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रेल मंत्रालय ने केरल सरकार के साथ संयुक्‍त उद्यम समझौते पर हस्‍ताक्षर किए

देश-विदेश

नई दिल्ली:रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की गरिमामय उपस्थिति में आज अर्थात 1 सितंबर, 2016 को केरल में रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए रेल मंत्रालय और केरल सरकार के बीच एक संयुक्‍त उद्यम समझौते पर हस्‍ताक्षर किए गए। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री अशोक कुमार मित्‍तल, सदस्‍य (इंजीनियरिंग) श्री आदित्‍य कुमार मित्‍तल एवं बोर्ड के अन्‍य सदस्‍य और अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे। संयुक्‍त उद्यम समझौते पर रेलवे की ओर से कार्यकारी निदेशक (वर्क्‍स) श्री एस.सी.जैन और केरल सरकार की ओर से परिवहन एवं राजस्‍व विभाग (देवास्वोम) में सचिव श्री के.आर.ज्‍यो‍तिलाल ने हस्‍ताक्षर किए।

इस अवसर पर रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि राज्‍य सरकारों के साथ संयुक्‍त उद्यम (जेवी) समझौतों पर हस्‍ताक्षर किया जाना रेल मंत्रालय का एक दूरदर्शी कदम है, जिसके जरिये रेलवे राज्‍य में रेल संबंधी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राज्‍य सरकारों के साथ मिलकर आवश्‍यक कदम उठाना चाहती है। उन्‍होंने कहा कि इस तरह का संयुक्‍त उद्यम समझौता राष्‍ट्र के विकास के लिए सहकारी संघवाद का सर्वोत्‍तम उदाहरण है जिसकी परिकल्‍पना प्रधानमंत्री ने की है। श्री सुरेश प्रभु ने इस ओर ध्‍यान दिलाया कि लंबे समय से केरल की उपेक्षा की जाती रही है और अब केरल के रेल संबंधी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि रेल मंत्रालय ने वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2016-17 तक की अवधि के दौरान केरल को अधि‍कतम आवंटन किया है। उन्‍होंने कहा कि रेलवे केरल राज्‍य के कोच्‍चि‍एवं एर्नाकुलम स्‍टेशनों के पुनर्विकास पर भी काम कर रही है।

इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि आज के संयुक्‍त उद्यम समझौते से केरल की जनता की रेल परिवहन संबंधी जरूरतें अवश्‍य ही पूरी होंगी। उन्‍होंने कहा कि रेलवे सभी जगहों पर विशेषकर उन राज्‍यों में रेल नेटवर्क का विस्‍तार करना चाहती है जहां मांग अपेक्षाकृत ज्‍यादा है और रेल घनत्‍व कम है। उन्‍होंने कहा कि रेलवे के पास बेहद सीमित संसाधन हैं, अत: संयुक्‍त उद्यम समझौते के जरिये राज्‍य सरकारों के साथ गठबंधन करने से देश के लोगों के लिए सार्थक नतीजे सामने आ सकते हैं।

समझौते की मुख्‍य बातें

• भारतीय रेलवे दूर-दराज के स्थानों को जोड़कर और लोगों को एक-दूसरे के करीब लाकर राष्ट्रीय एकता में प्रमुख भूमिका निभा रही है। नेटवर्क के विस्‍तारीकरण के लिए व्‍यापक मांग रेलवे से की जाती है, क्‍योंकि रेलवे लाइन उस क्षेत्र में विकास इंजन की भूमिका निभाती है, जहां उसे बिछाया जाता है।

• रेलवे बड़ी संख्‍या में नई लाइनों, आमान परिवर्तन और दोहरीकरण से जुड़ी परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिन्‍हें पूरा करने के लिए लगभग 3.86 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है। हम धनराशि की सीमित उपलब्‍धता के साथ लोगों की अपेक्षाएं पूरी कर रहे हैं।

• परियोजनाओं के क्रियान्‍वयन में तेजी लाने के लिए रेलवे सकल बजटीय सहायता से इतर अन्‍य स्रोतों से भी संसाधन जुटाने की कोशिश कर रही है। इस मिशन के लिए 10 राज्‍य सरकारों ने 41 मौजूदा परियोजनाओं की कुल लागत का 25 फीसदी से लेकर 67 फीसदी तक साझा करने पर सहमति जताई है। कुछ राज्‍य निर्माण लागत को साझा करने के अलावा मुफ्त में भूमि मुहैया करा रहे हैं।

• विभिन्‍न राज्‍यों में रेल लाइनों की बढ़ती मांग और उन्‍हें बिछाने के ‍लिए धन की बड़ी आवश्‍यकता को ध्‍यान में रखते हुए माननीय रेल मंत्री ने परियोजना विकास, संसाधन जुटाने, भूमि अधिग्रहण, परियोजना क्रियान्‍वयन और महत्‍वपूर्ण रेल परियोजनाओं की निगरानी पर ध्‍यान केंद्रित करने के लिए राज्‍यों के साथ मिलकर संयुक्‍त उद्यमों की स्‍थापना के लिए पहल की है।

• संयुक्‍त उद्यमों की स्‍थापना से अन्‍य योजनाओं को ध्‍यान में रखते हुए राज्‍यों की आवश्‍यकताओं की पहचान करने, परियोजनाओं के वित्‍त पोषण के लिए अवसरों की तलाश करने, इत्‍यादि में काफी मदद मिलेगी। ओडिशा, हरियाणा, छत्‍तीसगढ़ एवं गुजरात की सरकारें इस उद्देश्‍य से रेल मंत्रालय के साथ संयुक्‍त उद्यम समझौते पर पहले ही हस्‍ताक्षर कर चुकी हैं।

• केरल में रेलवे नेटवर्क का घनत्‍व वर्तमान में 2.70 किलोमीटर प्रति 100 वर्ग किलोमीटर है, जो 2.01 किलोमीटर प्रति 100 वर्ग किलोमीटर के राष्‍ट्रीय औसत से अधिक है। हालांकि, यह एक प्रमाणित तथ्‍य है कि पूरे देश में रेलवे नेटवर्क के घनत्‍व को बेहतर करने की जरूरत है और इस दिशा में राज्‍यों का आगे आना एक स्‍वागत योग्‍य कदम है।

• इन संयुक्‍त उद्यमों से जुड़े समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए जाने से केरल राज्‍य में बुनियादी ढांचे के विकास में काफी मदद मिलेगी।

• वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2016-17 तक की अवधि के दौरान रेल बजट में केरल के लिए औसत परिव्‍यय 821.0 करोड़ रुपये रहा है, जो वर्ष 2009-10 से लेकर वर्ष 2013-14 तक की अवधि के दौरान दर्ज किए गए 371.9 करोड़ रुपये के औसत परिव्‍यय से 121 फीसदी अधिक है।

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