, दुकान, कृषि भूमि/फसलों की व्यापक हानि से प्रभावित व्यक्तियों को इनके बैंक ऋण पर लग रहे ब्याज की अगले 3 वित्तीय वर्षों क्रमशः 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 हेतु माफी दिए जाने की स्वीकृति प्रदान करने का कष्ट करंे, ताकि यह अपने कार्यो/व्यवसाय की पुनःस्थापना कर आपदा प्रभावित लोग मूल ऋण को लौटाने में सक्षम हो सके।