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वाणिज्य मंत्रालय ने ईसीजीसी के जरिये कार्यशील पूंजी ऋणों के लिए बैंकों की बीमा रक्षा को 90 प्रतिशत तक बढ़ाया

देश-विदेश

नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में एक प्रेस सम्मेलन में निर्यात ऋण बीमा योजना (आईसीआईएस) के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी भी उपस्थित थे। निर्यातों में वृद्धि करने के उपाय के रूप में वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण ने नई दिल्ली में 14 सितंबर, 2019 को इस योजना की घोषणा की थी।

वैश्विक मंदी और फंसे हुए कर्ज (एनपीए) के बढ़ने के कारण बैंकों पर दबाव है और इसलिए उन्हें अतिरिक्त सहायता की जरूरत है। वित्त मंत्रालय ने बैंकों के विलय के कदम उठाए तथा बैंकों को अतिरिक्त पूंजी प्रदान की। बैंकों को और अधिक मदद देने के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने ईसीजीसी के जरिये कार्यशील पूंजी ऋणों के लिए बैंकों की बीमा रक्षा को 90 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। इस कदम से निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा और निर्यात ऋण (रुपये में) की ब्याज दर क्रमशः 4 प्रतिशत और 8 प्रतिशत से नीचे रहेगी। प्रोत्साहन पैकेज से बैंकों को, खास तौर से एमएसएमई क्षेत्रों के लिए निर्यात ऋण प्रदान करने में सुविधा होगी।

एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (ईसीजीसी) द्वारा जारी मौजूदा रक्षा वर्तमान उपभोक्ता बैंकों को प्राप्त होगी तथा इसी तरह की रक्षा अन्य बैंकों को भी उपलब्ध होगी। ईसीजीसी कवर के अंदर आने वाले सभी खातों को ईसीआईएस की रक्षा भी प्राप्त होगी।

इस रक्षा दायरे को बढ़ाया गया है जिसके तहत बकाया मूलधन के अलावा गैर-चुकता ब्याज (अधिकतम 2 तिमाहियों या एनपीए तिथि, जो भी पहले हो) ब्याज को भी रखा गया है। मूलधन और ब्याज, दोनों के संबंध में रक्षा दायरे का प्रतिशत मौजूदा 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दिया गया है।

प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट दोनों के लिए ईसीआईएस के लिए एक एकल कवर दस्‍तावेज जारी किया जायेगा, जबकि वर्तमान में ईसीजीसी द्वारा दो अलग-अलग दस्‍तावेज जारी  किये जाते हैं।

इस योजना में दावे के निपटान के लिए प्रक्रिया को सरल बनाने और बीमित बैंक द्वारा डिफ़ॉल्ट के मामले में अग्रिम के उपयोग के प्रमाण को प्रस्‍तुत करने के 30 दिनों के अंदर 50 प्रतिशत भुगतान करने की परिकल्पना की गई है।

ईसीआईएस सहायता 5 साल की अवधि के लिए लागू होगी और इसके समापन पर, बैंकों को नियमित सुविधाओं के अलावा मानक ईसीजीसी कवर भी उपलब्ध होगा।

80 करोड़ से कम की सीमा वाले खातों के लिए प्रीमियम की दर 0.60 प्रतिवर्ष और 80 करोड़ से अधिक के लिए उसी बढ़े कवर पर यह दर 0.72 प्रतिवर्ष होगी।

बैंक मूलधन और ब्‍याज पर मासिक आधार पर के अनुसार ईसीजीसी को प्रीमियम का भुगतान करेंगे, क्योंकि इस कवर में दोनों बकाया राशियों के लिए कवर की पेशकश की गई है।

इस योजना के तहत, ईसीजीसी अधिकारियों द्वारा बैंक दस्तावेजों और रिकॉर्डों का निरीक्षण 10 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान के लिए अनिवार्य होगा, जबकि वर्तमान में यह सीमा एक करोड़ रूपये है।

प्री-शिपमेंट/पोस्ट-शिपमेंट, डिफॉल्ट की रिपोर्ट, दावा दाखिल करना, विशिष्ट स्वीकृति सूची में ऋणदाता को शामिल करना, रिकवरी साझा करना, क्रेता जांच विशिष्‍ट अनुमोदन सूची और प्रतिबंधित कवर श्रेणी की जाँच और प्रतिबंधित कवर श्रेणी देश की जांच (आरसीसी) के तहत प्रीमियम के साथ मासिक घोषणा और निर्धारित तिथि को सीमा विस्‍तार की मांग के लिए अन्‍य प्रक्रियात्‍मक पहलू ईसीजीसी कवर की मौजूदा शर्तों के अनुसार जारी रहेंगे।

बैंक ऋणदाताओं के लिए उचित तत्‍परता के अनुसार निर्यात वित्‍त से संबंधित भारतीय रिजर्व बैंक और अपने आतंरिक दिशा-निर्देशों का पालन करते रहेंगे।

दावों के तेजी से निपटान के कारण इस प्रस्तावित कवर से पूंजीगत राहत, कम प्रावधान की आवश्यकता और तरलता से क्रेडिट लागत में कमी आयेगी और निर्यात क्षेत्र के लिए समय पर पर्याप्त कार्यशील पूंजी सुनिश्चित होगी।

ईसीजीसी पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है, जिसे क्रेडिट बीमा सेवाएं प्रदान करके निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1957 में स्थापित किया गया था। यह कंपनी बैंकों को प्री एंड पोस्ट शिपमेंट के चरण में निर्यातकों को दिये जाने वाले निर्यात क्रेडिट के कारण होने वाले नुकसान से बचाने के लिए निर्यात क्रेडिट बीमा उपलब्‍ध कराती है। ऐसी हानियां निर्यातक ऋणदाता के दिवालियापन या स्‍थगित डिफाल्‍ट के जोखिम के कारण होती हैं।

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