14.5 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

‘‘मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तीकरण योजना’’ शुरूआत करते हुएः मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश पर राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में गठित किये जा रहे महिला स्वयं सहायता समूहों के आजीविका में सुधार, ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने, पलायन में रोक, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने तथा उन्हें स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुये “मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तीकरण योजना” प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया है। इस योजना का संचालन ग्राम्य विकास विभाग द्वारा किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा निर्देश दिये गये थे कि महिला स्वयं सहायता समूहों और महिला मंगल दलो की विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाय। इसी क्रम में “मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तीकरण योजना” २ारू की गई है। योजना को विभिन्न स्तरों पर लागू किया जायेगा। इसके लिए ग्राम्य विकास विभाग द्वारा स्पष्ट रूपरेखा तैयार कर ली गई है। साथ ही योजना को सफल बनाने के लिए लक्ष्य भी निर्धारित कर लिये गये है।
(क) महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत स्वयं सहायता समूह का आजीविका संवर्द्धन :-
ऽ महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत निर्मित कार्ययोजनाओं में एन0आर0एल0एम0 कम्प्लाइंट स्वयं सहायता समूह हेतु उद्यान, रेशम, कृषि, वृक्षारोपण, वनीकरण सम्बन्धी कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर करवाते हुए अधिकाधिक परिसम्पत्तियों का सृजन किया जायेगा ताकि उनकी आजीविका में सुधार हो सके।
ऽ महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत अनुमन्य कार्यों यथा नर्सरी, तालाब, बागान, चारा विकास, जैव उर्वरक, मत्स्य पालन, पशुओं हेतु बाड़ा आदि को आजीविका संवर्द्धन हेतु स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से व्यक्तिगत/सामुदायिक भूमि पर किया जायेगा।
ऽ महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा किये जाने वाले विभिन्न क्रियाकलापों हेतु वर्क शेड तथा कृषि उत्पादों एवं पोस्ट हार्वेस्ट सुविधाओं हेतु भण्डार गृह का निर्माण किया जायेगा। इस हेतु कृषि सम्बन्धी उपकरण कृषि विभाग द्वारा केन्द्राभिसरण के माध्यम से उपलब्ध कराये जाएंगे।
ऽ परिसम्पत्तियों के सृजन हेतु जनपदवार लक्ष्य निर्धारित किया जायेगा।
ऽ समस्त प्रक्रियाएं महात्मा गांधी नरेगा दिशा-निर्देशों के आधार पर क्रियान्वित की जाएंगी।
इस हेतु वित्तीय वर्ष 2016-17 में लगभग 3000 महिला स्वयं सहायता समूहों को लाभान्वित किया जायेगा।
(ख) सामुदायिक निवेश निधि :-
एन0आर0एल0एम0 कम्प्लांइट स्वयं सहायता समूह जिनकी सूक्ष्म ऋण योजना (माईक्रो क्रेडिट प्लान) स्वीकृत हो चुकी हो, उन्हें रु0 20,000/- प्रति स्वयं सहायता समूह की दर से क्रियाकलाप प्रारम्भ करने हेतु सामुदायिक निवेश निधि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी। यह धनराशि समूह के माइक्रो क्रेडिट प्लान की बैंक द्वारा कुल स्वीकृत धनराशि का भाग होगा। स्वयं सहायता समूह का ग्राम स्तर पर ग्राम स्तरीय परिसंघ गठित किया जाता है तथा लगभग 10-15 ग्राम स्तरीय परिसंघों से एक क्लस्टर स्तरीय परिसंघ गठित किया जाता है। समस्त प्रकार की निधियां, जो कि स्वयं सहायता समूह को प्रदान की जाती है, वे समस्त निधियां क्लस्टर स्तरीय परिसंघ के माध्यम से ग्राम संघटनों के माध्यम से ग्राम संघटनों द्वारा स्वयं सहायता समूहों को उपलब्ध कराई जाती है ताकि निधियों का पूर्णतः सदुपयोग हो। इस हेतु एन0आर0एल0एम0 के अन्तर्गत सामुदायिक निवेश निधि के प्राविधान इस निधि के उपयोग किए जाने पर लागू होंगे।
सामुदायिक निवेक्लस्टर फेडरेशन सामुदायिक निवेश निधि के नियमन हेतु उत्तरदायी होंगे। इस हेतु एन0आर0एल0एम0 के अन्तर्गत सामुदायिक निवेश निधि के प्राविधान ही इस निधि के उपयोग किये जाने पर लागू होंगे।
