लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए 100 आकांक्षात्मक विकास खण्डों का चयन किया गया। इसके अन्तर्गत 05 क्षेत्रों और 75 इंडिकेटर्स के साथ नीति आयोग से समन्वय बनाकर कार्य प्रारंभ किया गया। सभी 100 विकास खण्डों के लिए 100 सी0एम0 फेलो की भी तैनाती की गई, जो तकनीकी का उपयोग कर रियल टाइम डाटा को अपलोड करते हैं। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश में भी ऐसे 500 विकास खण्डों का चयन किया गया है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में ‘मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम’ के अन्तर्गत 100 आकांक्षात्मक विकास खण्डों में कार्यरत शोधार्थियों से संवाद कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने आकांक्षात्मक विकास खण्डों की प्रगति पुस्तिका (वार्षिक प्रतिवेदन 2022-23) का विमोचन किया। उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले आकांक्षात्मक विकास खण्डों को प्रोत्साहन राशि का वितरण कर पुरस्कृत किया।
मुख्यमंत्री जी द्वारा ओवरऑल डेल्टा रैंकिंग में आकांक्षात्मक विकास खण्ड विष्णुपुरा (जनपद कुशीनगर) को 02 करोड़ रुपये, चिकित्सा और पोषण में आकांक्षात्मक विकास खण्ड मझगवां (जनपद बरेली), शिक्षा में आकांक्षात्मक विकास खण्ड वजीरगंज (जनपद बदायूं), कृषि और जल संसाधन में आकांक्षात्मक विकास खण्ड भीटी (जनपद अम्बेडकर नगर), वित्तीय समावेशन और कौशल विकास में आकांक्षात्मक विकास खण्ड फतेहगंज (जनपद बरेली) तथा आधारभूत अवसंरचना में आकांक्षात्मक विकास खण्ड सोहांव (जनपद बलिया) को 60-60 लाख रुपये प्रोत्साहन राशि का प्रतीकात्मक चेक प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत के विकास की धुरी गांव हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था जितनी मजबूत व आत्मनिर्भर होगी उतनी ही मजबूती के साथ हमारा समाज, प्रदेश और देश आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्राप्त करेगा। इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में नीति आयोग ने देश के 112 आकांक्षात्मक जनपदों को सामान्य जनपदों के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास प्रारम्भ किया था। उस समय नीति आयोग के सर्वे में उत्तर प्रदेश के भी 08 आकांक्षात्मक जनपद थे। इसमें से 04 जनपद नेपाल की सीमा से सटे हुए थे। इनमें सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच सम्मिलित थे। 04 अन्य जनपदों में चंदौली, सोनभद्र, चित्रकूट और फतेहपुर सम्मिलित थे।
यह 08 जनपद देश के सबसे अधिक पिछड़े जनपदों में से थे। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, जल संसाधन, रोजगार, स्किल डेवलपमेंट, फाइनेंशियल इंक्लूजन व अवसंरचना में यह जनपद पीछे चल रहे थे। प्रदेश सरकार के प्रयास व टीम वर्क से देश के आकांक्षात्मक जनपदों की टॉप 10 रैंकिंग में पांच उत्तर प्रदेश के जनपद सम्मिलित हैं। टॉप 20 में उत्तर प्रदेश के सभी 08 आकांक्षात्मक जनपद आते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज तीसरी बार आकांक्षात्मक विकास खण्डों में कार्यरत शोधार्थियों से संवाद बनाने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आज का दिन आकांक्षात्मक विकास खण्डों के लिए चयन का एक वर्ष पूरा होने का अवसर है। विगत 08-09 माह से शोधार्थी आकांक्षात्मक विकास खण्डों में जाकर 05 चयनित क्षेत्रों और 75 इंडिकेटर्स के साथ इन विकास खण्डों को सामान्य विकास खण्डों की श्रेणी में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आकांक्षात्मक विकास खण्ड के इस अभियान के तहत जिन पांच क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है, उसके लिए विभागों के पास पर्याप्त फण्ड व कर्मचारियों की व्यवस्था है। कुछ क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। प्रदेश में बेसिक शिक्षा स्कूलों में स्कूल चलो अभियान चलाया जा रहा है। सम्बन्धित विकास खण्डों में तैनात सी0एम0 फेलो की जिम्मेदारी है कि वह खण्ड विकास अधिकारी व खण्ड शिक्षा अधिकारी से सम्पर्क कर विकास खण्ड के सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यांे के साथ बैठक कर यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित न रहने पाए। ऐसे ही शिक्षकों और अभिभावकों की भी बैठक कराई जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि घर-घर जाकर यह पता करें कि बच्चा स्कूल आ रहा है अथवा नहीं। किसी भी बच्चे की पढ़ाई बीच में नहीं छूटनी चाहिए। बच्चों में अभी से शिक्षा के प्रति रुचि जागृत करनी पड़ेगी। बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना लागू की है, जिसमें बेटी के जन्म लेने से लेकर स्कूल-कॉलेज जाने तथा इसके पश्चात आगे कोई भी आई0टी0आई0 या सर्टिफिकेट कोर्स प्रदान करने के लिए समुचित व्यवस्था दी गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने निःशुल्क शिक्षा, यूनिफॉर्म, बैग, किताबें, जूता-मोजा, स्वेटर आदि की व्यवस्था की है। मिड-डे मील की भी व्यवस्था सुचारु रूप से चल रही है। प्रदेश के स्कूलों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ऑपरेशन कायाकल्प चलाया जा रहा है। सी0एम0 फेलो फर्श, फर्नीचर, टॉयलेट जैसी अन्य बुनियादी सुविधाओं को स्कूल में उपलब्ध कराने के लिए ग्राम पंचायत को प्रेरित करें। प्रदेश में यह अभियान पहले से ही चलाया जा रहा है। अब केवल इसकी मॉनिटरिंग करनी है। सी0एम0 फेलो को आंगनवाड़ी की सक्रियता और उपयोगिता पर भी निगाह रखनी चाहिए।
