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स्‍वच्‍छ गंगा मिशन, गंगा नदी के किनारे स्थित प्रदूषक उद्योगों के लिए समय सीमा को 30 जून, 2015 तक बढ़ाया गया

देश-विदेश

नई दिल्ली: एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन-‘नमामि गंगे’ की शुरूआत जून, 2014 से की गई है। इसमें प्राप्‍त अनुभवों और मौजूदा प्रयासों में समन्‍वय द्वारा तथा ‘अल्‍पावधि’ (3 वर्ष), ‘मध्‍यम अवधि’ (5 वर्ष) और ‘दीर्घ अवधि’ (10 वर्ष और इससे अधिक) की एकीकृत एवं व्‍यापक कार्य योजना के जरिये गंगा संरक्षण पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है।

इस योजना के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं और गतिविधियों में प्रदूषण के विभिन्‍न स्रोतों का प्रदूषण कम करने के उपाय और अन्‍य नीतिगत पहल शामिल हैं। सात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थानों (आईआईटी) के समूह ने ”गंगा नदी बेसिन प्रबन्‍धन योजना-2015” पर एक रिपोर्ट पेश की है। इसमें गंगा और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण हेतु विशेष ध्‍यान वाले सात क्षेत्रों और 21 कार्रवाई बिन्‍दुओं की पहचान की गई है।

गंगा नदी की मुख्‍य धारा के किनारे स्थित पहचाने गए नगरों में पहले ही कार्य शुरू कर दिए गए हैं और संबंधित राज्‍यों के राज्‍य परियोजना प्रबंधन समूहों (एसपीएमजी) से प्राथमिकता के आधार पर सीवेज प्रशोधन संयंत्रों को शुरू किए जाने का अनुरोध किया गया है, ताकि इन नगरों से सीवेज गंगा नदी में न गिरे।

गंगा नदी के किनारे स्थित प्रदूषक उद्योगों के लिए वास्‍तविक समय दर्शाने वाले उत्‍सर्जन निकासी मीटर लगाने हेतु कठोर शर्तों सहित अंतिम समय सीमा को 30 जून, 2015 तक बढ़ाया गया है, क्‍योंकि अनेक उद्योगों ने पहले तय की गई 31 मार्च, 2015 तक की अंतिम समय सीमा तक कार्य को पूरा नहीं किया था।

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