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खादी के उत्पाद जितने ज्यादा उच्चकोटि के होंगे, खरीददार भी उतने ही ज्यादा मिलेंगे: सत्यदेव पचैरी

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री सत्यदेव पचैरी ने कहा कि खादी के उत्पाद जितने ज्यादा उच्चकोटि होंगे, खरीददार भी उतने ही ज्यादा मिलेंगे। इसलिए वर्तमान मांग के अनुरूप खादी के उत्पाद तैयार किये जायें। साथ ही झारखण्ड राज्य में बनने वाले महीन सूत (मसलिन) की तकनीकी को यहां की खादी संस्थाएं प्राथमिकता पर अपनाये, ताकि अधिक से अधिक लोगों को खादी से जोड़ा जा सके। इससे कत्तिन बुनकरों को भी सीधा लाभ होगा और उनकी आय 10 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकेगी।

श्री पचैरी आज यहां डालीगंज स्थित खादी एवं ग्रामोद्योग प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित कार्यशालों में बोल रहे थे। इस अवसर पर प्रदेश के खादी आश्रम/खादी संस्थाओं के 40 से अधिक प्रतिनिधि मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आने वाली गांधी जयंती के अवसर पर खादी को नये ढंग से प्रस्तुत किया जाय, ताकि उत्तर प्रदेश की खादी उत्तम प्रदेश की खादी के नाम से जानी जाय। उन्होंने कहा कि बिक्री पर छूट आधारित रिबेट योजना के स्थान पर उत्पादन पर छूट देने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए पं0 दीनदयाल उपाध्याय खादी विपणन विकास सहायता योजना लागू की गयी है। इस योजना में प्रदेश के खादी उत्पादकों को उत्पादन लागत पर वर्ष भर 15 प्रतिशत की दर छूट उपलब्ध करायी जायेगी। इसमें 05 प्रतिशत अंश संस्थाओं में कार्यरत कामगारों को सीधे उनके खाते में बोनस रूप में दिया जायेगा तथा अवशेष 10 प्रतिशत संस्थाओं को अवस्थापना सुविधा विकास एवं विपणन संवर्द्धन हेतु प्रदान किया जायेगा।

खादी मंत्री ने कहा कि नये उद्योगों को आकर्षित करने तथा वर्तमान उद्योगों को गुणवत्ता वाली सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से नये औद्योगिक पार्कों का विकास करने एवं वर्तमान उद्योगों के उन्नयन का कार्य प्राथमिकता से चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फूड पार्क एवं फार्मा पार्क, एक्सप्रेस-वे, राष्ट्रीय राजमार्ग तथा राज्य राजमार्गों के आस-पास खादी एवं ग्रामोद्योग इकाइयों की स्थापना हेतु औद्योगिक पार्क/आस्थानों/एस्टेट में खादी एवं ग्रामोद्योग इकाईयों को वरीयता प्रदान की जायेगी। इसका सीधा मकसद खादी को प्रमोट करना और बुनकरों की आमदनी को बढ़ाना हेै।

प्रमुख सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग श्री नवनीत सहगल ने समीक्षा के दौरान कहा कि खादी बोर्ड की संस्थाओं द्वारा निर्मित किये जा रहे उत्पादों को पी0पी0पी0 माॅडल पर बिक्री स्टोर (खादी यू0पी0 स्टोर ब्रांड नाम से) खोलते हुए उत्पादों की मार्केटिंग की कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है। विभाग में पंजीकृत खादी संस्थाओं का सर्वेक्षण कराते हुए डाटाबेस तैयार कराया जायेगा, जिसमें मुख्यतः संस्था के पास अपनी जमीन है या नहीं, संस्थाएं क्या उत्पाद बना रही हैं तथा कितने कत्तिन और बुनकर संस्था से जुड़े हुए हंै। उन्होंने कहा कि एक विशेष अभियान चलाकर खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा दिये गये ऋण का ओ0टी0एस0 योजना के अन्तर्गत निस्तारण कराया जायेगा।

कार्यशाला के दौरान सोलर चर्खों के वितरण, बोर्ड द्वारा निर्मित नवीन भवन में खादी एवं ग्रामोद्योग इम्पोरियम के संचालन तथा पं0 दीनदयाल खादी विपणन सहायता लागू करने के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा पूर्व लम्बित रिबेट दावों के निस्तारण, बाजार की मांग के अनुरूप आधुनिक डिजाइन तैयार करने में राष्ट्रीय फैशन तकनीकी संस्थान (निफ्ट) से सहयोग प्राप्त करने तथा खादी उत्पादों की बिक्री, कतकरों/बुनकरों की उपलब्धता, चर्खा/करघे की वर्तमान स्थिति तथा उनके आधुनिकीकरण पर भी चर्चा की गई।

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