मुंबई: मिहिर शाह मेडिकल डिवाइस टैक्नोलॉजी डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम कर रहे थे। उन्होंने सोचा नहीं था कि वो स्तन कैंसर को लेकर कोई काम करेंगे। फिर हालात कुछ ऐसे बदले कि मिहिर के काम की राह भी बदल गई। उनकी सास को स्तन कैंसर का पता चला और जब घर में इस पर बात होने लगी, तब पता चला कि कुछ और करीबी महिलाएं भी इसका शिकार हैं। लेकिन ज्यादातर यही होता आया है कि स्तन कैंसर के बारे में, कोई खुल कर बात करना पसंद नहीं करता। मिहिर ने घर में सामने आई इस समस्या को जानने कि कोशिश की और उन्हें पता चला कि स्तन कैंसर, महिलाओं में सबसे सामान्य रूप से होने वाला कैंसर है।
स्तन कैंसर कि जांच जितनी जल्द हो जाए, उतना बेहतर है क्योंकि देर होने पर महिला के लिए जान का खतरा भी बढ़ जाता है। विकासशील देशों में, खास कर ग्रामीण महिलाओं में स्तन कैंसर की जांच की कोई सुविधा नहीं होती है। मेमोग्राफी से इसकी जांच की जा सकती है लेकिन, इसके लिए एक एक्सपर्ट का होना जरुरी है, जबकि भारत में रेडियोलोजिस्ट्स की संख्या केवल दस हजार है।
इन सब हकीकतों को देखते हुए, मिहिर ने ऐसी मशीन बनाने के बारे में सोचा जो छोटी हो, यह तुरंत रिजल्ट बता सके और इसमें रेडिएशन का खतरा न हो। इस मशीन से जांच के दौरान दर्द से बचा जा सके और एक आम हेल्थ वर्कर भी आसानी से उसका उपयोग कर सके। 2009 में मिहिर ने सह-संस्थापक मैथ्यू केंम्पिसी के साथ मिल कर फिलाडेल्फिया में यूई लाइफ साइंसेज इंक शुरु किया। 40 लाख अमेरिकी डॉलर के निवेश और वित्तीय मदद से यूई लाइफ साइंसेज का काम शुरु हुआ।
मिहिर के पास मेडिकल टेक्नॉलोजी को ‘कंसेप्ट से क्लिनिक तक’ ले जाने का अनुभव था, तो इलेक्ट्रिकल इंजीनियर मेथ्यू को चिकित्सा उपकरण बनाने का अनुभव था। फिर यूई लाइफ साइंसेज ने स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए एक छोटी सी मशीन बनाई। इस छोटे से डिवाइस से स्तन में किसी भी प्रकार की छोटी सी गांठ का भी पता लगाया जा सकता है और उसकी पूरी जानकारी मशीन से जुड़े डिजीटल नोट पैड पर कुछ ही मिनटों में मिल जाती है।
मिहिर ने बताया, “कोई भी मेडिकल डिवाइस लोगों तक पहुंचाना मुश्किल होता है। आप उसकी सफलता की जांच करें, उसके पहले लोगों को उसके इस्तेमाल के लिए तैयार करना पड़ता है। हम स्वैच्छिक संस्था, कॉरपोरेट, हेल्थ केयर सर्विसेज, पब्लिक हेल्थ सेंटर्स जैसे अलग-अलग डिलेवरी एजेंट के जरिए हर स्तर पर महिलाओं तक पहुंचना चाहते हैं”।
उनका कहना है, “पोर्टेबल मशीन से की जाने वाली जांच का खर्च भी कम है और उससे दर्द भी नहीं होता। साल 2016 के अंत तक हम भारत में 10 लाख महिलाओं तक यह सेवा पहुंचाना चाहते हैं।”
मुंबई के जाने माने कैंसर विशेषज्ञ बोमन ढाभर कहते हैं, “ऐसे कई मामले आते हैं, जिनमें स्तन कैंसर एडवांस स्टेज पर पहुंच चुका होता है। भारत में आज भी स्तन कैंसर की जांच, पहले सैल्फ एक्जामिनेशन से होती है, बाद में एक्सपर्ट जांच करते है और मेमोग्राफी अंत में होती है। संकोच की वजह से महिलाएं डॉक्टर के पास जांच नहीं कराती हैं”।
उनका कहना है, “इस आसान डिवाइस से नर्स या हॉस्पिटल का जुनियर स्टाफ भी प्राथमिक जांच कर सकते हैं और गांठ दिखने पर मेमोग्राफी का सुझाव दे सकते हैं। इस डिवाइस की वजह से प्राथमिक जांच के लिए कैंसर विशेषज्ञ के पास जाना जरुरी नहीं होता। हमने स्तन कैंसर की जांच के कैम्प में इस डिवाइस से कुछ मरीजों में गांठ का पता लगाया था, जिन्हें बाद में मेमोग्राफी के लिए कहा गया।”
आने वाले समय में यूई लाइफ साइंसेज दूसरे प्रकार के कैंसर की जांच के लिए मशीन बनाना चाहता है, जिससे कि विकासशील देशों में वंचितो तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सके और जागरूकता बढ़ाई जा सके। भारत के बाद यूई लाइफ साइंसेज की इच्छा दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य-पूर्व और लैटिन अमेरिका में काम करने की है।