लखनऊ: आज योजना भवन के एन0आई0सी0 सेन्टर से प्रयागराज, वाराणसी एवं विंध्यांचल मण्डल की मण्डलीय खरीफ गोष्ठी प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में आन लाइन आयोजित की गयी। तीनों मण्डलीय आयुक्तों एवं जिलाधिकारियों तथा किसानों को सम्बोधित करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि प्रदेश में इस समय किसी भी कृषि निवेश की कमी नही है, किसानों की आय बढ़ाने की दृष्टि से आवश्यकता इस बात की है कि उन फसलों का उत्पादन किया जाए जिनकी बाजार में माॅग हो तथा उनका प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग की व्यवस्था कराकर बाजार के मानकों के अनुरूप उपलब्ध कराया जाए जिससे किसानों को उनकी उत्पादों की अच्छी की कीमत मिल सकें। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रत्येक जिले में ओ0डी0ओ0पी0 की अवधारणा के आधार पर कृषकों की प्रमुख फसलों के उत्पादों के आधार पर प्रत्येक जिलें में प्रोजेक्ट बनाई जाए तथा समन्वित दृष्टिकोण अपनाया जाए।
इससे पूर्व प्रयागराज, वाराणसी तथा विंध्यांचल मण्डलों के मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी तथा किसानों द्वारा अपने मण्डल की समस्याओं एवं आवश्यकताओं के बारे में बताया गया। मण्डलायुक्त, प्रयागराज ने कौशाम्बी में रैक प्वाइन्ट न होने तथा किसानों द्वारा फतेहपुर जिले में बुन्देलखण्ड जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने, अरहर के विक्रय की व्यवस्था कराने की माॅग की गयी। मिर्जापुर के आयुक्त ने भदोही एवं सोनभद्र में भी रैक प्वाइन्ट न होने की बात की। वाराणसी के आयुक्त ने मण्डल सें विदेशों में आपूर्ति की गयी सब्जियों एवं आम के निर्यात से अवगत कराते हुए वाराणसी में पैक हाउस तथा कोल्ड स्टोर के स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया। गोष्ठी में अधिकारियों के अतिरिक्त किसानों ने भी अपनी समस्याओं से अवगत कराया। किसानों द्वारा नहर तथा ट्यूबवेलों के द्वारा सिंचाई के लिए मुफ्त सिंचाई का हवाला देते हुए निजी नलकूपों वाले किसानों को भी बिजली के अनुदान की व्यवस्था कराने की माॅग की।
गोष्ठी में अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा0 देवेश चतुर्वेदी ने किसानों को टिड्डी दल के नियन्त्रण की अति त्वरित कार्यवाही करने तथा कृषि उत्पादन संगठनों के गठन कराने पर बल दिया गया उन्होने मनरेगा योजनान्तर्गत भूमि एवं जल संरक्षण हेतु बंडिंग, वाटर हार्वेस्टिंग, स्ट्रक्चर आदि का निर्माण कराकर प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। प्रमुख सचिव (उद्यान) ने वाराणसी मण्डल के जनपदों में शहद उत्पादन हेतु योजना का उल्लेख करते हुए इसे लाभान्वित करने का अनुरोध किया। प्रमुख सचिव (पशुपालन) ने गलाघोटू खुरपका तथा मुहॅपका टीकाकरण को समयबद्व तरीके़ से कराने, चारा उत्पादन करने पशुपालकों को किसान के्रडिट कार्ड की सुविधा का लाभ प्राप्त कराने, मनरेगा द्वारा तालाब खुदाई, घास रोपण, वृक्षारोपण कराने तथा गौ-आश्रय स्थलों के मृत्य होने वाले शवों के निस्तारण हेतु जिला पंचायतों से ठेके की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया। उन्होने मनरेगा योजना से प्रत्येक ग्राम सभा में पाॅच पशु शेड प्राविधान के अनुरूप निर्माण कराने तथा इस योजना के अन्तर्गत तालाब तैयार कर मत्स्य उत्पादन हेतु तालाब पट्टे कराने का अनुरोध किया।
कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश ने प्रदेश में कृषि निवेश की उपलब्धता की व्यवस्था कराने के साथ ही खरीफ के दलहन एवं तिलहन उत्पादन के लिए वेदिका प्रणाली अपनाकर बुवाई करने का अनुरोध किया, जिससे खरीफ में अधिक वर्षा से खेतों में पानी के जलभराव होने से फसलों को क्षति से बचाया जा सकें। वेदिका निर्माण कर दलहन एवं तिलहन बुवाई के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर रू0 1000.00 की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। गोष्ठी में सम्बन्धित विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव के अतिरिक्त प्रबन्ध निदेशक, बीज विकास निगम डा0 राम शब्द जैसवारा, निदेशक, राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान, रहमानखेडा डा0 बी0पी0 सिंह, निदेशक, पशुपालन डा0 ए0के0 श्रीवास्तव, निदेशक, मत्स्य डा0 एस0के0 सिंह एवं अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी माजूद रहें।