तिरुवनंतपुरम: केरल हाईकोर्ट की देवासम बेंच ने सोमवार को कहा है कि सबरीमाला मंदिर सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही पवित्र और पूजा की जगह नहीं है बल्कि यहां सभी धर्मों के लोगों का स्वागत किया जाता रहा है। अदालत ने भाजपा कार्यकर्ता मोहनदास की याचिका पर ये बात कही है। दास ने अपनी याचिका में मांग की है कि अगले महीने से मंदिर के द्वार सभी के लिए ना खोले जाएं। मंदिर में सिर्फ श्रद्धालुओं को ही प्रवेश दिया जाए। अदालत ने मंदिर की सभी के लिए खुले रहने की परंपरा का जिक्र करते हुए याचिका पर ऐसा कोई आदेश देने से इंकार कर दिया।
देवासम पीठ के सामने पेश दूसरी याचिका चार महिलाओं की थी। श्रद्धालु महिलाओं ने मंदिर में पूजा करने के लिए सुरक्षा की मांग की है। राज्य सरकार ने कहा कि यदि तीर्थयात्री श्रद्धालु है तो उसकी सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वह इस संबंध में कुछ नहीं कर सकता क्योंकि राज्य सरकार ने आश्वासन दे दिया है। मंदिर पांच नवंबर को एक दिन के लिए और फिर 16 नवंबर से दो माह तक सालाना तीर्थयात्रा के लिए खुला रहेगा।
वहीं सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को लेकर विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। इसमें कई संगंठन और राजनीतिक पार्टियां भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को अपने फैसले में 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब महिलाएं मंदिर में प्रवेश के लिए गईं तो इसका भारी विरोध हुआ महिलाओं को दर्शन से रोक दिया गया। इसको लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन जारी हैं। मामले में काफी गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं। source: oneindia