नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में सिंचाई नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए आज एक बहुविध रणनीति अपनाने पर जोर दिया। कृषि, जल संसाधन, ग्रामीण विकास, वित्त, नीति आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय के शीर्ष अधिकारियों और वरिष्ठ मंत्रियों की एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री ने सिंचाई क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्थाओं, वित्तीय प्रबंधों और तकनीक के अनुप्रयोग जैसे विषयों पर पुनः ध्यान देने की बात कही, ताकि निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक व्यापक और अल्प अवधि की हो, जिसका तत्काल फायदा किसानों को मिल सके। श्री मोदी ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि सिंचाई क्षेत्र में होने वाले विस्तार को देश भर में विभिन्न प्रकार की फसलों के संबंध में आधुनिक एवं सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों जैसे बूंद एवं टपक सिंचाई प्रणाली (ड्रिप एंड स्प्रिंकलर) का विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल और देश में विभिन्न प्रकार की पारम्परिक सिंचाई पद्धतियों के व्यापक मूल्यांकन से जोड़ा जाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों में युवा शोध छात्रों को सिंचाई-नीति नियोजन प्रणाली में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंचाई योजनाओं को जिला स्तर पर बनाए जाने की जरूरत है और सिविल सेवा के युवा अधिकारियों को जिला स्तरीय सिंचाई योजनाएं पेश करने को कहा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से सामान्य से औसत बारिश की चुनौती को एक अवसर के रूप में लेने पर जोर दिया और देश में सिंचाई तालाबों के सृजन को बढ़ावा देने के गहन अल्प अवधि वाले प्रयासों की बात कही।
प्रधानमंत्री ने कुछ राज्यों में भू-जल के लगातार स्तर में कमी को रेखांकित करते हुए कहा कि इसकी वजह से फसलों की पद्धतियों में बदलाव जरूरी हो गया है। उन्होंने मक्का की फसल पर ध्यान केन्द्रित करने और इस फसल के साथ वाजिब कीमत जोड़ने के प्रयासों की बात कही, ताकि इसकी खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा हो सके।
इस बैठक में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती, ग्रामीण विकास मंत्री श्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह और कृषि राज्य मंत्री श्री संजीव बालियान उपस्थित थे।
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