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नाबालिग बच्चों की बरामदगी सर्वाेच्च प्राथमिकता के आधार पर की जाय

चैत्रनवरात्रि के अवसर कड़े सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: श्री जावीद अहमद पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक, प्रभारी जनपद/समस्त परिक्षेत्रीय उप महानिरीक्षक एवं जोनल पुलिस महानिरीक्षक, उ0प्र0 को परिपत्र द्वारा नाबालिग बालकों /बालिकाओं की बरामदगी सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर करने एवं अभियुक्तों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु निम्न निर्देश दिये गये हैंः-

  • जे0जे0 एक्ट के अन्तर्गत सभी 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नाबालिग मान कर कार्यवाही की जाये।
  • प्रत्येक खोये हुए बच्चों के प्रकरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट धारा-363 भा0द0वि0 के अन्तर्गत दर्ज की जाये। यदि शिकायतकर्ता का यह स्पष्ट आरोप है कि बच्चे का अपहरण किसी अपराध घटित करने के उद्देश्य से हुआ है, तो संदर्भित धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया जाये।
  • गुमशुदा बच्चों से सम्बन्धित अपराध स्पेशल रिपोर्ट केस माने जायें।
  • पूर्व निर्गत परिपत्रों के अनुसार समस्त कार्यवाही पूर्ण करने के पश्चात् भी अगर बच्चे की बरामदगी एवं अभियुक्तों की गिरफ्तारी 06 माह के अन्दर न हो तो विवेचना क्षेत्राधिकारी स्तर के अधिकारी को हस्तान्तरित की जाये और इस विवेचना का पर्यवेक्षण अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा किया जाये।
  • नये सिरे से क्षेत्राधिकारी के प्रयास किये जाने के पश्चात् भी यदि 03 माह तक बच्चे की बरामदगी नहीं हो पाती है तो ऐसे प्रकरण की समीक्षा जनपद के पुलिस अधीक्षक द्वारा स्वयं की जाये।
  • पुलिस अधीक्षक अपनी समीक्षा से यदि यह पाते हैं कि प्रकरण में किसी का कोई दोष नहीं है और पर्याप्त एवं सार्थक प्रयास किये जाने के बावजूद भी बच्चे की बरामदगी नहीं हो सकी हो तो भविष्य में विवेचना जारी रखने अथवा पतारसी/सुरागरसी जारी रखते हुए विवेचना बन्द करने के सम्बन्ध में निर्णय लेंगे।
  • आस-पास के जनपदों, जनपदों के थानों अथवा स्थानीय अभिसूचना इकाई अथवा जनता के किसी व्यक्ति से गुमशुदा बच्चों के सम्बन्ध में कोई सूचना प्राप्त होने पर सूचना को विकसित कर बच्चे को बरामद करने का प्रयास किया जाये।
  • पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रत्येक तीन माह में बरामद न हो सके बच्चों को ढूढ़ने हेतु अभियान चलाकर प्रयास किये जायें।
  • परिक्षेत्रीय पुलिस उप-महानिरीक्षक द्वारा प्रतिवर्ष कम से कम 03 बार गुमशुदा/अपहृत बच्चों के सम्बन्ध में जनपद स्तर पर की गयी कार्यवाही की गहन समीक्षा की जाये।
  • जोनल पुलिस महानिरीक्षक द्वारा वर्ष में 01 बार उपरोक्तानुसार समीक्षा की जाये।

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