प्रदेश में संचारी रोग उन्मूलन के लिए वर्ष में तीन बार कार्यक्रम चलाए जाते हैं। स्वच्छता संचारी रोग उन्मूलन का पहला सूत्र है। गांव में स्वच्छता की व्यवस्था के लिए ग्राम प्रधान, सफाई कर्मचारियों व लोगों को प्रेरित करना भी सी0एम0 फेलो की जिम्मेदारी है। इसे गांव में जन आन्दोलन का रूप देना चाहिए। विवाह समारोह में प्लास्टिक और थर्माकोल के बर्तनों का प्रयोग न कर परम्परागत बर्तनों आदि का उपयोग करना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में टी0बी0 नियंत्रण का एक वृहद कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2025 तक देश को टी0बी0 से मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके अन्तर्गत मरीजों के निःशुल्क उपचार व आहार के लिए निश्चित धनराशि की व्यवस्था की गई है। सी0एम0 फेलो लोगों को टी0बी0 की जांच और उपचार के लिए प्रेरित करें। प्रदेश सरकार के प्रयासों से इंसेफलाइटिस पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। कृषि विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर किसानों के हितों के लिए भी कार्य करें। पी0एम0 किसान सम्मान निधि में प्रत्येक चैथे महीने किसानों के खाते में 2,000 रुपये उपलब्ध कराए जाते हैं। किसानों को इस निधि की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में भी प्रयास करें। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मंे कितने किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है और इसकी वर्तमान स्थिति क्या है इस बारे में भी पता करें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आकांक्षात्मक विकास खण्ड में स्थित इण्टर कॉलेज या डिग्री कॉलेज की लैब को स्वाॅएल हेल्थ का पता लगाने के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है। इसके लिए सी0एम0 फेलो कॉलेज प्रबन्धन, कृषि विभाग व छात्रों से सम्पर्क करें। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी। प्रत्येक विकास खण्ड के वित्तीय समावेशन पर भी ध्यान केंद्रित करें। बैंकर्स के साथ बैठक कर यह सुनिश्चित कराएं कि प्रत्येक तीसरे महीने कोई न कोई बैंक एक रोजगार मेला लगाए, ताकि युवाओं, महिलाओं और व्यापारियों को ऋण प्राप्त करने का अवसर मिल सके। ऋण प्राप्त करने का उद्देश्य भी चिन्हित किया जाना चाहिए। लाभार्थियों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाए।
शोधार्थी विकास खण्डों की कनेक्टिविटी पर भी ध्यान देते हुए इस सम्बन्ध में जिम्मेदार अधिकारियों से वार्ता करें। सी0एम0 फेलो को महीने के 30 दिनों में कम से कम 30 ग्राम पंचायतों का भ्रमण करना चाहिए। गांव की सामाजिक, आर्थिक स्थिति का अध्ययन करें। पर्यटन विकास की सम्भावनाओं को भी तलाशने का प्रयास करें। यदि कोई मंदिर या देवस्थान स्थित है तो स्थानीय लोगों से सम्पर्क कर साफ-सफाई व पार्किंग, सुरक्षा आदि की भी समुचित व्यवस्था कराएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शोधार्थी सम्बन्धित विकास खण्ड की आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक स्थिति के बारे में एक शोध प्रबन्ध तैयार करें, जिसमें वहां की चुनौतियों और उपाय की भी आंकड़ों के साथ चर्चा करें। यह शोध प्रबन्ध भविष्य की नीतियों के निर्धारण में सहायक साबित होंगे। दो-तीन वर्ष बाद जब आपका मूल्यांकन होगा तो आपके पास स्वयं की समृद्ध लाइब्रेरी होगी। जो सी0एम0 फेलो सफलतापूर्वक अपनी कार्य अवधि को पूरा करेगा और शोध प्रबन्ध प्रस्तुत करेगा प्रदेश सरकार उसको आयु सीमा में छूट के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में भी वेटेज प्रदान करेगी। सी0एम फेलो को एक योजक के रूप में कार्य करना चाहिए। यदि योजक के रूप में कार्य करेंगे तो मात्र 02 वर्ष में इन आकांक्षात्मक विकास खण्डों में विकास प्रक्रिया को राज्य स्तर से ऊपर पहुंचाने में सफलता प्राप्त करेंगे। यदि आप ऐसा करेंगे तो लोग आपको एक सुधारक के रूप में देखेंगे और नौकरी की कोई कमी नहीं रहेगी।
कार्यक्रम को वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर सी0एम0 फेलो ने विकास खण्डों में किये जा रहे अपने प्रयासों और अनुभवों से मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त तथा कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव नियोजन श्री आलोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।