नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में रामजस कॉलेज के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने रामजस कॉलेज को उसके शताब्दी समारोह के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने पिछले 32 वर्षों से रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल पद को सुशोभित कर रहे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को इस अवसर पर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे ‘गुरु’ को सलाम करना हम सभी का परम कर्तव्य है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य महज नौकरी प्राप्त करना ही नहीं बल्कि ज्ञान अर्जित करना है। ज्ञान आधारित समाज आज एक जरूरत बनता जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि जबसे उन्होंने राष्ट्रपति का पदभार संभाला है, वे केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में एक आगंतुक के रूप में देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने पर जोर दे रहे हैं। वह लगातार इस बात को दोहरा रहे हैं कि उच्च शिक्षा के भारतीय विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान अधिक से अधिक नोबल पुरस्कार विजेताओं को पैदा क्यों नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों केवल दो वर्ष पहले तक देश के एक भी विश्वविद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान का नाम शीर्ष दो सौ अंतरराष्ट्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग में शामिल नहीं था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश में न तो प्रतिभाशाली छात्रों की और न ही शिक्षकों की कोई कमी है। हमें अपनी योग्यता के आधार पर राष्ट्रों के समुदाय में उचित स्थान प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने रामजस कॉलेज को भविष्य में और अधिक महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित करने के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने एक शताब्दी डाक टिकट और ‘रामजस के इतिहास’ पर एक स्मारिका का विमोचन किया।