नई दिल्ली: आने वाले समय में मानव समाज पर वैश्विक महामारी कोरोना के असाधारण मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव को महसूस करते हुए नेशनल बुक ट्रस्ट “कोरोना अध्ययन श्रृंखला” के तहत पुस्तकों का प्रकाशन करेगा। इसके अंतर्गत कोरोना के बाद के समय में सभी आयु-वर्गों के लिए प्रासंगिक पठन सामग्री का प्रकाशन किया जाएगा। नेशनल बुक ट्रस्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत एक राष्ट्रीय निकाय है जो पुस्तकों का प्रकाशन करती है और पुस्तकों को बढ़ावा देती है। नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन प्रो. गोविन्द प्रसाद शर्मा ने कहा, “इतनी बड़ी राष्ट्रीय आपदा के समय में हमारा मानना है कि एक राष्ट्रीय संस्थान होने के नाते हम अपने क्षेत्र में कार्य करते हुए सहायता प्रदान करें और नई पठन सामग्री का प्रकाशन करके समर्थन प्रदान करें। “कोरोना अध्ययन श्रृंखला” हमारा दीर्घावधि योगदान होगा। इसके तहत कोरोना समय के विभिन्न पहलुओं से पाठकों को रुबरू कराया जाएगा। चिन्हित विषय वस्तु पर विभिन्न भारतीय भाषाओं में किफायती पुस्तकें प्रकाशित की जाएंगी। इस विषय पर योगदान देने के इच्छुक लेखकों तथा शोधकर्ताओं को भी यह उपयुक्त मंच प्रदान करेगा।”
नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक श्री युवराज मलिक ने कहा, “हम कोरोना संबंधी घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और वैश्विक महामारी कोरोना की चुनौतियों से निपटने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बहु-आयामी पहलों से भी जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। पठन-पाठन को बढ़ावा देने वाले एक निकाय के रूप में हमें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। हमने #StayHomeIndiaWithBooks पहल की शुरुआत की। सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तकों को पीडीएफ फार्मेट में अपलोड किया गया और लोगों को निःशुल्क डाउनलोड की सुविधा दी गई। हमें लोगों की बहुत अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए हम इस प्रकाशन श्रृंखला की शुरुआत कर रहे हैं। पहले कदम में रूप में हमने कुछ अनुभवी एवं युवा मनोवैज्ञानिकों/परामर्शदाताओं को शामिल कर एक अध्ययन समूह का गठन किया है जो ‘कोरोना महामारी का मनोवैज्ञानिक-सामाजिक प्रभाव और इसका सामना करने के तरीके’ उप-विषय पर पुस्तकें तैयार करेगा। हम आशा करते हैं कि हम जल्द ही इन पुस्तकों के ई-संस्करण और मुद्रित संस्करण लेकर आएंगे। यह सामग्री पाठकों को समर्थन प्रदान करेगी।”
इस परियोजना की अगुवाई करने वाले और नेशनल बुक ट्रस्ट के वरिष्ठ संपादक श्री कुमार विक्रम ने कहा, “कोरोना अध्ययन श्रृंखला के अंतर्गत हमने उपयुक्त पठन सामग्री को तैयार करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों की पहचान की है। ‘कोरोना के कारण आबादी के विभिन्न वर्गों पर मनोवैज्ञानिक-सामाजिक प्रभाव’ उप विषय के अलावा हम बच्चों के लिए पुस्तकें तैयार कर रहे हैं, जो उन्हें कोरोना-योद्धाओं के बारे में जानकारी देगा। कोरोना के विभिन्न आयामों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कहानियों और सचित्र पुस्तकें प्रकाशित की जाएगी। इसके अतिरिक्त कला, साहित्य, लोककथा, आर्थिक और समाजशास्त्रीय आयाम, वैश्विक महामारी कोरोना से उत्पन्न विज्ञान/स्वास्थ्य जागरुकता तथा लॉकडाउन पर भी पुस्तकों के प्रकाशन की योजना है।”
एनबीटी अध्ययन समूह में शामिल हैं- डॉ. जितेन्द्र नागपाल, डॉ. हर्षिता, स्क्वैड्रन लीडर (सेवानिवृत्त) मीना आरोड़ा, लेफ्टिनेंट कर्नल तरुण उप्पल, श्रीमती रेखा चौहान, श्रीमती सोनी सिद्धू और सुश्री अपराजिता दीक्षित।
अध्ययन समूह द्वारा निम्न विषयों पर पुस्तकें तैयार की जाएंगीः-
1. कोरोना वायरस (कोविड-19) प्रभावित परिवार: प्रमुख शोधकर्ता- स्क्वैड्रन लीडर (सेवानिवृत्त) मीना अरोड़ा और डॉ. हर्षिता, 2. बुजुर्ग लोग: प्रमुख शोधकर्ता- डॉ. जितेन्द्र नागपाल और सुश्री अपराजिता दीक्षित, 3. माता-पिता, माता/महिलाओं पर विशेष ध्यान: प्रमुख शोधकर्ता- लेफ्टिनेंट कर्नल तरुण उप्पल और श्रीमती सोनी सिद्धू, 4. बच्चे और किशोर: प्रमुख शोधकर्ता- सुश्री अपराजिता दीक्षित और श्रीमती रेखा चौहान, 5. पेशेवर और कामगार: प्रमुख शोधकर्ता- डॉ. जितेन्द्र नागपाल और लेफ्टिनेंट कर्नल तरुण उप्पल, 6. कोरोना के योद्धा: चिकित्सा और आवश्यक सेवा प्रदाता- प्रमुख शोधकर्ता- स्क्वैड्रन लीडर (सेवानिवृत्त) मीना अरोड़ा और श्रीमती सोनी सिद्धू, 7. विशेष क्षमता वाले, विशेष जरूरत वाले और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण जनसंख्या: प्रमुख शोधकर्ता– डॉ. हर्षिता और श्रीमती रेखा चौहान।