30 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

अपराधियों को सजा दिलाने में अभियोजन मुख्य कड़ी: मुख्य सचिव

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के अधीन विचारणीय मुकदमों की अर्द्धवार्षिक समीक्षा की बैठक दिनांक 04.05.2016 को योजन भवन, लखनऊ में की गई । जिसके मुख्य अतिथि मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन श्री आलोक रंजन जी रहे । इस दौरान उपसचिव राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण श्री सुबोध भारती भी उपस्थित रहे । कार्यक्रम की अध्यक्षता पुलिस महानिदेशक अभियोजन डा0सूर्य कुमार ने किया। बैठक में 01 जुलाई 2015 से 31 दिसम्बर 2015 के बीच प्रदेश के सभी जनपदों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित कुल 1169 वाद निर्णीत कराये गये । जिनमें 67 मुकदमों में आजीवन कारावास की सजा से दण्डित कराने में सफलता मिली । वहीं 21 मुकदमें में 10 वर्ष से अधिक कारावास से दण्डित कराया गया । जबकि 285 मुकदमों मे 10 वर्ष से कम की सजा कराई गयी। समीक्षा के दौरान यह भी पता चला कि 783 मुकदमें दोषमुक्त हुए । जिनमें 29 मुकदमों को सुलह के आधार पर दोषमुक्त किया गया, जबकि 638 मुकदमों में गवाहों के पक्षद्रोही होने के कारण तथा 1 मुकदमा गवाह के न आने के कारण दोषमुक्त किया गया । दोषमुक्त हुए असंगत के 63 मुकदमों में राज्य की तरफ से अपील प्रस्तावित की गई है, जिन मामलों में साक्षियों ने मुल्जिम से मिलकर साक्ष्य दिया है तथा अभियोजन/राज्यहित का समर्थन नहीं किया है उन 486 साक्षियों के विरूद्ध धारा 344 दं0प्र0सं0 के अधीन दण्डात्मक कार्यवाही की गई है ताकि गवाह जानबूझकर पक्षद्रोही न हो सके और अधिक से अधिक मुकदमों में सजा हो सके। समीक्षा के दौरान जिन मुल्जिमों ने साक्षीगण को साक्ष्य के लिए प्रभावित करने का प्रयास किया है ऐसे 2 अभियुक्तों की जमानत निरस्तीरण की कार्यवाही कराई गयी है ।
इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने माइक थामते ही सबसे पहले प्रदेश की सभी जनपदों से आये ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी/जिला शासकीय अधिविक्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि अपराधियों को सजा कराने में अभियोजन महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होनें कहा कि इस तरह की कार्यशाला के आयोजन से अधिकारियों की कार्य करने की गुणवत्ता में भी निखार आता है। श्री रंजन ने डी0जी0 अभियोजन डा0 सूर्य कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि अभियोजन के अच्छे कार्य की बदोलत ही प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाये रखने में मदद मिल रही है । मुख्य सचिव ने कहा कि मैनें प्रदेश के सभी जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वह अपने क्राइम मीटिंग में अभियोजन अधिकारी को जरूर शामिल करें । अभियोजन के रोल के बारे में बताते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बेहतर बनाये रखना सरकार की जिम्मेदारी होती है। जिसे अभियोजन के सहयोग से ज्यादा से ज्यादा अपराधियों को जेल में निरूद्ध करा शांति व्यवस्था बनाये रखने में मदद मिलती है। उन्होेनंे कहा कि मुख्यमंत्री भी यही चाहते है । उन्होनें सभी अभियोजन अधिकारियों को सराहनीय कार्य के लिए बधाई दी और इसमें निरन्तरता बनाये रखने का निर्देश भी दिया । साथ ही उन्होने कहा कि एससी/एसटी एक्ट के मामले में गंभीरता से पैरवी करें, मगर इस दौरान इस एक्ट के तहत कोई बेगुनाह न फंसने पाये ।
इस दौरान उ0प्र0 के गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र भी मौजूद रहे । उन्होनें अच्छे अभियोजन कार्य के लिए सभी अभियोजको को बधाई दी साथ ही कहा कि आप सभी इसी तरह से अपराधियों को दण्डित कराते रहे ।
