नई दिल्ली: सरकार ने सीमा पर ढांचागत संरचना निर्माण से संबंधित लेफ्टिनेंट जनरल डी बी शेकटकर (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की समिति (सीओई) की तीन महत्वपूर्ण सिफारिशों को स्वीकार किया है और इन्हें लागू किया है। ये सिफारिशें सडकों के निर्माण में तेजी लाने से संबंधित थीं और इससे सीमावर्ती क्षेत्र, सामाजिक-आर्थिक रूप से विकसित हो रहे थे।
सीमा पर ढांचागत संरचना निर्माण से संबंधित मामले पर, सरकार ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की अधिकतम क्षमता से अतिरिक्त सड़क निर्माण कार्य को आउटसोर्स करने के लिए सीओई की सिफारिश को लागू किया है। 100 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले सभी कार्यों के निष्पादन के लिए इंजीनियरिंग खरीद अनुबंध (ईपीसी) मोड को अपनाना अनिवार्य कर दिया गया है।
दूसरी सिफारिश आधुनिक निर्माण संयंत्रों की स्थापना करने और उपकरणों व मशीनरी की खरीद करने से सम्बंधित है। इसे लागू करते हुए बीआरओ की खरीद क्षमता को 7.5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया है। बीआरओ घरेलू और विदेशी दोनों प्रकार की खरीद कर सकती है। सीमा सड़क संगठन ने हाल ही में सड़कों के तेजी से निर्माण के लिए हॉट-मिक्स प्लांट 20/30 टीपीएच, हार्ड रॉक कटिंग के लिए रिमोट संचालित हाइड्रोलिक रॉक ड्रिल डीसी-400 आर और तेजी से बर्फ की निकासी के लिए एफ-90 श्रृंखला के स्व-चालित स्नो-कटर/ब्लोअर को शामिल किया है ।
निर्माण की गति को बढ़ाने के लिए निम्न का भी उपयोग किया जा रहा है – सटीक विस्फोट (ब्लास्टिंग) के लिए विस्फोट तकनीक, मिट्टी स्थिरीकरण के लिए जियो-टेक्सटाइल्स का उपयोग, फुटपाथों के लिए सीमेंट बेस, सतह निर्माण के लिए प्लास्टिक कोटेड सामग्री आदि। फील्ड अधिकारियों को अधिक वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों सौपे जाने से, कार्यों का वित्तीय समापन तेजी से हुआ है।
भूमि अधिग्रहण और वन एवं पर्यावरण मंजूरी जैसी सभी वैधानिक स्वीकृति को भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की मंजूरी का हिस्सा बनाया गया है। इसके अलावा, निष्पादन के ईपीसी मोड को अपनाने के साथ, कार्य प्रारंभ करने का आदेश तभी दिया जाता है, जब वैधानिक मंजूरी के 90 प्रतिशत हिस्से में स्वीकृति प्राप्त की कर ली गयी गई हो। इस प्रकार परियोजना की शुरूआत से पहले पूर्व मंजूरी प्राप्त करने से सम्बंधित सीओई की सिफारिश को लागू किया गया है।