नई दिल्ली: केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने आज यहां राष्ट्रीय जनजातीय हस्तशिल्प मेला ‘’आदिशिल्प’’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस तरह के मेले हमारे जनजातीय हस्तशिल्पयों को उनकी प्रतिभा और उत्पाद, शहरी भारत तक पहुंचाने में बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। श्री ओराम ने कहा कि भारतीय जनजातीय विपणन विकास सहकारी संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) अपने 44 वितरण केंद्रों के माध्यम से देशभर में जनजातीय उत्पादों को आवश्यक बाजार उपलब्ध कराता है।
श्री ओराम ने कहा कि ‘जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय हस्तशिल्पयों के लिए और अधिक ऐसे मंच उपलब्ध कराएगा ताकि वे बिचौलियों के बिना सीधे अपने उत्पाद उपभोक्ताओं तक पहुंचा सकें।’ मंत्री महोदय ने मीडिया, स्वयंसेवी संगठनों और विशेषकर शहरी युवा वर्ग का आह्वान किया कि वे जनजातीय उत्पादों को लोकप्रिय बनाने और जनजातियों को देश की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए आगे आएं।
राजधानी के आईएनए स्थित दिल्ली हाट में आयोजित आदिशिल्प मेला इस महीने की 11 तारीख तक जनता के लिए खुला रहेगा। स्टॉलों पर अदभुत व बेहतरीन जनजातीय शिल्प कलाओं का प्रदर्शन किया गया है। इसमें देशभर से आये लगभग 90 जनजातीय शिल्पकार अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मेले में हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, सूखे फूल, बेंत व बांस के उत्पाद, जनजातीय आभूषण, ढोकरा शिल्प, जनजातीय बुनाई और कढ़ाई तथा जनजातीय चित्रकला आदि का प्रदर्शन किया गया है।
‘आदिशिल्प’ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य जनजातीय दस्तकारों को उनके उत्पादों को प्रदर्शित करने और ग्राहकों को सीधे बेचने तथा उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त कर महत्वपूर्ण डिजाइन एवं अन्य इनपुट प्राप्त करने का अवसर प्रदान करना है। आदिशिल्प उन्हें कला एवं शिल्प प्रेमियों से प्रत्यक्ष संवाद करने और शहरी अभिजात्य वर्ग से अपना कौशल साझा करने और ग्राहकों से उनकी पसंद जानने हेतु एक बेहतर मंच प्रदान करता है।
ट्राईफेड, जनजातीय उत्पादों के विपणन और विकास हेतु विभिन्न प्रकार की पहल करता रहा है। वर्ष 1999 में दिल्ली में स्थापित ट्राइब्स इण्डिया के पहले बिक्री केन्द्र से लेकर अब तक इसने देशभर में अपने 34 व कन्साइनमेंट आधार पर 10 बिक्री केन्द्र खोल लिए हैं। ट्राईफेड, जनजातीय हस्तशिल्प मेलों के आयोजन के जरिये विभिन्न क्षेत्रों/राज्यों से नये जनजातीय शिल्पकारों और उत्पादों की पहचान के जरिये जनजातीय उत्पादों के बारे में पहल करता है। यहां जनजातीय दस्तकारों को उनके उत्पादों के प्रर्दशन एवं ट्राईफेड द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों में उनके उत्पाद शामिल करने हेतु आमंत्रित किया जाता है। उत्पादों में सुधार और बेहतर बाजार प्रत्याशा के लिए उन्हें डिजाइन और गुणवत्ता आधारित इनपुट भी दिये जाते हैं।
जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत ट्राईफेड भारत सरकार का एकमात्र ऐसा निकाय है, जो पारंपरिक जनजातीय उत्पादों जैसे धातु शिल्प, चित्रकारी, कपड़े, आभूषण, प्राकृतिक, जैविक और आयुर्वेद उत्पादों के विपणन और विकास में संलग्न है। ट्राईफेड का मुख्य उद्देश्य जनजातियों को उनके उत्पादों के लिए उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित करते हुए उनके सांस्कृतिक ज्ञान और पारंपरिक कौशल के आधार पर उनके लिए दीर्घकालिक बाजार व विपणन अवसर पैदा कर उनकी आजीविका में सुधार लाना है। ट्राईफेड, जनजातीय शिल्पकारों व लघुवन उत्पाद संग्राहकों के क्षमतावर्धन व कौशल उन्नयन हेतु प्रशिक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करता है।