लखनऊ: महिला डेरी परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रही कृषक परिवार/दुग्ध व्यवसाय में संलग्न परिवार की महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की एक योजना है जिसके अन्तर्गत ग्रामीण स्तर पर महिलाओं की दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति का गठन कर महिलाओं को सदस्य बनाते हुए उन्हे दुग्ध विक्रय करने की समुचित व्यवस्था ग्राम्य स्तर पर ही उपलब्ध करायी जाती है। इस परियोजना के लाभार्थियों को महिला सहकारी दुग्ध समितियों के माध्यम से दुग्ध विपणन व्यवस्था से लिंक किया जाता है।
राज्य सरकार के सहयोग से इन महिला समितियों में महिलाएं अपने दुधारू पशुओं से उत्पादित दुग्ध का विक्रय कर दुग्ध विक्रय से प्राप्त धनराशि से अपना आर्थिक स्तर समुन्नत बनाती है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों (जिनमें मात्र महिलाएं ही सदस्य पदाधिकारी एवं कार्मिक हैं) का गठन कर महिलाओं की आय में सार्थक वृद्धि करना तथा उन्हें कार्यपरक शिक्षा व प्रशिक्षण प्रदान कर उनमें स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता व परिवार कल्याण जैसे विषयों के प्रति जागरूकता विकसित करना है।
सरकार ने इसके साथ ही इन्हें आय के संसाधन उपलब्ध कराकर इनमें आत्म विश्वास, नेतृत्व विकास तथा निर्णय लेने की क्षमता विकसित करते हुए विकास की मुख्य धारा से जोड़ा है। इस प्रकार महिलाओं को इस परियोजना के माध्यम से रोजगार के अवसर सहज ही सुलभ हो जाते है। महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा भी प्राप्त होती है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं एलाईड सेक्टर में संलग्न ग्रामीण महिलाओं की कार्य उत्पादकता में वृद्धि होती है।
दुग्ध सहकारिता में मुद्रा का बहाव शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ होता है जबकि अन्य कार्यक्रमों में मुद्रा का बहाव ग्रामीण क्षेत्रो से शहरी क्षेत्रों की तरफ होता है। महिला समितियों से हो रहे औसत दैनिक दुग्ध उपार्जन 89815 ली0 प्रतिदिन के आधार पर औसतन रू0 22.45 लाख प्रतिदिन दुग्ध मूल्य भुगतान कर महिलाओं की आय में सार्थक वृद्धि की गयी है जो वार्षिक आधार पर रू0 81.94 करोड़ होता है।
ग्रामीण अंचल की महिलाओं के विकास हेतु प्रदेश में दुग्ध विकास विभाग के तत्वावधान में पीसीडीएफ द्वारा महिला डेरी परियोजना का क्रिन्यावयन भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की स्टेप योजना में वर्ष 1991 से किया जा रहा है। स्टेप योजना में परियोजना प्रारम्भ से प्रदेश के अद्यतन 42 जिले आच्छादित हो चुके है तथा इन जिलों में कुल 2705 महिला दुग्ध सहकारी समितियां गठित हो चुकी है जिनमें 134459 महिलाओं को दुग्ध विपणन व्यवस्था से लिंक करते हुए आर्थिक लाभ के कार्यक्रम से लाभान्वित कराया जा चुका है।