नई दिल्ली: आज 38 और नई मंडियों को ई-नाम प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत किया गया, जिसके परिणामस्वरूप नियोजित लक्ष्य के अनुसार 415 मंडियों की एक और उपलब्धि हासिल हुई। 38 मंडियां मध्य प्रदेश (19), तेलंगाना (10), महाराष्ट्र (4) और (1) गुजरात, हरियाणा, पंजाब, केरल और जम्मू-कश्मीर से एकीकृत हैं।
पहले चरण में 585 मंडियों की समग्र सफलता के साथ दूसरे चरण में 415 नई मंडियों को एकीकृत करने के लिए ई-नाम का और विस्तार किया गया। ई-नाम प्लेटफॉर्म में अब 18 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की 1000 मंडियां हैं
आज इस अवसर पर लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ (एसएफएसी), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में ई-नाम को लागू करने के लिए प्रमुख एजेंसी होने के नाते, भारत सरकार के सभी ई-नाम राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को धन्यवाद प्रेषित करता है, विशेषकर उनके विपणन बोर्डों, मंडी सचिवों, पर्यवेक्षकों, गुणवत्ता परख, तौल ऑपरेटरों, सेवा प्रदाताओं, किसानों, एफपीओ, व्यापारियों एवं टीम ई-नाम के असाधारण समर्थन के लिए धन्यवाद करता है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम ), एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है जिसका उद्घाटन 14 अप्रैल 2016 को भारत के माननीय प्रधान मंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा, एक ऑनलाइन मार्केट प्लेटफ़ॉर्म के रूप में मौजूदा मंडियों को नेटवर्किंग करने के उद्देश्य से किया गया था। जिससे भारत में कृषि जिंसों के लिए “एक राष्ट्र एक बाजार ” का निर्माण हो सके।
भारत सरकार की यह डिजिटल पहल, सभी एपीएमसी संबंधित सूचना और सेवाओं के लिए एकल खिड़की सेवा प्रदान करती है, जिसमें कृषि जिंसों का आगमन, गुणवत्ता परख, प्रतिस्पर्धी बोली प्रस्ताव और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सीधे किसानों के खातों में, शामिल हैं। यह ऑनलाइन डिजिटल बाजार लेनदेन की लागत को कम करने, सूचना विषमता को दूर करने एवं किसानों और अन्य हितधारकों के लिए बाजार पहुंच के विस्तार में मदद करना है।
पिछले 4 वर्षों में ई-नाम ने 1.66 करोड़ किसानों, 1.31 लाख व्यापारियों , 73151 कमीशन एजेंटों और 1012 एफपीओ को उपयोगकर्ता आधार पर पंजीकृत किया है। 14 मई 2020 तक, कुल 3.43 करोड़ मीट्रिक टन और 38.16 लाख नंबरों (बांस और नारियल) की कुल मात्रा ने सामूहिक रूप से ई-नाम प्लेटफ़ॉर्म पर 1 लाख करोड़ रु के उल्लेखनीय कारोबार को पार कर लिया है। वर्तमान में, खाद्यान्न, तिलहन, रेशे, सब्जियों और फलों सहित 150 वस्तुओं का व्यापार ई-नाम पर किया जाता है।
कोविड19 (COVID-19 ) लॉकडाउन संकट के कारण किसानों को होने वाली कठिनाइयों का समाधान करने के लिए, 2 अप्रैल 2020 को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री माननीय श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ई-नाम के 3 नए मॉड्यूल लॉन्च किए।
1. ई-नाम पर एफपीओ मॉड्यूल: यह मॉड्यूल एफपीओ को अपने संग्रह केंद्रों जो “डीम्ड मार्केट” या “सब मार्केट यार्ड” के रूप में घोषित हैं , उनसे कृषि जिंसों के व्यापार का संचालन करने में सक्षम बनाता है। अब तक, ई-नाम प्लेटफॉर्म पर 1012 एफपीओ पंजीकृत हैं, और 8.11 करोड़ रुपये मूल्य की 3053 मीट्रिक टन कृषि-उपज का कारोबार किया है। इनमें हाल ही में शुरू किए गए एफपीओ मॉड्यूल के माध्यम से 42 एफपीओ ने अपने स्वयं के संग्रह केंद्र से कारोबार किया।
2. वेयरहाउस आधारित –(इलेक्ट्रॉनिक निगोशिएबल वेयरहाउस रसीदें – eNWR) ट्रेडिंग: वेयरहाउस आधारित (eNWR) ट्रेडिंग के लिए, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्यों ने डब्ल्यू डी आर ए (WDRA )रजिस्टर्ड क्रमशः 23 एवं 14 केंद्रीय भंडारण निगम (CWC ) के गोदामों को एक समतुल्य बाजार घोषित किया है। राजस्थान सरकार ने हाल ही में 138 राज्य सरकार और सहकारी गोदामों को उप बाजार यार्ड घोषित किया है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब ने गोदाम आधारित व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने संबंधित एपीएमसी अधिनियम में संशोधन शुरू किया है।
3. लॉजिस्टिक मॉड्यूल: यह कृषि जिंसों को खेत से मंडियों और मंडियों से गोदाम / उपभोग केंद्रों तक ले जाने की सुविधा प्रदान करता है। 2.3 लाख ट्रांसपोर्टर्स और 11.37 लाख वाहनों से जुड़े नौ लॉजिस्टिक सर्विस प्रोवाइडर / एग्रीगेटर ई-नाम प्लेटफॉर्म से जुड़ गए हैं ।
1 मई 2020 को, आरईएमएस- यूएमपी {(ReMS –UMP)यूनिफाइड मार्केट पोर्टल } और ई-नाम पोर्टल के बीच अंतर-संचालन शुरू किया गया था। इस नए मॉड्यूल में कर्नाटक के आरईएमएस – यूएमपी और ई-नाम प्लेटफॉर्म पर किसान और व्यापारी इंटर-प्लेटफॉर्म ट्रेड / व्यापार कर सकते हैं। अंतर-परिचालन सुविधाओं और इसके विपरीत का उपयोग करके व्यापार के लिए और अधिक बाजारों तक पहुंच बनाने के लिए यह पहल मदद करेगी।
ई-नाम के ये क्रांतिकारी कदम निश्चित रूप से किसानों, व्यापारियों और मंडियों को सामूहिक रूप से एकजुट होकर एक इकाई के रूप में कार्य करने एवं राष्ट्र को ऑनलाइन बिक्री और कृषि-खरीद की दिशा में ई-नाम पोर्टल के माध्यम से आगे ले जाने में मददगार साबित होंगे और इसे एक राष्ट्र एक बाजार लक्ष्य की दिशा में और मजबूत करेंगे।