नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी में मुलायम और अखिलेश के बीच जारी जंग में चुनाव आयोग से मुलायम गुट को करारा झटका लगा है. आयोग ने सोमवार को पार्टी के चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी को देने का फैसला सुनाया.
चुनाव आयोग द्वारा जारी आदेश पर मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के अलावा दो अन्य चुनाव आयुक्तों के भी हस्ताक्षर हैं. आयोग ने अपने आदेश में कहा, ‘आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार के बाद यह पाया कि अखिलेश खेमा ही असली समाजवादी पार्टी है और वह ही पार्टी के नाम तथा चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश 1968 के मुताबिक साइकिल चुनाव चिह्न के इस्तेमाल के हकदार हैं.’
आयोग के फैसले से बेहद खुश अखिलेश के करीबी और उनके चाचा रामगोपाल यादव ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने सही निर्णय लिया इसलिए कि दूसरे खेमे के पास चुनाव चिह्न पाने के लिए जरूरी दस्तावेजी ताकत नहीं थी.
चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद अखिलेश की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई, लेकिन उन्होंने पिता मुलायम सिंह यादव के साथ अपनी तस्वीर पोस्ट कर एक ट्वीट के जरिए अपना संदेश जाहिर कर दिया, जिसमें उन्होंने लिखा कि साइकिल चलती जाएग.. आगे बढ़ती जाएगी.
साइकिल चलती जायेगी…आगे बढ़ती जायेगी… pic.twitter.com/DjFzr2DtrK
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 16, 2017
इस फैसले के बाद अखिलेश समर्थकों में भारी उत्साह देखा गया और लोगों ने पार्टी दफ्तर के बाहर जश्न मनाना शुरू कर दिया. अब यह संभावना जताई जा रही है कि शीघ्र ही कांग्रेस के साथ अखिलेश चुनावी गठबंधन की घोषणा कर सकते हैं.
अटकलें हैं कि अखिलेश की पत्नी और सपा सांसद डिंपल यादव तथा कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा साथ मिलकर चुनाव प्रचार कर सकती हैं. चुनाव आयोग के फैसले के बाद अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव ने भी इस बात के संकेत दिए.
शुक्रवार को अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने चुनाव आयोग में अपना अपना पक्ष रखा था. अखिलेश यादव के वकील कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के आगे दलील दी थी कि पार्टी के संगठन के साथ सांसद, विधायक और एमएलसी अखिलेश के साथ हैं, इसलिए नियमों के अनुसार असली समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही कही जाएगी.
उधर, मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने अखिलेश यादव की ओर से पेश किए गए सांसदों और विधायकों के समर्थन के दस्तावेजों पर ही सवाल उठाए थे. साथ ही रामगोपाल यादव की ओर से बुलाए गए उस सम्मलेन पर भी सवालिया निशान उठाया गया था, जिसमें अखिलेश को पार्टी सुप्रीमो चुना गया.
साभार एनडीटीवी इंडिया