देहरादूनः राज्य में किराऐदारी क्षेत्र को एक औपचारिक बाजार के तौर पर संतुलित एवं न्यायसंगत बनाते हुए भारत सरकार के स्तर पर आदर्श किराएदारी अधिनयम (एमटीए) विकसित किया गया है, जिसे राज्य द्वारा अपनाया गया है। इससे किराऐदारों तथा मालिकों के बीच एक औपचारिक व विधिसम्मत सुरक्षा विकसित करने हेतु मदद मिलेगी। इस अधिनियम पर आम नागरिकों के परामर्ष, सुझाव तथा षिकायतों को आमंत्रित करते हुए सार्वजनिक किया गया है।
संयुक्त निदेषक, षहरी विकास निदेषालय, श्री कमलेष मेहता द्वारा अवगत कराया गया कि इस अधिनियम को षहरी विकास निदेषालय की बेबसाईट – www.udd.uk.gov.in पर पढ़ा अथवा डाउनलोड किया जा सकता है। आम नागरिकों की ओर से इस अधिनियम पर 31 अक्टूबर 2020 तक अपनी राय, सुझाव अथवा आपत्तियों को ई-मेल – pmayurbanuk@gmail.com के माध्यम से भेजा जा सकता है।
जनगणना ( 2011 ) के अनुसार शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 110 लाख आवास खाली पड़े थे। इन आवासों के किराए के प्रयोजन हेतु उपलब्ध न होने का एक मख्यु कारण राज्य/सघं राज्य क्षेत्रों का मौजूदा किराया कानून है। जो आवासों को किराए पर देने को हतोत्साहित करता है। आबादी का एक भाग, विशेषतः प्रवासियों का है जो किराए पर लिए गए आवास को वरीयता देते हैं। क्योंकि इससे आने-जाने पर कम व्यय करना पडता है और ‘कार्यस्थल’ के पास रहने का विकल्प मिल जाता है। यह उम्मीद की जा रही है कि यह कानून देश भर में किराया आवास के सबंध में कानूनी ढांचे में आमलू-चूल परिवर्तन लाने में सहायक होगा। इससे किराया आवास क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है जिससे आवासों की भारी कमी को दूर किया जा सकेगा।
बयान
सचिव षहरी विकास विभाग, उत्तराखण्ड सरकार द्वारा अधिनियम की पृश्ठभूमि पर बात करते हुए बताया कि एमटीए प्रवासियों, औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों पेशेवरों, छात्रों आदि सहित समाज के विभन्न आय वर्ग के लिए पर्याप्त किराया आवासीय स्टॉक उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। गुणवत्तापूर्ण किराया आवास को उपलब्ध कराने को बढ़ावा देने और किराया आवास बाजार क्रमिक रूपसे बनाने में सक्षम होगा।
सबको आवास उपलब्ध कराने के लिए
शहरी आबादी का अनुपात 2001 के 27.82ः से 2011 में बढ़कर 31.16ः हो गया है और 2050 में शहरी आबादी 50ः से भी जायदा होने का अनुमान है। इस बढ़ती हुई शहरी आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शिक्षा, रोजगार, स्यापार, स्वास्थ सेवाओं तथा बेहतर जीवनयापन हेतु, शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करता है। पलायन एक ही शहर में एक हिस्से से दुसरे हिस्से में भी होता है। तदनुसार, माननीय प्रधानमंत्री जी के 2022 तक ‘सबके लिए आवास’ के उद्देष्य के अनुरूप, एमटीए को भू-स्वामी और किराएदार दोनों के हितों और अधिकारां में संतुलन स्थापित करने और अनुशासित और कुशल तरीके से पिरसरों को किराए पर देने हेतु जवाबदेह और पारदर्शी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए तैयार किया गया है।
औपचारिक एवं कानूनी सुरक्षा से बढ़ेगा किराया बाजार
किराए की अधिकतम सीमा से किराए के आवासों की गुणवत्ता और संख्या में भी कमी आई है, जिससे किराए की राशि में कमी आई है, जिसके कारण आवास मालिक पिरसरों को किराए पर देने हेतु हतोत्साहित हुए हैं। इसके कारण किराए के आवास वित्तीय रुप से अनाकर्शक हुए हैं, जिसके परिणाम स्वरूप किराए का बाजार बुनियादी सुविधाओं के अभाव में अनौपचारिक व कम गुणवत्ता वाला समझा जाने लगा है।
एमटीए किराये के प्रयोजन के लिए रिक्त पिरसरों का उपयोग करने और किराया बाजार को आकर्षक, सुस्थिर एंव समावेशी बनाने में सक्षम होगा। एमटीए किराया बाजार के विकास को प्रोत्साहित करेगा एवं निवेश को आकिषर्त करेगा और किराया आवास क्षेत्र में उद्ययमशीलता के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा।
प्रस्तावित कानून के दूरगामी परिणामों को देखते हुए, षहरी विकास विभाग की ओर से जनसामान्य एवं अन्य भागीदारों से ‘‘आदर्श किराएदारी अधिनयम’’ पर अपने टिप्पणी/सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।