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वर्तमान राज्य सरकार ने कर्तव्यपालन के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों व अर्द्धसैनिक बलों के आश्रितों को शासकीय सेवा में लिए जाने का निर्णय लिया: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊउत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां आयोजित अमर शहीद सम्मान कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश के मूल निवासी शहीद सैनिकों, अर्द्धसैनिक बलों तथा प्रदेश पुलिस बल के कार्मिकों के आश्रितों को राज्य की शासकीय सेवा में नियोजित किए जाने हेतु नियुक्ति पत्र प्रदान किए। उन्होंने शहीद सैनिकों के 06 आश्रितों एवं अर्द्ध सैनिक बलों के शहीदों के 19 आश्रितों को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार नियुक्ति पत्र प्रदान किया। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश पुलिस के 61 मृतक आश्रितों को भी नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया। इनमें से 44 को आरक्षी तथा 17 को उपनिरीक्षक पद पर सेवायोजित किया जाएगा।

राज्यपाल जी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि भारत की सेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेना मानी जाती है। वर्ष 1947, 1965, 1971 तथा कारगिल के युद्ध के अवसर पर जब-जब भारत पर आक्रमण हुआ है। भारत की वीर सेनाओं ने शत्रुओं को परास्त कर देश का माना बढ़ाया है। अमर शहीदों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम से राष्ट्र की शहीद सैनिकों के प्रति कृतज्ञता की झलक मिलती है।

राज्यपाल जी ने कहा कि सैनिकों का शहीद होना उनके परिवारीजनों सहित हम सभी के लिए दुःखद है। किन्तु उन्होंने देश की रक्षा और सम्मान के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। यह तथ्य शहीदों के परिवार के सदस्यों सहित हम सभी को गर्व की अनुभूति से भी भर देता है। उन्होंने कहा कि देश और समाज, राष्ट्र रक्षा हेतु बलिदान देने वाले शहीदों को कभी नहीं भुला सकता।

इस अवसर पर देश के लिए शहीद होने वाले सैनिकों के शौर्य को नमन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि एक शहीद सैनिक राष्ट्र के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान करता है। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि ऐसे सैनिक के प्रति सर्वोच्च सम्मान व्यक्त करे। राज्य सरकार शहीद जवानों के प्रति न केवल सम्मान का भाव रखती है, बल्कि उनके परिवारीजनों के प्रति पूरी संवेदनशीलता के साथ खड़ी है। राज्य सरकार जम्मू-कश्मीर के पुलवामा की आतंकी घटना में सी0आर0पी0एफ0 के उत्तर प्रदेश के मूल निवासी शहीद जवानों तथा 01 अप्रैल, 2017 के बाद से कर्तव्य पालन के दौरान शहीद होने वाले उत्तर प्रदेश के मूल निवासी सैनिकों एवं अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के आश्रितों को प्रदेश की शासकीय सेवा में नियोजित करने की कार्यवाही कर रही है। इसके तहत आश्रितों को नियुक्ति पत्र वितरित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बड़ी संख्या में प्रदेश के युवा, सेना, अर्द्धसैनिक बलों तथा पुलिस बल में कार्यरत हैं। राज्य में साढ़े चार लाख से अधिक पूर्व सैनिक निवास करते हैं। वर्तमान राज्य सरकार ने सशस्त्र सेना के तीनों सेनाओं और अर्द्धसैनिक बलों में कार्यरत रहते हुए कर्तव्यपालन के दौरान दिनांक 01 अप्रैल, 2017 के पश्चात शहीद होने वाले सैनिकों व अर्द्धसैनिक बलों के आश्रितों को शासकीय सेवा में लिए जाने का निर्णय लिया है। इससे पूर्व, शहीद सैनिकों एवं अर्द्धसैनिक बलों के आश्रितों को शासकीय सेवा में लिए जाने की व्यवस्था नहीं थी। इस व्यवस्था के तहत राज्य सरकार द्वारा आज शहीद सैनिकों के 06 आश्रितों एवं अद्धसैनिक बलों के शहीदों के 19 आश्रितों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश पुलिस के 61 मृतक आश्रितों को भी नियुक्ति पत्र प्रदान किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शहीदों के आश्रितों को शासकीय सेवा में सम्मिलित कर एक तरीके से शहीदों के ऋण की प्रतिपूर्ति का प्रयास किया जा रहा है। 01 अप्रैल, 2017 के बाद से प्रदेश के निवासी सेना के कुल 15 वीर जवानों के शहीद होने का प्रकरण संज्ञान में आया है। इनमें से 06 शहीद सैनिकों के आश्रितों को आज नियुक्ति पर प्रदान किया जा रहा है। शेष 09 शहीद सैनिकों के आश्रितों में से 03 आश्रितों द्वारा सेवायोजन के प्रति अनिच्छा व्यक्त की गयी है। 03 आश्रितों के आवेदन अप्राप्त हैं, जिन्हें प्राप्त करने की कार्यवाही गतिमान है। एक शहीद सैनिक के आश्रित के नाबालिग होने के कारण अभी तक आवेदन नहीं किया गया है। एक शहीद सैनिक की वीर नारी पहले से ही सेवायोजित है। एक शहीद सैनिक की वीर नारी को असाधारण पारिवारिक पेंशन स्वीकृत है। जिला अधिकारियों को इनके आवेदन पत्र प्राप्त करने के निर्देश दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा अर्द्धसैनिक बलों के 24 शहीद वीर जवानों के प्रकरण आये हैं। इनमें से 19 शहीदों के आश्रितों को नियुक्ति पत्र वितरित किया जा रहा है। अवशेष 5 मामलों में से 02 आश्रितों शासकीय सेवा हेतु न्यूनतम आयु कम होने तथा, 02 आश्रितों की शासकीय सेवा हेतु न्यूनतम शैक्षिक अर्हता पूर्ण न होने के कारण उनके द्वारा आवेदन नहीं किया गया है। कालान्तर में शासकीय सेवा हेतु उनके द्वारा आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जाएगा। एक शहीद के आश्रित के कुटुम्ब के सदस्य (पत्नी एवं पुत्र) के स्थान पर शहीद के भाई द्वारा सेवायोजन की मांग की गयी है। शासनादेश में शहीद के कुटुम्ब के सदस्यों के अलावा अन्य सदस्य को मृतक आश्रित रूप में शासकीय सेवा दिये जाने का प्राविधान नहीं है। इसलिए इस सम्बन्ध में नियमों को शिथिल करने की कार्यवाही की जाएगी।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्व सैनिकों की अधिकतर समस्याएं उनके पुनर्वास, नौकरी, बच्चों की पढ़ाई आदि से सम्बन्धित होती हैं। इन समस्याओं के निवारण हेतु राज्य सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है। वर्तमान राज्य सरकार ने विगत 01 वर्ष में शहीद सैनिकों के परिवार तथा पूर्व सैनिकों के कल्याण हेतु अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। राज्य सरकार ने 15 जून, 2018 को, वर्ष 1986 के पूर्व के वीर चक्र श्रृंखला व सेना मेडल, पेंशन इन डिस्पैच के वीरता पुरस्कार विजेताओं को एकमुश्त धनराशि एवं वार्षिकी धनराशि में उल्लेखनीय वृद्धि करने का निर्णय लिया है। इसके अन्तर्गत परमवीर चक्र विजेताओं (जो वर्ष 1986 से पूर्व विभूषित हैं) को एकमुश्त 32 लाख 50 हजार रुपए की धनराशि एवं 1 लाख 95 हजार रुपए वार्षिकी दिए जाने का निर्णय लेते हुए शासनादेश निर्गत किया गया है। पूर्व में, मात्र 15 हजार रुपए की धनराशि एकमुश्त तथा हजार रुपए वार्षिकी प्रदान की जाती थी।

