नई दिल्ली: पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोकशिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि भारत के परमाणु कार्यक्रम की विशाल सामाजिक प्रासंगिकता है जो विशेष रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। वे आज तमिलनाडु में कलपक्कम स्थित भारत के प्रमुख परमाणु ऊर्जा संयंत्र की एक दिवसीय यात्रा के अवसर पर देश के बड़े परमाणु वैज्ञानिकों से बातचीत कर रहे थे। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने याद किया कि आज से ठीक 60 वर्ष पहले वर्ष 1954 में महान दृष्टा वैज्ञानिक श्री होमी भाभा ने तमाम दिक्कतें होने के बावजूद मुम्बई में भाभा परमाणु केन्द्र की स्थापना की थी। आज उस पहल के हीरक जयंती वर्ष में हमारे लिए यह उपयुक्त समय है कि हम “शांति और मानवता के लिए परमाणु ऊर्जा” के उद्देश्य के प्रति अपने को फिर समर्पित करें। उन्होंने कहा कि इस सिद्धांत को भारत के परमाणु अभियान के संस्थापकों ने प्रतिपादित किया था।
सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री के विभिन्न विदेशी दौरों में यूरेनियम और तकनीकी ज्ञान के आदन-प्रदान के संबंध में तमाम महत्वपूर्ण निर्णय किये गए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विज्ञान के प्रति स्वभाविक झुकाव है और वे वैज्ञानिक कार्यक्रमों की प्रगति में व्यक्तिगत रुचि लेते हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह घोषणा की कि नई दिल्ली स्थिति प्रगति मैदान में ‘परमाणु ऊर्जा भुवन’ स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे भारत के परमाणु कार्यक्रम को दिशा देने में सहायता मिलेगी और इससे आम जनता को यह जानकारी प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी कि भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग ने क्या उपलब्धियां अर्जित की हैं।
मंत्री महोदय ने यह जानकारी दी कि सरकार हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में परमाणु ऊर्जा संयंत्र उपयोगिता पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि विदेशों में बसे प्रवासी भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों को भी भारत लौटने और देश सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।