देहरादून: दि इन्टीटयूशन ऑफ इन्जीनियर्स् (इंडिया), अभियन्ताओं की सर्वोच्च तकनीकी संस्था है जिसकी स्थापना वर्ष 1920 में हुई थी, तथा इस संस्था को 13 अगस्त 1935 में रॉयल चार्टर की उपाधी से सम्मानित किया गया था । संस्था का मुख्य उद्देश्य अभियन्ताओं को उच्च तकनीकी एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ साथ विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर सहयोग प्रदान करना है । केन्द्र एवं राज्य सरकारों को विकास कार्यो में तकनीकी सहयोग करना एवं परामर्श देना इस संस्था का एक उद्देश्य है । इस संस्था की सदस्यता Honorary, Corporate एंव Non-Corporate सदस्यों के रूप में प्रदान की जाती है। उत्तराखण्ड का सम्मलित करते हुए भारत वर्ष में संस्था के 125 सेन्टर तथा विदशांे में संस्था के 6 सेन्टर कार्यरत है। देहरादून स्टेट सेन्टर के अन्तर्गत दो लोकल सेन्टर आई.आई.टी. रूडकी तथा पन्तनगर विश्वविद्यालय में कार्यरत है । यह संस्था अभियन्त्रण क्षेत्र की 15 इजीनियरिगं शाखाओं का संचालन करती है तथा वर्तमान में संस्था के कारपाॅरेट सदस्यों की सख्ंया लगभग 7.00 लाख है । इस संस्था को विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ˝विज्ञान एवं तकनीकी˝ की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है । इस संस्था को World Federation of Engineering Organization तथा Federation of Engineering Institution in South & Central Asia की भी मान्यता प्राप्त है यह संस्था विश्व की समस्त “तकनीकी एवं वैज्ञानिक संस्थाओं” में अपनी पहचान रखती है ।
दि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया ) – आई0ई0आई0 की नेशनल कॉसिल में प्रैजीडेन्ट पद के चुनाव में उत्तराखण्ड के ई0 नरेन्द्र सिंह निर्वांचित हुए हैं । उत्तराखण्ड के चैयरमैन ई0 ए0के0 दिनकर ने बताया कि दिनांक 21 सितम्बर 2019 को मुम्बई में हुए राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में ई0 नरेन्द्र सिंह पूर्ण बहुमत के साथ निर्वाचित हुए । उन्होनें कहा कि श्री नरेन्द्र सिंह जी के प्रैजीडेन्ट पद पर निर्वाचित होने से राज्य के तकनीकी विकास में सहयोग मिलेगा । बताया गया कि श्री नरेन्द्र सिंह जी वर्ष 2004-06 में उत्तराखण्ड स्टेट सेन्टर के अध्यक्ष बने तथा वर्ष 2016 में नेशनल कॉसिल में वाईस- प्रैजीडेन्ट पद पर कार्यरत थे, तथा आज वे आई0ई0आई0 नेशनल कॉसिल में प्रैजीडेन्ट पद पर र्निवाचित हुये हैं ।
श्री नरेन्द्र सिंह देश एवं प्रदेश के जाने माने अभियन्ताओं में अपनी पहचान रखते हैं, कार्यो को समय से सम्पादित कराना उनकी प्राथमिकता रही है । टिहरी बांध परियोजना में विस्थापितों के पुर्नवास में श्री सिंह की विशेष भूमिका रही । लम्बी अवधि से लम्बित कार्य अर्थात 125 गांवों के पुर्नवास समय से पूर्ण कराते हुए, टिहरी बांध परियोजना का कार्य पूर्ण कराया । उन्हें अनेकों सरकारी, अर्ध सरकारी संस्थानों द्वारा उनके तकनीकी कार्यो के लिए सम्मानित किया गया ।
श्री नरेन्द्र सिहं जी ने अभियन्ता-बंधु, ”Life sketch of Bharat Ratna – Sir Mokshagundam Visvesvaraya” , “Traditional Irrigation System in India” & “Water Conservation & Management in India” नामक पुस्तकों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्पादित किया । तथा इसी वर्ष मार्च 2019 को टिहरी पुर्नवास पर आधारित पुस्तक “Rehabilitation and Resettlement -Tehri Dam and Other Major Hydro Power Projects In India (An Approach for Future)” का लेखन भी किया है जो अभियन्ता समुदाय के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण मानी जाती है। श्री नरेन्द्र सिहं जी के आई.ई.आई. के प्रैजीडेन्ट पद पर र्निवाचित होने पर उन्हें समस्त अभियन्ता समुदाय की ओर से हार्दिक बधाई।