नई दिल्ली: पूर्वोत्तर अध्ययन पर पहला पाठ्यक्रम अगले वर्ष से शुरू किया जाएगा। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) को शेष भारत के और करीब लाने के लिए नई पहल है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, लोक, जन शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज यहां कहा कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली स्नातकोत्तर डिग्री के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र अध्ययन में अगस्त 2015 से शुरू होने वाले आगामी सेमीस्टर से एक ‘वैकल्पित पेपर’ शुरू करेगा।डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह बात जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तलत अहमद और पूर्वोत्तर अध्ययन एवं नीति अनुसंधान केंद्र के निदेशक प्रोफेसर संजॉय हजारिका से विस्तृत जानकारी लेने के बाद कही।
इस पहल के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के अधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत पर संस्थागत अध्ययन और अनुसंधान से इस क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर पेशेवरों और नीति निर्माताओं के लिए जानकारी उपलब्ध हो पाएगी। इस प्रकार नीति निर्माताओं तथा क्षेत्र की वास्तविकता के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि उन्होंने जब से पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाला है तब से पूर्वोत्तर क्षेत्र को शेष भारत के करीब लाने की बातें की जा रही हैं और इस नए कदम से यह कार्य बेहतर तरीके से होगा।
कुलपति प्रोफेसर तलत अहमद ने बताया कि स्नातकोत्तर छात्रों के लिए पूर्वोत्तर अध्ययन का वैकल्पित पेपर वर्तमान सत्र से शुरू हो रहा है और विश्वविद्यालय की आगामी सत्र से पूर्वोत्तर अध्ययन में संपूर्ण स्नातकोत्तर डिग्री शुरू करने की योजना है। उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम व्यापक होगा और इसमें पूर्वोत्तर भारत के इतिहास, भूगोल, विरासत तथा समसामयिक मामलों सहित विविध पहलु शामिल किए जाएंगे।