19 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को एक्सडीजी 2045 के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम करना चाहिए: भूपेन्दर यादव

देश-विदेश

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्दर यादव ने आज दुबई में विश्व सरकार शिखर सम्मेलन (वर्ल्ड गवर्नमेंट्स समिट), 2025 में ‘एक्सडीजी 2045’ मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन के दौरान वैश्विक नेताओं और विद्वानों की सभा को संबोधित किया। उन्होंने सतत विकास के लिए भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लिए प्रतिबद्धता और 2047 तक विकसित भारत के लिए देश की महत्वाकांक्षा पर आधारित है।

अपने वक्तव्य की शुरुआत करते हुए मंत्री ने सभा को एसडीजी के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया और इस दिशा में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “हमने विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण प्रगति की है। भारत अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का तेजी से विस्तार कर रहा है और हम पहले से ही सौर ऊर्जा में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हैं और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों, इलेक्ट्रिक वाहनों और जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहे हैं। हालाँकि, मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता की हानि गंभीर चुनौतियाँ बनी हुई हैं और दुनिया के विकास के दृष्टिकोण में परिवर्तनकारी बदलाव के बिना इन्हें दूर नहीं किया जा सकता है।

‘कार्यान्वयन के साधन’ के महत्वपूर्ण मुद्दे पर, श्री यादव ने बताया कि एसडीजी को प्राप्त करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए, विकसित देशों द्वारा किए गए वादे से काफी कम हैं। अनेक प्रतिज्ञाओं के बावजूद, विकासशील देशों में वित्तीय प्रवाह जलवायु अनुकूलन, शमन और जैव विविधता संरक्षण की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त रहा है।

मंत्री ने विकासशील देशों में उचित परिवर्तन, जलवायु अनुकूलन वित्त और जैव विविधता संरक्षण के लिए अतिरिक्त वित्त पोषण की वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विकसित देशों की विफलता के बारे में भारत की गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पर्याप्त वित्तपोषण के बिना, कई राष्ट्र, विशेष रूप से सबसे अधिक कमजोर और संवेदनशील राष्ट्र, ऋण के बोझ का सामना करते हैं जो सतत विकास को आगे बढ़ाने की उनकी क्षमता को खतरे में डालता है। श्री यादव ने एक बार फिर विकसित देशों से अपने वित्तीय वादों को पूरा करने और इस अंतर को कम करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया, क्योंकि दुनिया 2030 के अंतिम पड़ाव पर पहुंच रही है।

भारत का सतत विकास का विचार समानता, न्याय और प्रकृति के साथ सद्भाव को बढ़ावा देता है, इस बारे में मंत्री ने कहा, “2047 को देखते हुए, जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, विकसित भारत के लिए हमारा दृष्टिकोण केवल आर्थिक विकास से परे है। हम ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जो न केवल विकसित हो बल्कि हरा-भरा, लचीला और समावेशी भी हो।” उन्होंने कहा कि इस भविष्य का मार्ग इस विश्वास में निहित है कि मानव समाज और प्रकृति को सामंजस्यपूर्ण रूप से सह-अस्तित्व में रहना चाहिए। उन्होंने कहा, यहीं पर भारत का एलआईएफई (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) मिशन बहुत प्रासंगिक हो जाता है, जो व्यक्तिगत, समुदाय और राष्ट्रीय स्तर पर स्थिरता को अपनाने वाली ग्रह-समर्थक जीवन शैली को बढ़ावा देता है, यह सुनिश्चित करता है कि हम आज जो विकल्प चुनते हैं वह बेहतर कल में योगदान करते हैं।

भारत की विकास रणनीति से संकेत लेते हुए, श्री यादव ने प्रस्ताव दिया कि विश्व को हरित विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए वनीकरण, टिकाऊ कृषि और हरित बुनियादी ढांचे के लिए ठोस प्रयास जारी रखना चाहिए ताकि विकास पर्यावरण के साथ सामंजस्य में हो। उन्होंने कहा, “हमें जलवायु लचीलेपन में निवेश जारी रखना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि समुदाय जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर सकें।”

मंत्री ने सभा को याद दिलाया कि चूंकि दुनिया साझा लक्ष्यों का अनुसरण करती है, इसलिए यह स्‍मरण रखना चाहिए कि भविष्य आंतरिक रूप से सहयोग और सहयोग से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम की भावना को एक्‍सडीजी 2045 के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम करना चाहिए। मंत्री ने कहा “एक्‍सडीजी 2045 को वास्तव में सफल होने के लिए, केवल समझौतों या घोषणाओं का सेट नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे वैश्विक आंदोलन होना चाहिए जो  न्याय, समावेशिता और साझा प्रगति के सिद्धांतों पर आधारित हो। यही कारण है कि वसुधैव कुटुंबकम को हमारे सहयोग के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम करना चाहिए, जो हमें विश्वास, पारस्परिक लाभ और आम भलाई के लिए अटूट प्रतिबद्धता पर आधारित साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करेगा। केवल इस विश्वदृष्टिकोण को अपनाकर ही हम ऐसे सामंजस्यपूर्ण और टिकाऊ भविष्य का निर्माण कर सकते हैं, जहां कोई भी पीछे नहीं रहेगा और सभी देश आगे बढ़ने के लिए सशक्त होंगे।”

संबोधन के अंत में श्री यादव ने विश्व नेताओं को ऐसी दुनिया बनाने के लिए सीमाओं और क्षेत्रों के पार मिलकर काम करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए अधिक समावेशी, टिकाऊ और समृद्ध हों, गरीबी को खत्म करे और किसी को भी पीछे न छोड़ें। उन्होंने कहा कि भारत इस सामूहिक प्रयास में अपने विचारों, नवाचारों और कार्यों में योगदान देने के लिए तैयार है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More