लखनऊ: उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने ‘‘चन्द रूपयों खातिर नहीं कराया प्रसव-बच्चे की मौत’’ की खबर को स्वप्रेरणा से संज्ञान में लेते हुए प्रकरण की जांच के आदेश प्रमुख सचिव चिकित्सा-स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उ0प्र0 शासन तथा जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी बाराबंकी को दिए है।
यह निर्देश आयोग की सदस्य सुश्री आशा तिवारी ने दिए है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार जनपद बाराबंकी में, जैदपुर थाना क्षेत्र के खुशहालपुरवा निवासी पवन कुमार की 27 वर्षीय पत्नी शशी देवी अपने मायके फतेहपुर कोतवाली के ग्राम देवकलिया आई थी। गत् शुक्रवार की रात तेज प्रसव पीड़ा होने पर शशी देवी के भाई व अन्य परिवारीजन उसे सीएचसी फतेहपुर ले गये। जहाँ से उसे जिला महिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। जिला महिला चिकित्सालय पहुंचने पर परिवारीजन से प्रसव कराने के लिए ढ़ाई हजार रुपये की मांग की गयी। परिवारीजन प्रसव कराने की मिन्नते करते रहें, पर वहां मौजूद डाक्टरों का दिल नहीं पसीजा। पीड़िता के भाई मनोज द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिला अधिकारी को फोन पर सूचना दी गयी, तब जाकर ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर रेनू पन्त ने आकर कहा, कि बच्चा पेट में ही मर गया है। खुद डाक्टर ने भी बच्चे को बाहर निकालने की कोशिश तक नहीं की, पीड़िता शशी की तबियत अधिक बिगड़ती देख घर की महिलाओं ने ही पेट से मृतक नवजात को निकाला।
आयोग ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी बाराबंकी को 15 दिन में जाँच आख्या आयोग को भेजने के आदेश दिए है।
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