मधुमेह का दिल के दौरे से गहरा संबंध है। हाल में किये गए अध्ययन से भी इस बात की पुष्टि हुई है। इस अध्ययन के बारे में मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्रीति शर्मा ने बताया, ”दिल के स्वास्थ्य पर मधुमेह के तीव्र प्रभाव को इस अध्ययन से अच्छी तरह से समझा जा सकता है जिसमें पाया गया है कि दिल के दौरे से पीडि़त लगभग आधे रोगियों में मधुमेह होता है और इन मरीजों में स्ट्रोक, पेरिफेरल आर्टरी डिजीज, हार्ट फेल्योर और एट्रियल फाइब्रिलेशन का अधिक खतरा होता है।
डॉ. प्रीति शर्मा ने बताया एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया में स्टेंट की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से मधुमेह रोगियों के लिए और सबसे अच्छा उपचार विकल्प स्टेंट का उपयोग करना है जिसमें 0 प्रतिशत एसटी दर्ज दी गई है और जो मधुमेह के साथ-साथ सीएडी से पीडि़त रोगियों समेत लगभग सभी रोगियों में उपयोग करने के लिए सबसे सुरक्षित है। सीएडी के साथ-साथ मधुमेह से पीडि़त रोगियों के प्रबंधन के लिए दवा से लेकर इंटरवेंशन प्रक्रिया तक कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यदि आपको मधुमेह है तो आप अपने रक्त ग्लूकोज के स्तर, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखें ताकि कोरोनरी हृदय रोग और अन्य कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के आपके जोखिम को कम करने में मदद मिल सके। समय के साथ मधुमेह में रक्त ग्लूकोज का उच्च स्तर रक्त वाहिकाओं और नसों को नुकसान पहुंचा सकता है जो हमारे दिल और रक्त वाहिकाओं को नियंत्रित करते हैं। जिस व्यक्ति को जितना लंबे समय तक मधुमेह होता है, उसे दिल की बीमारी होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। मधुमेह से पीडि़त लोगों में मधुमेह रहित लोगों की तुलना में कम उम्र में ही हृदय रोग होने की प्रवृत्ति होती है।
यह पाया गया है कि मधुमेह नियंत्रण का कोरोनरी धमनी रोग की गंभीरता से भी संबंध है। जिन मरीजों ने मधुमेह पर नियंत्रण नहीं रखा उनमें दिल के दौरे से पहले एचबीए 1 सी 9 से अधिक था, दिल में कई जगह रुकावट थी और एचबीए 1 सी 8 से कम वाले रोगियों की तुलना में अधिक गंभीर था।
दिल के दौरे से पीडि़त मधुमेह के रोगियों का उपचार के बाद की जटिलताओं को रोकने के लिए सावधानीपूर्वक इलाज किया जाना चाहिए क्योंकि मधुमेह स्वस्थ होने की प्राकृतिक प्रक्रिया में देरी करता है।