लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने पेयजल की समस्या के त्वरित निराकरण हेतु प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 47,900 नये इण्डिया मार्क-2 हैण्डपम्प स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पहले से स्थापित इण्डिया मार्क-2 हैण्डपम्पों को चालू हालत में लाने के लिए 47,900 हैण्डपम्पों की री-बोरिंग के आदेश भी दिए हैं। ये सभी 95 हजार 800 नये एवं रीबोर हैण्डपम्प विधान सभा एवं विधान परिषद के सदस्यों की संस्तुति पर उनके ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए प्रत्येक सदस्य को 100 नये इण्डिया मार्क-2 हैण्डपम्प स्थापित करने हेतु संस्तुति करने का अधिकार दिया गया है, जबकि इतने ही हैण्डपम्पों के रीबोर के लिए भी प्रत्येक सदस्य संस्तुति कर सकते हैं।
यह जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुपालन के क्रम में शासन द्वारा 458.8632 करोड़ रुपए की धनराशि ग्राम्य विकास आयुक्त को उपलब्ध करा दी गई है। उन्होंने बताया कि हैण्डपम्पों की स्थापना एवं रीबोरिंग राज्य ग्रामीण पेयजल योजना के मार्गदर्शी सिद्धान्तों एवं शासनादेशों में दी गई व्यवस्था के अनुरूप की जाएगी। स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष हैण्डपम्पों के अधिष्ठापन हेतु निर्धारित 90ः10 के अनुपात के अनुसार कार्यदायी संस्थाओं-उत्तर प्रदेश जल निगम एवं यू0पी0 एग्रो इण्डस्ट्रियल काॅरपोरेशन को धनराशि अवमुक्त की जाएगी। हैण्डपम्पों के अधिष्ठापन एवं रीबोरिंग के लिए नियमानुसार एक प्रतिशत लेबर सेस की धनराशि का भुगतान श्रम विभाग को करने के लिए कहा गया है। ग्राम्य विकास विभाग को यह भी हिदायत दी गई है कि स्वीकृत धनराशि आहरित कर बैंक एवं डाकघर में कतई नहीं रखी जाएगी। कार्य में प्रयोग की जाने वाली सामग्री/उपकरणों का क्रय स्टोर परचेज़ नियमों तथा आदेशों के अंतर्गत किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने निर्धारित विशिष्टियों तथा मानकों के अनुरूप गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करते हुए कार्य को समयबद्ध ढंग से पूरा करने के निर्देश दिए हैं। कार्य की गुणवत्ता पर निगाह रखने के लिए अधिकृत थर्ड पार्टी निरीक्षणकर्ता को भी पूरा सहयोग प्रदान करने के लिए कहा गया है। हैण्डपम्पों के अधिष्ठापन के पश्चात् इनके रख-रखाव हेतु इन्हें सम्बन्धित ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित करने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री की इस पहल से विधान सभा एवं विधान परिषद के सदस्यों को अपने-अपने क्षेत्रों की पेयजल समस्याओं के निराकरण में मदद मिलेगी।