नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में
आयोजित दलित उद्यमियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने अपने एक ‘मन की बात’ कार्यक्रम को याद किया, जहां उन्होंने लोगों से आह्वान किया था कि वे न केवल अपने अधिकारों के बारे में बात करें बल्कि अपने कर्तव्यों पर भी चर्चा करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां मौजूद दलित उद्यमियों ने न सिर्फ अपने कर्तव्यों की बात की बल्कि उनका सफलतापूर्वक निर्वहन भी किया।
डा. बाबासाहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, डा. अंबेडकर को व्यापक रूप से हमारे संविधान निर्माता के तौर पर याद किया जाता है, जबकि वह एक महान अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने डा. अंबेडकर के भारत के औद्योगिकीकरण की परिकल्पना का जिक्र करते हुए कहा कि दलित, जो खुद भूमिहीन हैं; केवल औद्योगीकरण के माध्यम से प्रगति कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वित्तीय समावेशन केंद्र सरकार के फोकस का मूल है, जो नौकरी चाहने वाले नहीं, नौकरी देने वाले तैयार करेगा। इस संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत दिए जा रहे ऋण का उल्लेख किया। उन्होंने पहली पीढ़ी के उद्यमियों के लिए उद्यम पूंजी निधि यानी वेंचर कैपिटल फंड का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने दलित उद्यमियों को आश्वासन दिया कि सरकार उनके लाभ के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस सभा में मौजूद सदस्यों की सफलता विपरीत परिस्थितियों का सामना करने वाले किसी दूसरे व्यक्ति को प्रेरित कर सकती है।
प्रधानमंत्री ने दलित उद्यमियों को पांच व्यावसायिक उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए।