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पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन लागू करने के लिए राज्यों के साथ अपने प्रयास तेज किए

देश-विदेश

नई दिल्ली: पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने देश के हर जिले को खुले में शौच से मुक्त बनाने (ओडीएफ) की स्थिति अर्जित करने के लिए राज्यों के साथ समन्वय हेतु अपने प्रयास तेज

किए हैं। यह माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मुख्य कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन के तहत मंत्रालय की गतिविधियों का एक हिस्सा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से सरकार का उद्देश्य महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 02 अक्तूबर, 2019 तक भारत को खुले में शौच जाने से मुक्त बनाने का लक्ष्य प्राप्त करना है।

पेयजल और स्वच्छता मंत्री श्री रामकृपाल यादव ने इस सप्ताह मोहाली पंजाब में जल सप्ताह का शुभारंभ किया है। इस अवसर पर मंत्री महोदय ने पंजाब को खुले में शौच जाने से मुक्त बनाने के लिए जनता की भागीदारी से पंजाब सरकार के द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से पारदर्शी तरीके से वास्तविक लाभार्थियों को फायदा हो रहा है। अकेले पंजाब में 13 हजार स्कूलों के 11 लाख स्कूली बच्चों की इस कार्य में योगदान करने की भी उन्होंने सराहना की। इन बच्चों को स्वच्छता दूत बनाया गया है।

बैठकों के तीसरे संस्करण की श्रंखला में मंत्रालय इस क्षेत्र में मदद के लिए राज्य सरकारों के साथ बैठकों का आयोजन कर रहा है। मंत्रालय के सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर ने आज तेलंगाना के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के मुख्य सचिवों से मुलाकात की। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चन्द्रबाबू नायडू ने राज्यों को सहायता देने के लिए केन्द्र सरकार के कदमों की सराहना करते हुए इस वर्ष के अंत तक आंध्र प्रदेश के कम से कम तीन जिलों को खुले में शौच जाने से मुक्त (ओडीएफ) बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर की। तेलंगाना के मुख्य सचिव डॉ. राजीव शर्मा ने भी वर्ष के अंत तक राज्य के कम से कम तीन जिलों को ओडीएफ बनाने का आश्वासन दिया। दोनों राज्यों के जिलाधीशों और वरिष्ठ अधिकारियों ने मंत्रालय के साथ जीवंत सहभागिता चर्चा की और स्वच्छ भारत मिशन के विजन को प्राप्त करने के लिए जमीनी स्तर पर पहलों को साझा किया। उन्होंने बेकार शौचालयों, धन के हस्तांतरण में देरी जैसे मुद्दों को साझा करने के अलावा केन्द्र से क्षमता निर्माण में मदद करने की जरूरत बताई।

स्वच्छ भारत मिशन सिर्फ शौचालयों का निर्माण भर नहीं है। यह हमारे गांवों और शौचालयों को खुले में शौच से मुक्त बनाने से संबंधित है, जिसके लिए हमें लोगों के आचरण में बदलाव लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और विकास से जुड़ी एजेंसियों की भागीदारी से ‘गठबंधन भागीदार’ बनाने की संभावनाएं तलाश रहा है, ताकि राज्यों को मोटे तौर क्षमता निर्माण संबंधी सहायता उपलब्ध करायी जा सके। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि ‘जिला’ इस कार्यक्रम की महत्वपूर्ण इकाई है और उन्होंने इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारियों को अग्रसक्रिय रूप से कार्यक्रम का नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित किया। वर्तमान में भारत में 10 जिले ओडीएफ हैं और जिलाधिकारियों के नेतृत्व में इस संख्या में वृद्धि किए जाने का विचार है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों को स्वच्छ भारत मिशन को सरकार के अन्य विकास संबंधी कार्यक्रमों से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

उन्होंने इस बात पर भी सहमति प्रकट की कि कार्यक्रम में सामूहिक आचरण में बदलाव लाने पर मुख्य रूप से ध्‍यान केंद्रित किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने ग्रामों के स्तर पर ग्राम पंचायतों और स्व सहायता समूहों को और ज्यादा सक्रिय रूप से शामिल करने का सुझाव दिया।

पिछले 2 सप्ताहों में गुजरात और बिहार की सरकारों के साथ मुख्‍यमंत्री और मुख्य सचिव स्तर की बैठके की गयीं और मंत्रालय को दोनों राज्यों से बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, क्‍योंकि पानी और स्वच्छता दोनों राज्यों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र त‍था ग्रामीण स्तर पर सेवाएं प्रदान करने के संबंध में महत्वपूर्ण संघटक हैं।

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