इसी प्रकार, राज्य सरकार ने प्रदेश के निवासी वीरता पुरस्कार से सम्मानित सैनिकों के कल्याण एवं मनोबल बनाये रखने के उद्देश्य एकमुश्त धनराशि एवं वार्षिकी की धनराशि में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इसके तहत 10 जुलाई, 2018 के बाद वीरता पुरस्कार पाने वाले सैनिकों में से परमवीर चक्र विजेता को 52 लाख रुपए, महावीर चक्र विजेता को 31 लाख रुपए तथा वीर चक्र विजेता को 20.80 लाख रुपए एकमुश्त तथा क्रमशः 3.12 लाख, 2.37 लाख तथा 1.37 लाख वार्षिकी धनराशि देने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्व सैनिकों तथा वीर नारियों का पुनर्वास समुचित ढंग से हो सके व उनके द्वारा सम्मानजनक तरीके से जीवनयापन किया जा सके, इसके लिए शासन द्वारा उनके द्वारा लिए गये 3 लाख रुपए तक के ऋण की ब्याज दरों में 4 प्रतिशत अनुदान वहन करने का भी निर्णय लिया गया है। इसके माध्यम से पूर्व सैनिकों तथा वीर नारियों को ऋण अदायगी में आने वाली कठिनाइयों का निराकरण किया गया है। इससे प्रत्येक पात्र लाभार्थी को 12 हजार रुपए तक का अनुदान प्राप्त होगा।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा यह अनुभव किया गया है कि सशस्त्र सेना झण्डा दिवस के अवसर पर इस हेतु स्थापित निधि में औसत 1.75 करोड़ रुपए की धनराशि प्रतिवर्ष एकत्र होती है। इससे सैनिकों का अपेक्षित कल्याण सम्भव नहीं हो पाता। इसलिए पहली बार यह निर्णय लिया गया है कि राज्य सरकार, एकत्र की जाने वाली धनराशि की तीन गुना अधिक धनराशि अपनी तरफ से निधि में जमा कराएगी, ताकि हमारे वीर सैनिकों के कल्याण हेतु निधि की कमी न रहे।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सैनिकों के कल्याण तथा उनके सुख-सुविधाओं हेतु साढे़ पांच करोड़ रुपए की धनराशि से चार जनपदों-प्रयागराज, मेरठ, कौशाम्बी तथा मऊ जनपद में नवीन सैनिक कल्याण कार्यालय व विश्राम गृह का निर्माण कराया जा रहा है। साढ़े तीन करोड़ रुपए की धनराशि से 09 जनपदों में सैनिक विश्राम गृहों का जीर्णाेद्धार भी कराया जा रहा है। भविष्य में चरणबद्ध तरीके से प्रदेश के समस्त सैनिक विश्राम गृहों का जीर्णाेद्धार कराये जाने की योजना है। इससे हमारे वीर सैनिकों व जवानों को सैनिक कल्याण कार्यालय जाने पर किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी।

कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य तथा डाॅ0 दिनेश शर्मा ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री, सैनिक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अनिल राजभर, गन्ना विकास एवं चीनी मिलें राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेश राणा, अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, पुलिस महानिदेशक श्री ओ0पी0 सिंह, प्रमुख सचिव गृह श्री अरविन्द कुमार, प्रमुख सचिव समाज कल्याण श्री मनोज सिंह सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा बड़ी संख्या में शहीद जवानों के परिजन उपस्थित थे।

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