नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने आज यहाँ भारत जल सप्ताह- सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर कहा कि सबके लिए जल यानी जल ही जीवन है – किंतु धीरे-धीरे अब जीवन के लिए जल चुनौती बनता जा रहा है। जल पृथ्वी पर मानव जाति सहित सभी किस्म के जीवों के लिए एक जीवनदायक अत्यंत आवश्यक तत्व है और खाद्य सुरक्षा का भविष्य तो जल की उपलब्धता पर निर्भर है।
श्री सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे देश में विश्व का 2.4 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र है, 4 प्रतिशत जल स्रोत है तो दूसरी तरफ 17 प्रतिशत मानव आबादी है। भारत की बढ़ती हुई आबादी और इसके चहुँमुखी विकास को देखते हुए जल उपयोग की मात्रा भी तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश में जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता एवं गुणवत्ता अन्य देशों की तुलना में अच्छी स्थिति में नहीं है। इसलिये हमारे जल संसाधनों और जल गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के लिए हमें तेजी से सिंचाई का क्षेत्र बढ़ाना है। इसलिये हमारे प्रधानमंत्री जी की दूरदृष्टि ने देश में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना बनायी है जिसके तहत नये जल संसाधनों का सृजन, खराब जल संसाधनों की मरम्मत, बहालीकरण और जीर्णोद्धार, जल संचयन और संरचनाओं का विमोचन, दूसरे दर्जें एवं सूक्ष्म श्रेणी के जल भंडारण, भू-जल निकायों की क्षमता में वृद्धि, उपलब्ध अथवा सृजित सिंचाई संसाधनों वाले क्षेत्रों में जल वितरण प्रणाली को विकसित करना है । साथ ही स्प्रिंकलर सिंचाई और ड्रिप सिंचाई आदि को संवर्धित किया जाएगा ताकि 30-40 प्रतिशत खेतों को सिंचाई के प्रयोजनार्थ उपलब्ध जल से सींचा जा सके। इसके अलावा ऐसे क्षेत्रों में ट्यूबवैल सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है जहां पर्याप्त भू-जल उपलब्ध है। भारत सरकार ने वर्ष 2016-17 के दौरान इस स्कीम को कार्यान्वित करने के लिए 5717.13 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है। इसके अलावा, वर्ष 2016-17 के दौरान लगभग 20,000 करोड़ रुपये की सिंचाई निधि सृजित की जा रही है। 89 वर्षा में लम्बित सिंचाई परियोजनाओं में 23 को इस वर्ष पूरा करने हेतु 12,000 करोड़ की राशि का भी प्रावधान किया गया है।