19 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

उच्च न्यायालय की भव्य इमारत से इन्साफ की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं, जिन पर सबको खरा उतरना होगा: श्री टी0एस0 ठाकुर

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री टी0एस0 ठाकुर ने कहा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ तथा इसके बाद लखनऊ खण्डपीठ के

नवीन भवन के उद्घाटन के मौके पर न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोग, विवादों के निपटारे में तेजी लाने का संकल्प लें। यही इस अवसर की सफलता होगी। उन्होंने कहा कि इस नवीन भवन की भव्यता दुनिया के किसी भी न्यायालय भवन से अधिक है। इस बड़ी और भव्य इमारत से इन्साफ की उम्मीदंे भी बढ़ गई हैं, जिन पर हम सबको खरा उतरना होगा।
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आज यहां गोमती नगर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ के नव-निर्मित भवन के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लखनऊ का सौन्दर्य और अदब विश्व प्रसिद्ध रहा है। इसमें उच्च न्यायालय का यह नव-निर्मित भवन जुड़ रहा है। वक्त की रफ्तार के साथ बहुत कुछ बदला है। लखनऊ में नयी और पुरानी रवायतें मिली-जुली नजर आती हैं। उन्होंने कहा कि लाखों लोग रोजगार और काम की तलाश में गांव से शहर आते हैं। आबादी के बढ़ने के साथ-साथ लोगों के मसायल भी बढ़े हैं और विवाद भी उपजे हैं। बार और बेंच को मिलजुल कर समस्याओं और विवादों के शीघ्र निस्तारण की ओर ध्यान देना होगा।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने इस अवसर पर कहा कि उत्तर प्रदेश के न्यायिक इतिहास में यह सप्ताह ऐतिहासिक रहा है। जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के बाद लखनऊ खण्डपीठ के नवीन भवन का लोकार्पण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस भवन के साथ लोगों की न्याय की उम्मीदें भी जुड़ रही हैं। वादी को त्वरित और सुलभ न्याय दिलाना न्याय प्रणाली के लिए एक चुनौती है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि सुविधाओं के बढ़ने से न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने का कार्य सुगम होगा। उन्होंने कहा कि संविधान के तीनों अंग-कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को संतुलन बनाकर कार्य करना पड़ता है। इस बात की खुशी है कि संविधान के आधार पर न्याय पालिका चल रही है। उन्होंने बार और बेंच के समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि इन सम्बन्धों के सुदृढ़ होने से न्याय पालिका और अच्छे ढंग से चलेगी। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में न्यायाधीशों और अन्य पदों पर नियुक्तियों पर ध्यान देना होगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका में विश्वास की भावना का होना जरूरी है। इन तीनों अंगों के बीच एक-दूसरे का सम्मान करने के साथ-साथ तालमेल कायम रहना भी जरूरी है, ताकि जनकल्याण का कार्य प्रभावित न होने पाए। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और लोगों को त्वरित इंसाफ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा न्यायपालिका की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का काम लगातार किया गया है। न्याय विभाग का बजट बढ़ाने के साथ-साथ विभिन्न पदों का सृजन किया गया है। न्यायपालिका सुचारु रूप से अपना कार्य तभी सम्पादित कर सकती है, जब उसे सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हों। इस नवीन भवन का निर्माण कार्य पूरा कराना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। सभी आधुनिक सुविधाओं वाला यह भव्य और आकर्षक भवन बनकर तैयार हो गया है। अपनी भव्यता के लिए यह भवन प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के लिए भी गौरव का विषय होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिवक्ता हमारे देश की न्याय व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। आम जनता को सहज एवं सुलभ न्याय दिलाने में इनकी बेहद खास और अहम भूमिका होती है। राज्य सरकार अधिवक्ताओं की सुविधाओं में भी लगातार इजाफा कर रही है। सभी जनपदों और तहसीलों में अधिवक्ताओं के लिए अधिवक्ता चैम्बर्स बनाने की दिशा में कार्य किया गया है। अधिवक्ताओं के निधन होने पर उनके परिजनों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को बढ़ाकर 05 लाख रुपए कर दिया गया है। नौजवान अधिवक्ताओं को वित्तीय मदद देने के लिए काॅर्पस फण्ड का गठन किया गया है। जनता को सस्ता, सुलभ और त्वरित न्याय मिले, इसके लिए समाजवादी सरकार हर सम्भव कार्य करती रहेगी। साथ ही, न्याय व्यवस्था को मजबूत करने और संसाधनों में बढ़ोत्तरी के लिए भविष्य में भी प्रदेश सरकार का पूरा सहयोग मिलता रहेगा।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ का भव्य भवन न्यायपालिका के उत्कृष्ट भवनों में से एक है। यदि इस नये भवन के साथ कार्य संस्कृति और कार्य शैली में भी बदलाव आए तो यह स्वागत योग्य बात होगी। पुरानी और स्वस्थ परम्पराओं के साथ-साथ दायित्व निर्वहन में अधिक कुशलता लाने से न्यायपालिका की मर्यादा सुरक्षित और संरक्षित रहेगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी सुविधाओं की बढ़ोत्तरी के साथ-साथ कार्य शैली में भी गुणात्मक परिवर्तन आना चाहिए।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि मनुष्य के जन्म के साथ-साथ विसंगतियां और विवाद जन्म लेते हैं। विवाद होंगे तो न्याय की आवश्यकता होगी। विधि के अनुसार विवादों के निपटारे में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि लोगों की न्यायपालिका में अटूट आस्था रहे, यह हम सब का दायित्व होना चाहिए। बार और बेंच के बीच समन्वय, सौहार्द और सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संवैधानिक मर्यादा के तहत न्यायपालिका ने सदैव समाधान की तलाश की है और लोक हित में ज्युडिशियल एक्टिविज़म भी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को पेशे के उच्चतम मापदण्डों को ध्यान में रखते हुए लोगों की पीड़ाओं और आकांक्षाओं का समाधान करना होगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डाॅ0 डी.वाई. चन्द्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि लखनऊ खण्डपीठ का यह नवनिर्मित भवन इतिहास, संस्कृति, आधुनिकता, पुरानी रवायतों, नये रिवाजों और अवध की शैली की जीती-जागती मिसाल है। इसका मकसद वादकारियों, अधिवक्ताओं सहित अन्य सम्बन्धित की जरूरतों का ख्याल रखते हुए उन्हें उम्दा सहूलियतें देना है। उन्होंने कहा कि आवाम की खिदमत करना हम सब का फर्ज है और यदि हम सभी अपने किरदार को जिम्मेदारी से निभाएं तो इस फर्ज को पूरी शिद्दत के साथ अंजाम दिया जा सकता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि बार और बेंच के बीच अच्छे रिश्ते होना जरूरी है।
इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री आर.के. अग्रवाल और अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री एच.जी.एस. परिहार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री ए.पी. साही ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इसके पूर्व, समारोह का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया गया। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री टी.एस. ठाकुर, राज्यपाल श्री राम नाईक, मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डाॅ0 डी.वाई. चन्द्रचूड़ का स्वागत पुष्प गुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर किया गया।
इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री
के.जी. बालाकृष्णन, उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी,
श्री एस.एन. अग्निहोत्री, श्री तेज प्रताप तिवारी, श्री राजीव माहेश्वरम, उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त श्री संजय मिश्रा, महाधिवक्ता श्री विजय बहादुर सिंह सहित अधिवक्तागण, मीडियाकर्मी, शासन व प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More