नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि निजी क्षेत्र को यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके द्वारा उपलब्ध कराया गया उपचार न केवल सुविधाजनक हो, बल्कि किफायती भी हो।
उपराष्ट्रपति ने आज चेन्नई में रेनबो शिशु अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई की कि अस्पतालों को बच्चों को न केवल विशिष्ट बल्कि किफायती सुविधा भी उपलब्ध करानी चाहिए और यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी नवजात शिशु जीवित रहें, उनका पर्याप्त विकास हो और वे नवीन भारत के एक स्वस्थ्य सक्रिय नागरिकों के रूप में विकसित हों, उन्हें एक व्यापक राष्ट्रीय मिशन में भी योगदान देना चाहिए।
किसी भी देश की शासन प्रणाली में स्वास्थ्य देखभाल के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि बच्चों को स्वस्थ एवं प्रसन्न बचपन उपलब्ध कराना प्रत्येक भारतीयों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह अवश्य नोट किया जाना चाहिए कि बचपन बाद के वर्षों में किसी व्यक्ति के समग्र शारीरिक, भावनात्मक एवं सामाजिक कल्याण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बचपन के अनुभव का अगाध प्रभाव पड़ता है और यह भविष्य के लिए बुनियाद का निर्माण करता है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों की पौषणिक और भावनात्मक रूप से अच्छी देखभाल होती है, वे न केवल प्रसन्न होंगे बल्कि स्वस्थ भी बने रहेंगे।
भारत में शिशु मृत्यु दर के प्रमुख कारणों के रूप में पूर्व परिपक्वता एवं निम्न जन्म वजन, निमोनिया एवं डायरिया पर चिंता जताते हुए उन्होंने सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को अर्जित करने के लिए ठोस तरीके से प्रयासों में गति लाने की जरूरत पर बल दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2030 तक 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को प्रति हजार / 25 तक लाने के संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य टारगेट को अर्जित करने के लिए नवजातों एवं 5 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के लिए बचाव संबंधी तथा उपचारात्मक कदमों में बेहतरी लाने के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र दोनों की सहभागिता एवं सहयोग अनिवार्य है।
उपराष्ट्रपति ने निजी क्षेत्र से विशेष रूप से देश के ग्रामीण एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में आम लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल को किफायती एवं सुविधाजनक बनाने में सरकार के साथ साझेदारी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को अपनी सीएसआर गतिविधियों के एक हिस्से के रूप में केवल शहरी क्षेत्रों पर ही केन्द्रित नहीं होना चाहिए, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं स्थापित करनी चाहिए।
श्री नायडू ने कहा कि व्यक्तिगत स्तर पर स्वास्थ्य बीमा की मामूली पैठ परिवारों द्वारा अपनी जेब से अधिक खर्च करने की एक बड़ी वजह है। उन्होंने देश में जनसंख्या के स्वास्थ्य बीमा कवरेज को व्यापक रूप से विस्तारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित, तमिलनाडु के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री सी.विजय भास्कर, तमिलनाडु के मात्स्यिकी एवं मत्स्य विकास मंत्री श्री डी. जयकुमार, सांसद डॉ. जे. जयवर्द्धन एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।