राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने गोवा के राजभवन में गोवा विश्वविद्यालय के 34 वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषण आज विश्व में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि गोवा विश्वविद्यालय नवोन्मेषण को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता(एआई) और डेटा विज्ञान जैसे क्षेत्रों में विश्व स्तरीय क्षमता विकसित करना आवश्यक है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि गोवा सरकार के उच्च शिक्षा निदेशालय के सहयोग से गोवा विश्वविद्यालय ‘समग्र शिक्षण और वर्चुअल ओरिएंटेशन के लिए डिजिटल इंटीग्रेटेड सिस्टम’ कार्यक्रम संचालित कर रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विभिन्न विभागों को समेकित करके अंतःविषयी अध्ययन को प्रोत्साहित करने के लिए गोवा विश्वविद्यालय के परिसर में विभिन्न स्कूल बनाए गए हैं। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप इस पहल के लिए गोवा विश्वविद्यालय की सराहना की और कहा कि इस विश्वविद्यालय में शिक्षा, अनुसंधान और नवोन्मेषण के लिए उत्कृष्टता का केंद्र बनने की असीम संभावनाएं हैं।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि गोवा विश्वविद्यालय ने ‘उन्नत भारत अभियान’ के तहत पांच गांवों को गोद लिया है जहां स्थिरता मॉडल को अपनाकर शीपियों और मशरूम की खेती की जा रही है। उन्होंने छात्रों में सामाजिक समावेशन और पर्यावरण संतुलन के बारे में संवेदनशीलता जाग्रत करने के लिए गोवा विश्वविद्यालय की टीम की सराहना की।
राष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह उनके जीवन का एक स्मरणीय क्षण है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो डिग्रियां अर्जित की हैं, वे उन्हें रोजगार पाने या व्यवसाय शुरू करने में मदद करेंगी लेकिन एक गुण जो उन्हें जीवन में बहुत आगे ले जा सकता है, वह है कभी हार न मानने का साहस। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा एक आजीवन प्रक्रिया है। निरंतर सीखने वाला, जीवन में अवसरों का लाभ उठाने के साथ-साथ चुनौतियों का सामना करने में भी सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि आज का युवा ही संकल्प काल में विकसित भारत का निर्माण करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे भारत को अधिक समृद्धि की ओर ले जाने के सपने को पूरा करेंगे।