नई दिल्ली: सरकार ने राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। नियोक्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिए पहली बार ऐसी योजना हेतु अधिसूचना जारी की गई है। 2019-20 तक 50 लाख प्रशिक्षुओं के लक्ष्य के साथ इस योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये के खर्च का लक्ष्य रखा गया है।
देश में कुशल मानव शक्ति को विकसित करने के लिए प्रशिक्षुता प्रशिक्षण सबसे कुशल तरीका माना जाता है। इसके अंतर्गत उद्योग आधारित, प्रशिक्षण उन्मुख, प्रभावी और कुशल प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति, 2015 भी भारत में कुशल मानव शक्ति तैयार करने में प्रशिक्षुता को प्रमुख घटकों में से एक के रूप देखती है। इस नीति के अंतर्गत 2020 तक देश में अवसरों में दस गुना तक वृद्धि करने के लिए उद्योग सहित एमएसएमई के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव है।
इसमें एक प्रशिक्षु को दिए जाने वाले कुल वजीफे का 25 प्रतिशत भारत सरकार द्वारा सीधे नियोक्ताओं को दिया जाएगा। ऐसा पहली बार है कि एक ऐसी योजना बनाई गई है जिसमें प्रशिक्षुओं को जोड़ने के लिए नियोक्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके अलावा, इसमें बुनियादी प्रशिक्षण को समर्थन दिया गया है जो प्रशिक्षुता प्रशिक्षण का एक आवश्यक हिस्सा है। यह योजना पूरे देश में प्रशिक्षुता पारिस्थितिकी तंत्र को प्रेरित करेगी और इससे सभी हितधारकों के लिए लाभ की स्थिति बनेगी। इससे देश में सबसे शक्तिशाली कौशल प्रदान करने वाला मंच बनने की संभावना है।
ऑनलाइन पोर्टल से प्रशासन को समस्याओं के समाधान में आसानी होगी। इससे जैसे नियोक्ताओं द्वारा पंजीकरण, प्रशिक्षुओं, अनुबंध के पंजीकरण और नियोक्ताओं के लिए भुगतान सहित सभी लेनदेन ऑनलाइन तरीके से होगा। कुल संख्या के 2.5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के बीच प्रशिक्षुओं की नियुक्ति इसके माध्यम से की जा सकेगी। सभी नियोक्ताओं को नियोक्ता शिक्षुता पोर्टल पर जाकर पंजीकृत करना होगा इसके लिए इनके पास टिन/टैन और पीएफ/ ईएसआईसी/लिन में से कोई एक होना चाहिए।
प्रशिक्षता प्रशिक्षण को बढ़ावा देने हेतु राज्यों और स्थानीय औद्योगिक समूहों द्वरा ब्रांड एंबेसडर को नियुक्त किया जाएगा।