लखनऊ: देश के प्रथम स्ट्राईक कोर के रूप में स्ट्राईक 1 के गठन के निर्दश थल सेना मुख्यालय ने 01 अपे्रल 1965 को दिए। तत्पश्चात् वाराणसी ;उत्तर प्रदेशद्ध में एक आक्रमणात्मक कोर के रुप में स्ट्राईक 1 के गठन का कार्य शुरु हो गया। 19 अगस्त 1965 को स्ट्राईक 1 को सियालकोट सेक्टर की कूच करने का आदेश मिला।
इस प्रकार कोर का आरम्भ ही युद्ध से हुआ व उसने 1965 के भारत-पाक युद्ध मे बेहतरीन प्रदर्शन किया। अब तक के प्रतिष्ठ इतिहास मे स्ट्राईक 1 एक निर्णायक ताकत के रूप में उभर के आई है व युद्ध को भारत के पक्ष मे रखने की क्षमता रखती है।
स्ट्राईक 1 के गठन के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में लेप्टिनेंट जनरल ए. बी शिवाने, जनरल आॅफिसर कमांडिग स्टा्रईक 1 ने एक ऐसे दिव्य स्थल की परिकल्पना की जो कि इस कोर के गौरवशाली इतिहास को विस्मरण कराता हो। 15 अप्रैल 2015 में मथुरा छावनी में ‘दि हेरिटेज‘ की नीव रखकर इस कल्पना को साकार किय गया। इस इमारत की बनावट मेजर जनरल वी नांगिया, चीफ आॅफ स्टाफ, स्ट्राईक 1 द्वारा कल्पना की गई। ’दि हेरिटेज’ अष्टकोण नुमा इमारत है जिसमें दो आयातकार नुमा पाश्र्व भाग है। दाहिने पाश्र्व में 1965 के भारत-पाक युद्ध व बांॅये पाश्र्व में 1971 के भारत-पाक युद्ध के गौरवशाली इतिहास के चित्र प्रर्दशित हंै। मध्य हाॅल का मुख्य प्रसंग ‘योद्धा‘ है जो कि स्ट्राईक 1 दृढ् संकल्प का मूल सार है। मध्य हाॅल स्ट्राईक 1 और उसकी फाॅर्मेशन्स के महान इतिहास से सुसज्जित है । इस हाल में इस प्रतिष्ठित कोर के गठन, मथुरा छावनी व मथुरा शहर का भव्य चित्रण भी किया है।
‘हेरिटेज‘ का उदधाटन 19 अगस्त को लेप्टिनेन्ट जनरल ए.के. सिंह ;सेवानिर्वतद्ध, गवर्नर अंडमान और निकोबार व्दीप समूह, जनरल जे.जे. सिंह ;सेवानिर्वतद्ध, पूर्व थलसेना अध्यक्ष, लेप्टिनेन्ट जनरल ए.के. साहनी, आर्मी कमांडर दक्षिण-पश्चिमी कमाड, लेप्टिनेन्ट जनरल आनंद सरूप ;सेवानिर्वतद्ध समेत अनेक प्रतिष्ठित लोगांे की उपस्थिती में किया जायेगा।
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