लखनऊ: राज्य सरकार 01 अक्टूबर से प्रदेश में शुरू होने वाली धान खरीद में किसानों को सर्वाधिक लाभ पहुंचाने जा रही है। इसके लिए सप्ताह के 04 दिन (सोमवार से गुरुवार) एक किसान से अधिकतम 50 कुंटल और बचे 02 दिन (शुक्रवार व शनिवार) 50 कुंटल से अधिक धान खरीदेगी। छोटे किसानों को धान बेचने में असुविधा न हो इसके लिए हफ्ते के चार दिन 50 कुंटल तक धान खरीद तय की गई है। जबकि 50 कुंटल से अधिक धान बेचने वालों के लिए दो दिन निर्धारित किये गये हैँ। इसपर क्रय केन्द्रों पर एक साथ ज्यादा भीड़ भी नहीं होगी और किसानों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। गेहूं खरीद के दौरान किसानों को समय से भुगतान न कर पाने और तौल या भुगतान में घालमेल करने वाली एजेंसियों पर भी सरकार ने कार्रवाई की है। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने ऐसी एजेंसियों को खरीद की प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। इनमें कुछ एफपीओ भी शामिल हैं।
पिछली सरकारों के मुकाबले किसानों के चेहरों पर मुस्कान बिखरने वाली प्रदेश सरकार ने साढ़े 4 सालों में खरीद के पुराने रिकार्डों को तोड़ एक मिसाल पेश की है। इस वर्ष भी प्रदेश सरकार बड़ी तैयारी के साथ एक नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रही है। राज्य सरकार की तैयारी खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान खरीद में नया रिकार्ड बनाने की है। सरकार का लक्ष्य इस बार 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का है। इसको प्राप्त करने के लिए वो कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। धान खरीद में किसानों की सुविधा को देखते हुए उसने कई नई व्यवस्थाएं की हैं। बता दें कि पिछले साल सरकार ने 66 मीट्रिक टन धान की खरीद की थी। किसानों से खरीदे गये धान की गुणवत्ता प्रभावित न हो इसके लिए भी विभिन्न सुरक्षा इंतजाम किये गये हैं। क्रय केन्द्रों पर अस्थायी रूप से भण्डारित धान को पॉलीथीन, त्रिपाल से ढककर सुरक्षित रखने के लिए कहा गया है, जिससे बर्बादी न हो। राज्य सरकार ने स्प्ष्ट किया है कि हर किसान से खरीद की जाएगी। सभी किसान अपने आवश्यक दस्तावेज के साथ क्रय केन्द्रों पर धान बेच सकेंगे। सरकार ने साफ किया है कि किसान किसी भी प्रकार की अफवाह या भ्रामक सूचनाओं में न फंसे।
क्रय केन्द्रों पर प्रत्येक सप्ताह में किसी भी दिन औचक निरीक्षण करेंगे डीएम
धान खरीद की व्यवस्था को पारदर्शी और सरल बनाने में लगी राज्य सरकार ने सभी 75 जिलों के जिलाधिकारियों को प्रत्येक सप्ताह क्रय केन्द्रों का औचक निरीक्षण करने के निर्देश दिये हैं। प्रत्येक जिले में क्रय केन्द्रों पर जिलाधिकारी की जिम्मेदारी यह देखने की होगी कि धान की खरीद वास्तविक किसानों से की गई है या नहीं। त्वरित आधार सत्यापन में अनियमितता पाए जाने पर उनको दोषी केन्द्र प्रभारियों के खिलाफ कार्रवाई के भी अधिकार होंगे।