देहरादून: प्रदेश में आईफैड, जायका, विश्व बैंक सहायतित योजनाओं का आपसी समन्वय करते हुए कृषि, बागवानी व ग्रामीण विकास में इस प्रकार से कार्य किया जाय, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति बढ़ायी जा सके। राज्य सरकार द्वारा गांव के समग्र विकास के उद्देश्य से मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना शुरू की जायेगी। योजना के तहत प्रत्येक जनपद के प्रत्येक विकासखण्ड से 2-2 सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों के गांव को चिन्हित किया जायेगा।
मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा सोमवार को बीजापुर अतिथि गृह में आईफैड, जायका, विश्व बैंक, वन विभाग, उद्यान विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कर ग्रामीण क्षेत्रों की आय में वृद्धि करने के संबंध में चर्चा की गई। मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी योजनाओं का आपस में बेहतर ताल-मेल हो। योजनाओं का लाभ ग्रामीण स्तर तक पहुंचे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों का समग्र विकास हो, इसके लिए मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना शुरू की जा रही है। जिसका उद्देश्य गांवों का समग्र विकास करना है। योजना के तहत चार छोटे जनपदो में प्रत्येक विकासखण्ड से 4-4 गांव तथा अन्य जनपदों के प्रत्येक विकासखण्ड से 2-2 गांव चिहिन्त किये जायेंगे। इन गांवों को आजीविका वाले गांव के रूप में विकसित किया जायेगा। साथ ही इन गांवों में अवस्थापना सहित अन्य सभी योजनाओं से जोड़ा जायेगा। योजना को सफल बनाने के लिए जनपद के मुख्य विकास अधिकारी को जिम्मेदार बनाया जायेगा, जबकि शासन स्तर पर सचिव स्तर के अधिकारी को नामित किया जायेगा।
जलागम योजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जलागम द्वारा संचालित योजनाओं को सफल बनाने में ग्राम पंचायतों का अहम योगदान है। इसके लिए ग्राम प्रधानों को योजनाओं के प्रति और जागरूक बनाया जाय। उन्होंने कहा कि आम आदमी से जुड़ी योजनाओं का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाय। आईफैड योजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में भेड़ व बकरी पालन करने वाले लोगो को और अधिक सहायता दी जाय। ऐसे क्षेत्र जहां पर ऊन उत्पादन अच्छी मात्रा में होता है, वहां पर काॅमन फैसिलिटी सेंटर बनाये जाय। साथ ही स्वयं सहायता समूह भी बनाये जाय। इन समूहों को सहकारिता व एम.एस.एम.ई. सेक्टर से जोड़ा जाय। साथ ही नई तकनीक की भी जानकारी दी जाय, ताकि नई डिजाइन के उत्पाद तैयार किये जा सके। भेड़ व बकरी पालन करने वाले पशुपालकों को शेड बनाने के लिए भी सहायता दी जाय। प्रदेश में शीप फार्म विकसित किये जाय। प्रदेश में बनाये गये बैम्बो व फाइबर बोर्ड और अधिक विकसित किया जाय। फाइबर आधारित उत्पादों का चिन्हांकन किया जाय। प्रदेश में भीमल व बिच्छू घास के साथ ही अन्य फाइबर वाले उत्पाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इनसे बनने वाले उत्पादों की राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग है। यदि इन्हें ग्रामीण क्षेत्र की आर्थिकी से जोड़ा जाय, तो लोगो को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए मास्टर क्राफ्टमैन व वूमैन प्रशिक्षक तैयार किये जाय, जो अन्य को भी प्रशिक्षण देने का काम करें। जायका प्रोजैक्ट के माध्यम से वन पंचायतों को मजबूती प्रदान की जाय। इस परियोजना में चारा प्रजाति के वृक्ष रोपण, जल संरक्षण आदि कार्यों को प्राथमिकता दी जाय।
बागवानी विभाग द्वारा प्रदेश में मौन पालन को प्रोत्साहित किया जाय। इसके लिए जनपद स्तर पर मौन पालकों का पंजीकरण कर उनकी सोसायटी बनायी जाय। इस क्षेत्र में मास्टर ट्रेनर भी तैयार किये जाय। आईफैड प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने में सहयोग करें। इसके लिए आंचल व दुग्ध संघों के साथ समन्वय कर उन्हें तकनीक सहित अन्य सहयोग प्रदान करे। जिन क्षेत्रों में आंचल या दुग्ध संघ कार्य नही कर रहे है, वहां पर आईफैड कार्य करने के लिए योजना तैयार करे। प्रदेश के आलू उत्पादक क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया जाय। सेराघाट, मदकोट व जोशीमठ में आईफैड द्वारा कलैक्शन सेंटर बनाये जाय। साथ ही यहां पर कोल्ड स्टोरेज भी बनाय जाय, ताकि आलू खराब न हो। मुख्यमंत्री श्री रावत ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए बनायी गई कार्ययोजना पर प्राथमिकता से कार्य किया जाय। इसके लिए आर.के.वाई, आईफैड, जायका, कैम्पा व राज्य सरकार द्वारा धनराशि दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा पेड़ मेरा धन योजना व जल संरक्षण योजना के लिए 10-10 करोड़ रुपये की धनराशि और दी जायेगी।
बैठक में मुख्य सचिव एन. रवि शंकर, प्रमुख सचिव वन रणबीर सिंह, सचिव वित्त अमित सिंह नेगी, सचिव बागवानी डाॅ. निधि पाण्डे सहित आईफैड, जायका, विश्व बैंक, वन विभाग, उद्यान विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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