देहरादून: भोजन माताओं व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय में प्रति माह 500 रूपए की वृद्धि की
जाए। निर्धारित सूचकों में लक्ष्य पूरा करने वाली आशाओं को आकर्षक इंसेंटिव दिया जाए। एएनएम/दाईयों को 400 रूपए प्रति माह का मानदेय दिया जाए। महिला उद्यमिता पार्क के लिए भूमि जल्द से जल्द से चिन्हित कर दी जाए। एक महिला उद्यमिता परिषद स्थापित की जाएगी जो कि इन महिला उद्यमिता पार्कों की देखरेख करेगी। प्रत्येक नगर निगम में एक-एक महिला सिलाई-कढ़ाई पार्क स्थापित किया जाए। राज्य में महिला सशक्तिकरण को अभियान का रूप देने के लिए सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उक्त निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिए कि पीआरडी में भर्ती महिलाओं को जॉब ओरियेंटेड स्किल देने की कार्ययोजना तैयार की जाए। महिला सामख्या को राज्य द्वारा टेकअप किया जाए। निष्क्रिय व ऋणग्रस्त महिला स्वयं सहायता समूहों के रिवाईवल की योजना बनाई जाए। इंदिरा अम्मा कैंटीन व हस्तशिल्प में कार्यरत महिला स्वयं सहयता समूहों को टर्नओवर पर 5 प्रतिशत का बोनस दिया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में महिला उद्यमिता पार्क के लिए भूमि जल्द से जल्द चिन्हित करने के निर्देश दिए। इनमें महिला उद्यमियों को अनेक प्रकार की रियायतें व सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। एक महिला उद्यमिता परिषद स्थापित की जाएगी जो कि इन महिला उद्यमिता पार्कों की देखरेख करेगी। प्रत्येक नगर निगम में एक-एक महिला सिलाई-कढ़ाई पार्क स्थापित किया जाए। इसमें सारी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाते हुए मार्केट लिंकेज भी विकसित किए जाएं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पीआरडी में महिलाओं की भर्ती बढ़ाई जाए। पीआरडी में भर्ती महिलाओं को जॉब ओरियेंटेड स्किल देने की कार्ययोजना तैयार की जाए। महिला मंगल दलों को रोजगार से जोड़ा जाए। वन पंचायतों के साथ महिला मंगल दलों को लिंक करने की कार्ययोजना बनाई जाए। शिक्षा विभाग स्कूलों के लिए आवश्यक सामग्री का कुछ प्रतिशत महिला मंगल दलों व महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से खरीदे। इसकी शुरूआत मॉडल स्कूलों से की जाए। महिला सामाख्या कार्यक्रम जो कि केंद्र द्वारा बंद किया जा चुका है, को राज्य सरकार द्वारा टेकअप किया जाए। इसे दूसरी परियोजनाओं से टाईअप किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने भोजन माताओं के मानदेय में 500 रूपए प्रति माह की बढ़ोतरी कर 2 हजार रूपए करने के निर्देश दिए। गौरतलब है कि वर्तमान में इन्हें 1500 रूपए प्रति माह मानदेय दिया जा रहा है। इसमें 900 रूपए भारत सरकार से व बाकी राशि राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है। केंद्र द्वारा 10 माह का मानदेय निर्धारित है जबकि राज्य सरकार द्वारा 1 माह का अतिरिक्त मानदेय भी दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भोजन माताओं के कल्याण के लिए 1 करोड़ रूपए का कारपस फण्ड भी स्थापित किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आशाएं हमारे ग्रामीण स्वास्थ्य सिस्टम की धुरी हैं। बेहतर प्रदर्शन करने वाली आशा कार्यकत्रियों को प्रोत्साहित करने के लिए योजना बनाई जाए। राज्य सरकार की प्राथमिकताओं के आधार पर 4-5 सूचक तय कर लिए जाएं। इनमें टार्गेट पूरा करने पर अतिरिक्त इंसेंटिव दिया जाए। कार्ययोजना इस प्रकार की बनाई जाए कि लक्ष्य का 80 प्रतिशत हासिल करने पर 5000 रूपए, 80 से 90 प्रतिशत तक हासिल करने पर 5500 रूपए व इससे अधिक लक्ष्य हासिल करने पर 6000 रूपए की राशि आशा को अवश्य मिलनी चाहिए। आशाओं को मिलने वाला 5 हजार रूपए का वार्षिक बोनस इसके अतिरिक्त होगा। एएनएम/दाईयों को 400 रूपए प्रति माह का मानदेय दिया जाए। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय में भी 500 रूपए प्रति माह की बढ़ोतरी की जाए। आंगनबाड़ी सुपरवाईजर के पदों की संख्या में 20 प्रतिशत वृद्धि कर दी जाए। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को ग्रीष्मकालीन अवकाश भी प्रदान किया जाए। बताया गया कि वर्तमान में इन्हें 5500 रूपए प्रति माह दिया जा रहा है। इसमें 2700 रूपए केंद्र सरकार द्वारा जबकि 2800 रूपए राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा है। उŸाराखण्ड में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को देश में सर्वाधिक मानदेय दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार का प्रमुख फोकस महिला सशक्तिकरण है। महिला उद्यमिता व रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। ‘मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण योजना’ को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए। मनरेगा के अंतर्गत 3 हजार व सामुदायिक निवेश निधि में 2500 महिला स्वयं सहायता समूहों को लाभान्वित किया जाए। इंदिरा अम्मा कैंटीन में 100 महिला स्वयं सहायता समूहों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा जाए। इंदिरा अम्मा कैंटीन व हस्तशिल्प में कार्यरत महिला स्वयं सहायता समूहों को टर्नओवर पर 5 प्रतिशत का बोनस दिया जाए। राज्य में बहुत से महिला स्वयं सहायता समूह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। इन्हें अभियान का रूप देने के लिए ग्रामीण आजीविका मिशन, जायका, जलागम, सहकारिता, ग्राम्य विकास आदि संबंधित विभागों व परियोजनाओं में सामंजस्य स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। लक्षित व समयबद्ध एप्रोच विकसित की जाए। राज्य स्तर पर महिला स्वयं सहायता समूहों को एक छाते के अंतर्गत लाया जाए। ग्राम्य विकास विभाग में इसके लिए एक अलग प्रकोष्ठ बनाकर अपर सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा नियमित रूप से मॉनिटरिंग की जाए। ग्राम्य विकास विभाग में इनकी नियमित समीक्षा की व्यवस्था हो। पिछले कुछ समय से निष्क्रिय हो गए व ऋणग्रस्त महिला स्वयं सहायता समूहों के रिवाईवल की योजना बनाई जाए। एक चार्ट बनाया जाए कि हर माह कितने समूहों को रिवाईव करना है। जिलों में मुख्य विकास अधिकारी को इसके लक्ष्य प्रदान किए जाएं। निष्क्रिय महिला स्वयं सहायता समूहों का 5 हजार रूपए की राशि से राज्य सरकार की ओर से बैंक खाते खोले जाएं।
बैठक में केबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी, मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, प्रमुख सचिव ओमप्रकाश, श्रीमती राधा रतूड़ी, श्रीमती मनीषा पंवार, सचिव शैलेश बगोली, दिलीप जावलकर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।