इस हेतु वित्तीय वर्ष 2016-17 में लगभग 2500 महिला स्वयं सहायता समूहों को लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
(ग) इन्दिरा अम्मा कैन्टीन :-
ग्राम्य विकास विभाग के अन्तर्गत वर्तमान में संचालित ‘इन्दिरा अम्मा कैंटीन’’ योजना के विस्तार हेतु नगर निगम/नगर पालिका आदि निकायों द्वारा स्थान/फर्नीचर इत्यादि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने पर एन0आर0एल0एम0 कम्प्लाइंट स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सब्सिडी युक्त ‘इन्दिरा अम्मा कैन्टीन’ की स्थापना की जाएगी, जिसमें स्वयं सहायता समूह का चयन जिलाधिकारी के माध्यम से किया जाएगा। सब्सिडी की धनराशि ग्राम्य विकास विभाग के अन्तर्गत इन्दिरा अम्मा भोजनालय के बजट से वहन की जाएगी।
इस हेतु वित्तीय वर्ष 2016-17 में लगभग 100 महिला स्वयं सहायता समूहों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।
(घ) महिला स्वयं सहायता समूहों को सीड कैपिटल की उपलब्धता :-
एन0आर0एल0एम0 कम्प्लांइंट महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन होने के उपरांत बैंक खाता खुलने पर प्रत्येक ऐसे स्वयं सहायता समूह को रू0 5000/- प्रति स्वयं सहायता समूह की दर से राज्य सरकार द्वारा सीड कैपिटल के रूप में समूह को उपलब्ध करायी जायेगी। जिसका उपयोग समूह द्वारा आपसी लेन-देन में किया जायेगा।
इस हेतु वित्तीय वर्ष 2016-17 में लगभग 6500 महिला स्वयं सहायता समूहों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।
(च) परम्परागत फसलों तथा हस्तशिल्प में कार्यरत महिला स्वयं सहायता समूहों को वार्षिक टर्न ओवर पर 5 प्रतिशत का बोनस
परम्परागत फसलों तथा परम्परागत हस्तशिल्प क्षेत्र में कार्यरत ऐसे महिला स्वयं सहायता समूह को परम्परागत फसलों एवं हस्तशिल्प कार्यों से अपनी आजीविका सृजन कर रहे हों, उनके वार्षिक टर्न ओवर पर 5 प्रतिशत का बोनस राज्य सरकार द्वारा देय होगा।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर ग्राम्य विकास विभाग के अतिरिक्त युवा कल्याण विभाग द्वारा भी महिलाओं के कल्याण एवं सशक्तीकरण हेतु योजना तैयार की गयी है :-
(छ) महिला मंगलदलों का सशक्तिकरण :-
ग्राम पंचायत स्तर पर महिला मंगल दलों का गठन किया गया हैं। इन दलों के गठन का उददेश्य महिलाओं की रचनात्मक शक्ति को जागृत करने हुए उन्हें आत्म सहायता में सक्षम एवं आत्मनिर्भर बनाकर स्थानीय सामाजिक-आर्थिक सरोकार की पूर्ति करना है। इस दृष्टि से महिला मंगल दलो की भूमिका को प्रभावी एवं विविधीकृत बनाये जाने हेतु निम्नवत् कार्य किया जायेगा-
(1) राज्य के प्रत्येक महिला मंगल दल का रू 5000 एकमुश्त धनराशि को बैक खाता खोला जायेगा। महिला मंगल दल सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिये उक्त धनराशि से विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करेंगें।
(2) राज्य के प्रत्येक महिला मंगल दल के सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिये इन दलो को युवा कल्याण विभाग द्वारा संचालित युवाओं को आर्थिक सहायता योजना के माघ्यम से लाभान्वित किया जायेगा।
(3) ग्राम पंचाय न्याय पंचायत एव विकासखण्ड स्तर पर विभिन्न विभागो द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्य एवं अन्य कार्य जिनकी सीमा अधिकतम रू0 3.00 लाख हो ऐसे कार्य महिला मंगल दलों के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर कराये जायेगे । इस सम्बन्ध में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा निर्गत शासनादेश के अनुरूप विधायक निधि एवं सांसद निधि के माध्यम से होने वाले कार्य यथावत रहेंगे।
(4) महिला मंगल दल के सदस्यों को रोजगारपरक प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें बागवानी, वानिकी, मौसमी एवं व्यावसायिक कृर्षि, सब्जी एवं मशरूम उत्पादन, मत्स्य पालन, मौन पालन, पशुपालन, भेड बकरी पालन, मोबाईल फोन रिपेंयरिग ब्यूटीशियन डेयरी सम्बन्धी उत्पादन कार्य स्थानीय कुटीर उद्योग फल स्ांरक्षण इत्यादि सम्मिलित हों।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More