देहरादून: उत्तराखंड उत्तराखंड सरकार के लिए गले की फांस बन चुकी नई आबकारी नीति में रायशुमारी का मामला और तूल पकड़ने लगा है। दरअसल, सीएम हरीश रावत ने अखबार में विज्ञापन देकर जनता से उनकी राय मांगी थी।
रायशुमारी में पूछा गया था कि नई आबकारी नीति कैसी होनी चाहिए। अब भाजपा सवाल उठा रही है कि अगर रायशुमारी करनी ही थी तो कुछ सार्थक मुद्दों पर की जाती जिनका जनता से सीधा संबंध होता।
पहले आबकारी नीति बनाने और फिर एफएल-2 के जरिए कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाने का मामला और अब ताजा मामला सीएम की रायशुमारी का है। इसमें सरकार पर तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष ने तो इस महज शिगुफा करार दिया है।
भट्ट के मुताबिक अखबार में विज्ञापन देकर रायशुमारी करना वह भी आबकारी नीति पर मजाक लगता है। आखिर मुख्यमंत्री हरीश रावत चाहते क्या हैं? प्रदेश में युवाओं का पलायन, बेरोजगारी जैसे तमाम मुद्दे हैं, जिन पर रायशुमारी की जाती तो बेहतर होता।
सरकार जिस तरह से आबकारी नीति लागू करने की हड़बड़ाहट में है, इससे साफ है कि कहीं न कहीं कुछ बड़ा खेल चल रहा है।
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