नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने 50वें अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि सार्वभौमिक साक्षरता का लक्ष्य हासिल करना जनता की भागीदारी के बिना संभव नहीं है। हर कोई किसी एक को शिक्षित करे यानी ‘ईच वन, टीच वन’ के सिद्धांत का अनुसरण करके ही इस दिशा में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारत में आज भी अशिक्षित लोगों की बड़ी संख्या है। अब समय आ गया है कि हम सुलझाए जाने की आवश्यकता वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर गौर करें। शत प्रतिशत साक्षरता की स्थिति प्राप्त करने को बल प्रदान करने के लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि साक्षरता आंदोलन एक निरंतर चलने वाला चक्र है, क्योंकि इसमें लोगों को न सिर्फ साक्षर बनाने, बल्कि उन्हें साक्षर बनाए रखने के लिए निरंतर कार्यरत रहने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडे का कार्यान्वयन जारी रखने के अतिरिक्त यूनेस्को आजीवन शिक्षण की आधारशिला के रूप में साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए ‘साक्षरता के लिए वैश्विक गठबंधन’ भी प्रारंभ कर रहा है। उऩ्होंने कहा कि इन वैश्विक कदमों के अनुरूप भारत को अपने प्रयासों को मजबूत बनाने और उनमें तालमेल बैठाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर, निदेशक एवं भारत, भूटान, मालदीव और श्रीलंका में यूनेस्को के प्रतिनिधि श्री शिगेरू ओयागी तथा स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग में सचिव डॉ. सुभाष चंद्र खुंटिया शामिल थे ।