नई दिल्ली: केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डीओएनईआर), राज्यमंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, आणविक ऊर्जा एवं अंतरिक्ष, डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सामाजिक मीडिया का अभ्युद्य वैश्विक घटनाओं का एक भाग है और यह अन्य सभी कारकों के सिवाय भी बना रहेगा। “सुशासन के लिए सामाजिक मीडिया” पर दो दिन की राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के तौर पर उद्धाटन भाषण के दौरान उन्होंने उक्त बात कही।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह भी कहा कि प्रश्न यह नहीं है कि सामाजिक मीडिया तथा सुशासन किस प्रकार से एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं क्योंकि ये दोनों बिना एक दूसरे पर निर्भर रहे स्वतंत्र तौर पर भी अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता रखते हैं। वास्तिवक मुद्दा यह है कि सामाजिक मीडिया का किस तरह से उत्तम तथा अधिकतम उपयोग किया जाए जिससे की नागरिक केंद्रित सुशासन में यह अपना योगदान दे सकें।
डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने ई-सुशासन की प्रक्रिया की ओर ध्यान आकर्षित करने का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को देते हुए सुशासन और सामाजिक मीडिया के बीच के संबंध को उजागर किया। उन्होंने कहा कि सुशासन और सामाजिक मीडिया पहले से ही अस्तित्व में थे। पिछले 15 माह के दौरान सामाजिक मीडिया के माध्यम से जनसाधारण की सहभागिता बढ़ी और मोदी सरकार के तहत जनसाधारण का आत्मविश्वास सुशासन में महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में पनपा। इस संदर्भ में उन्होंने “स्वच्छ भारत अभियान” का उदाहरण दिया जहां कि प्रधानमंत्री मोदी की सलाह पर सरकार ने इस अभियान के लिए उपयुक्त प्रतीक चिन्ह के लिए सुझाव मांगे। इसके परिणाम स्वरूप एक युवा लड़के ने इससे प्रेरित होकर प्रतीक चिन्ह का सुझाव दिया, जो अब प्रसिद्ध हो चुका है। इसमें महात्मा गांधी के चश्मे के दोनों ग्लासों में “ स्वच्छ ” और “ भारत ” शब्द लिखे गए हैं।
डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने कहा कि वे ऐसा महसूस करते हैं कि पहले समय में मीडिया भले ही कुछ प्रिंट अखबारों तक सीमित रहे हों, वे सामाजिक तौर पर प्रासांगिक बने रहे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ट्वीटर और फेसबुक ने न केवल सामाजिक बातचीत को बढ़ाया है बल्कि सामाजिकता को और बढ़ावा दिया है। इन विकल्पों से इसके परिणाम स्वरूप एक दूरदराज गांव में रहने वाला साधारण आदमी भी साधिकार अपनी राय व्यक्त करता है जो आज के सामाजिक मीडिया की शक्ति को दर्शाता है।
उद्घाटन सत्र के दौरान नेसकॉम के प्रेसीडेंट एवं पूर्व अध्यक्ष टेलकॉम कमीशन श्री आर. चन्द्रशेखर और संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती अरूणा सुन्दरराजन ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।