उपसचिव राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण श्री सुबोध भारती ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि नये संशोधित अधिनियम के अनुसार नई व्यवस्थाओं व पीडि़तो को उपलब्ध करायी गयी सुविधाओं/क्षतिपूर्ति के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है ताकि सरकार द्वारा घोषित सुविधाओं का लाभ अधिक से अधिक पीडि़त को मिल सके और इसके लिए अभियोजन से बेहतर कोई नहीं है। वहीं ए0डी0जी0 विशेष जांच श्री चन्द्र प्रकाश ने कहा कि समाज में सामाजिक व्यवस्था कायम करने के दृष्टिकोण से एससी/एसटी एक्ट में नई व्यवस्था का समावेश किया गया है। जिसके अनुसार 60 दिनों के अन्दर मुकदमंे की विवेचना कर आरोप-पत्र सीधे विचारण हेतु विशेष न्यायालय भेजने की व्यवस्था की गई है ताकि अनावश्यक विलम्ब से बचा जा सके । इसमें यह भी देखने की बात है कि इस एक्ट का दुरूपयोग तो नही हो रहा है। ए0डी0जी0 ने कानुपर देहात के एक फर्जी एससी/एसटी एक्ट के दुरूपयोग के बारे में बताते हुए कहा कि एक दलित महिला ने अपने गांव के प्रधान के खिलाफ फर्जी तरीके से एससी/एसटी एक्ट का मुकदमा करवा दिया, मगर उस क्षेत्र से संबंधित सी0ओ0 ने निस्पक्ष जांच करते हुए मामले को फर्जी बताकर फाइनल रिपोर्ट लगा दी । मगर उस महिला ने इस मामले की गुहार प्रमुख सचिव गृह से लगायी जिसपर प्रमुख सचिव गृह ने डी0जी0पी0 कार्यालय से एक अपर पुलिस अधीक्षक को जाॅच के लिए कानपुर देहात भेजा । ए0एस0पी0 ने भी जांच के बाद मामले को फर्जी पाया जिसके बाद इस मुकदमें को खत्म कर दिया गया । अतः उन्होनें कहा कि पुलिस के साथ अभियोजन भी इस तरह के मामले को गंभीरता से जांच कर तभी कोर्ट प्रेषित करें । होने से के दौरान यह भी प्रकाश में आया कि सजा कराने वाले मण्डलों में लखनऊ 98 मुकदमों में सजा करके प्रथम स्थान पर रहा। इसी प्रकार इलाहाबाद 30 मुकदमों में सजा करके दूसरे स्थान पर रहा तथा गोरखपुर व कानपुर 29-29 मुकदमों में सजा कराकर तीसरे स्थान पर रहे । इसी प्रकार प्रदेश में सबसे ज्यादा सजा कराने वाले अभियोजक श्री आर0डी0 सिंह, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी, उन्नाव जिन्होने 30 मुकदमों निर्णीत कराते हुए 21 मुकदमों में सजा करके प्रदेश में प्रथम स्थान अर्जित किया है तथा सत्यप्रकाश, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी, गोरखपुर 34 मुकदमों निर्णीत कराते हुए 19 मुकदमों में सजा कराकर दूसरे स्थान पर रहे तथा श्री हरिपाल सिंह, अभियोजन अधिकारी, उन्नाव ने 29 मुकदमों को निर्णीत कराते हुए 18 मुकदमों में सजा कराकर तीसरे स्थान पर रहे।
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम में ज्यादा सजा कराने वाले अभियोजको के नाम इस प्रकार है । इस सभी अभियोजन अधिकारियों को मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने सम्मानित किया ।
1. श्री आर0डी0 सिंह, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी, उन्नाव
2. श्री सत्यप्रकाश, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी, गोरखपुर
3. श्री हरिपाल सिंह, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी, सीतापुर
4. श्री विवेक चन्द्र, अभियोजन अधिकारी, चित्रकूट
इनके अलावा सम्मानित होने वालो में डिप्टी एस0पी0 आर0एन0सिंह, डिप्टी एस0पी0 रामविलास, डिप्टी एस0पी0 मायाराम वर्मा व डिप्टी एस0पी0 राजेश तिवारी और कोर्ट मोहर्रिर रामलखन, आशीष तिवारी, फूलचन्द्र वहीं पैरोकार विजय सिंह, शिवनाथ राय, कैलाश मिश्रा व ओवेश खाॅन शामिल है।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More