लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के निर्देशों के क्रम में राज्य सरकार द्वारा नेपाल में आए भूकम्प पीडि़तों को राहत पहुंचाने का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने वाले विभागों को हाई एलर्ट पर रहने, राहत शिविरों के गठन, संचालन एवं प्रबन्धन तथा इच्छुक संस्थाओं/व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध करायी जा रही राहत सामग्री एवं आर्थिक सहायता को भेजने के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
भूकम्प पीडि़तों की जरूरतों के मुताबिक टेण्ट, गद्दे, तिरपाल, कम्बल, पानी शुद्धिकरण की दवाइयां, स्वच्छता किट, बर्तन आदि को राहत सामग्री के रूप में वरीयता देते हुए भेजा जा रहा है।
यह जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि राहत सामग्री के रूप में अब तक सोनौली इण्डो-नेपाल बार्डर होते हुए कुल 1,196 ट्रक राहत सामग्री भेजी गयी है, जिसमें 512 ट्रक में खाद्य सामग्री (चावल, दाल, आटा, आलू, प्याज, नमक इत्यादि), 234 ट्रक बिस्कुट एवं अन्य ड्राई फूड, 12 ट्रक मैगी/नूडल्स इत्यादि, 104 ट्रक मिनरल वाटर, 38 ट्रक दवाइयां/क्लीनिकल सामग्री, 180 ट्रक कम्बल/ तिरपाल/टेण्ट, 17 ट्रक बर्तन, 10 ट्रक गद्दे, 05 ट्रक कपड़े तथा 84 ट्रक जिनमें ट्रांसफार्मर/इलेक्ट्रिकल उपकरण शामिल हैं। इसके साथ ही, 65,739 कम्बल, 56,120 तिरपाल/प्लास्टिक शीट्स, 8,583 तौलिए, 17,978 चटाई, 2,931 टार्चें तथा 2,850 सोलर लालटेनें भी भेजी गयी हंै।
प्रवक्ता के अनुसार परिवहन निगम की बसों से काठमाण्डू एवं भैरहवा/सोनौली से अब तक 12,316 भूकम्प पीडि़तों को गोरखपुर लाया गया है। अन्य साधनों से सोनौली वापस आए 8,327 भूकम्प पीडि़तों को शामिल करते हुए लगभग 20,643 भूकम्प पीडि़त विभिन्न साधनों से अपने गंतव्य को प्रस्थान कर चुके हैं।
राज्य सरकार द्वारा सीमावर्ती जनपदों-बहराइच (रुपईडीहा), सिद्धार्थनगर (बढ़नी), महराजगंज (सोनौली), बलरामपुर-नेपाल सीमा (कोइलाबासा-नेपाल) स्थित सीमा चैकियों पर राहत शिविर स्थापित किए गए थे, जिसमें रुपईडीहा एवं कोइलाबासा स्थित शिविर की आवश्यकता न होने के कारण अब यह संचालित नहीं हैं। नेपाल से आ रहे भूकम्प पीडि़त शरणार्थियों एवं राहत सामग्री के अनुश्रवण एवं समन्वयन हेतु राहत शिविर वर्तमान में मुख्यतः सोनौली (महराजगंज) में संचालित है।