नई दिल्ली: भारत के 47वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में ‘ मीट विद डायरेक्टर्स ऑफ इंडियन पैनोरमा’ सीरिज में निदेशकों ने उस मंच के लिए संतोष जताया जो आईएफएफआई 2016 ने युवा फिल्मकारों को प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने अपनी फिल्मों के निर्माण के दौरान हुए अनुभवों को भी साझा किया।
‘सेसिलिया (Cecilia)’ फिल्म के निदेशक श्री पंकज जौहर ने कहा कि उनकी फिल्म सेसिलिया के बारे में है कि किस प्रकार अपनी बेटी के मानव तस्करों के चंगुल में फंस जाने तथा उसके मृत पाए जाने के बाद उसने सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने आगे बताया कि वह दुनिया को उसकी कहानी बताने के लिए इस फिल्म के माध्यम से अपने घर की देखभाल करने वाले की सहायता कर रहे थे।
‘पेवात (Paywat)’ फिल्म के निदेशक श्री मिथुन चंद्र चौधरी ने कहा कि उनकी फिल्म एक मजदूर की बेटी मेयदी के जीवन के एक दिन का चित्रण करती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस फिल्म के माध्यम से उन्होंने बहन के जीवन को प्रदर्शित करने का प्रयास किया।
‘अल्लामा (Allama)’ फिल्म के निदेशक श्री टी एस नागभरन ने कहा कि उनकी फिल्म 12वीं सदी के सूफी संत ‘अल्लामा प्रभु ’ का एक बायोपिक है। निदेशक के अनुसार, कई लोग अल्लामा के शिष्य बासव के बारे में जानते थे लेकिन खुद अल्लामा के बारे में नहीं जानते थे। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त, उनकी फिल्म के माध्यम से लोग संत अल्लामा एवं उनके दर्शन के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
‘एक अलबेला (Ekk Albela)’ फिल्म के निदेशक श्री शेखर सर्तान्डेल ने कहा कि उनकी फिल्म महान अभिनेता भगवान दादा के जीवन पर एक बायोपिक है। उन्होंने यह भी बताया कि भगवान दादा के चेहरे से मिलते जुलते अभिनेताओं की खोज करना बेहद मुश्किल था लेकिन अंत में अभिनेता मंगेश देसाई ने इस भूमिका को विश्वासोत्पादक ढंग से निभाया।