लखनऊ: भारतीय समाज में वृद्धजनों की बड़ी अहमियत होती है। वृद्धजन समाज और परिवार की धरोहर होते हैं। उनके कार्य और अनुभव सामाजिक संरचना को आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं। वृद्धजन परिवार और समाज की सदियों से चली आ रही परम्परा, संस्कृति को आने वाली पीढ़ी को सौंपते हैं। समाज को एकता के सूत्र में बांधे रखना वृद्धजनों का महत्वपूर्ण कार्य होता है। वृद्धजन परिवार के मुखिया होने के साथ-साथ पारिवारिक आर्थिक प्रगति के सलाहकार एवं अगली पीढ़ी के प्रेरणास्रोत भी होते हैं। वृद्धो का समाज में सम्मान और स्वाभिमान बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि वे आत्मनिर्भर बने रहे। आज समाज में यह देखने को मिल रहा है कि गरीबी के कारण कई वृद्धों की स्थिति अच्छी नहीं है। उनके आश्रित स्वयं गरीबी में जीने के कारण उनकी अच्छी तरह देखभाल नहीं कर पाते। समाज में अधिकांश वृद्ध, असहाय निराश्रित और गरीब होते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीबी रेखा के नीचे जीने वाले, असहाय, निराश्रित, 60 वर्ष से ऊपर के वृद्धजनों को 500 रुपये प्रतिमाह की दर से पेंशन देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है ताकि वे अपना गुजारा अच्छे से कर सके। क्यों कि आय का कोई साधन न होने से बहुत से वृद्धजनों का गुजर-बसर ठीक से नहीं हो पाता था। प्रदेश सरकार वृद्धों की सहायता के लिए वृद्धावस्था पेंशन योजना चलाकर उन्हें लाभान्वित कर रही है। इस योजना से लाभान्वित होने के लिए 60 वर्ष से अधिक उम्र के गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले, उ0प्र0 के मूल निवासी पात्र है। इस योजना के अंतर्गत लाभ लेने के लिए आॅनलाइन आवेदन करना पड़ता है, जिसमें स्थाई निवास, आयु का प्रमाण, आधार कार्ड, बैंक खाता नम्बर, आय प्रमाण पत्र देना होता है। जांचोपरान्त पेंशन स्वीकृत हो जाती है और संबंधित वृद्ध के बैंक खाते में एक वर्ष में 06-06 माह पर दो बार पेंशन सरकार द्वारा भेजी जाती है।
प्रदेश सरकार वृद्धों के पेंशन के साथ-साथ वृद्धाआश्रम भी बनवा रही है। वर्तमान सरकार ने वृद्धों को सहायता/पेंशन देने के लिए जांच करवाई थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि पिछली सरकार की तुलना में वर्तमान सरकार ने 10.44 लाख से अधिक पात्र वृद्धजनों को इस योजना से लाभान्वित कर रही है। प्रदेश सरकार वर्ष 2019-20 में प्रदेश में 46.96 लाख से अधिक वृद्धजनों को 500 रुपये प्रतिमाह की दर से पेंशन दे रही है। सरकार की इस कल्याणकारी योजना से लाभान्वित होकर वृद्धजन आत्मनिर्भर एवं खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।