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आगामी वित्तीय वर्ष में कृषि क्षेत्र की प्रगति दर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री

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नई दिल्‍ली: केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने मुश्किल चुनौतियों के बावजूद 87 साल के अपने अब तक के कार्यकाल में अनेक सफलताएं हासिल की है जिन्हें कृषि की प्रगति में मील का पत्थर कहा जा सकता है। खेती बाड़ी में उत्पादकता और आय में वृद्धि, संस्थान निर्माण, मानव संसाधन, नई तकनीकों का विकास, कृषि विविधिकरण जैसे क्षेत्रों में आईसीएआर ने सफलता के नये प्रतिमान स्थापित किए हैं। श्री सिंह ने यह बात आज नई दिल्ली में आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सोसायटी की 88 वीं वार्षिक आम बैठक में कही। इस अवसर पर सोसायटी के गणमान्य सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

श्री सिंह ने कहा कि सरकार, पांच सालों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस बार के बजट में कृषि के समग्र विकास पर फोकस किया गया है जिसमें किसानों को वहन करने योग्य  कर्ज उपलब्ध कराने, बीजों और उर्वरकों की सुनिश्चित आपूर्ति, सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से उत्पादकता में सुधार लाने,  ई-नैम के माध्यम से एक सुनिश्चित बाजार और लाभकारी मूल्य दिलाने पर जोर दिया गया है।

श्री सिंह ने कहा कि कृषि की बेहतरी और किसानों की खुशहाली के लिए सरकार ने बजट में कई पहल की हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस बजट में वर्ष 2017-18 के लिए ग्रामीण, कृषि और सम्बद्ध सेक्टर के लिए 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए इसे रूपये 1,87, 223 करोड़ किया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष में कृषि क्षेत्र की प्रगति दर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि वर्ष 2016 में अच्‍छे मानसून और सरकार की नीतिगत पहल के कारण इस वर्ष में देश में खाद्यान्‍न का रिकॉर्ड उत्‍पादन हुआ है। वर्ष 2016-17 के लिए दूसरे अग्रिम आकलन के अनुसार देश में कुल 271.98 मिलियन टन खाद्यान्‍न उत्‍पादन का अनुमान लगाया गया है जो वर्ष 2013-14 में हासिल 265.04 मिलियन टन खाद्यान्‍न के पिछले रिकॉर्ड उत्‍पादन की तुलना में 6.94 मिलियन टन ज्‍यादा है एवं पिछले वर्ष 2015-16 के मुकाबले वर्तमान वर्ष 2016-17 का उत्पादन उल्लेखनीय रूप से 20.41 मिलियन टन ज्यादा है।

श्री सिंह ने कहा कि इस बार रबी में  पिछले साल 2015-16 की तुलना में गेहूं में 7.71 प्रतिशत, दलहन में 12.96 प्रतिशत और तिलहन में 10.65 प्रतिशत ज्यादा बुवाई हुई है जो कि सभी फसलों को मिलाकर पिछले वर्ष की तुलना में 6.86 प्रतिशत ज्यादा बुवाई है।

श्री सिंह ने कहा कि भारतीय कृ‍षि वैज्ञानिकों ने अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास करके हरित क्रांति लाने और उतरोत्तर  कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 1951 से लेकर अब तक देश के खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 5 गुणा, बागवानी उत्पादन में 9.5 गुणा, मत्स्य उत्पादन में 12.5 गुणा, दूध उत्पादन में 7.8 गुणा और अंडा उत्पादन में 39 गुणा की वृद्धि हुई है। इसका राष्ट्रीय खाद्य व पोषणिक सुरक्षा पर उल्लेखनीय प्रभाव पडा है। हमारे वैज्ञानिकों ने उच्चतर कृषि शिक्षा की उत्कृष्टता बढ़ाने में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष 2016 में देशभर में दलहन के 150 बीज हब स्थापित किए गए हैं। सबसे पहले परिपक्व होने वाली मूंग की किस्म ‘आईपीएम 205-7 (विराट)’ को खेती के लिए जारी किया गया। कृषि क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के प्रयासों में पिछले ढाई वर्ष में उल्लेखनीय प्रगति  हुई है। वर्ष 2012 से मई 2014 तक जहां विभिन्न फसलों की कुल 261 नई किस्में  जारी की गई थीं वहीं लगभग इतनी ही अवधि, जून, 2014 से दिसम्बर, 2016 में कुल 437 नई किस्में  जारी की गई हैं।

कृषि के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में अक्तूबर 2016 में नई दिल्ली में समन्वय इकाई के साथ कृषि में ब्रिक्स अनुसंधान प्लेटफार्म की स्थापना करने के लिए एक समझौता किया गया। इस इकाई का प्रबंधन डेयर, भारत सरकार द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा, वर्ष 2016 में 17 अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि  कृषि चूंकि राज्य का विषय है, इसलिए इसकी प्रगति में राज्यों के माननीय कृषि मंत्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस मौके पर प्रतिनिधियों से अपील की कि वे वैज्ञानिक-राज्य-किसान सम्पंर्क विकसित करें और कृषि की प्रगति और किसानों की आमदनी व खुशहाली बढ़ाने की दिशा में केन्द्र के साथ मिलकर काम करें।

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