लखनऊः उत्तर प्रदेश में ड्रोन के उपयोग को और अधिक व्यावहारिक व सुगम बनाये जाने के उद्देश्य से पुलिस महानिदेशक मुख्यालय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन अपर मुख्य सचिव, गृह, अपर मुख्य सचिव, औद्योगिक विकास एवं पुलिस महानिदेशक की उपस्थिति में किया गया। पुलिस विभाग के अलावा प्रदेश के अन्य विभागों में भी ड्रªोन तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दिया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, गृह की अध्यक्षता में गठित ‘‘ड्रªोन टास्क फोर्स’’ द्वारा ड्रोन के रेगुलेशन, मैनुफैक्चरिंग एवं मैनपावर को प्रशिक्षित किये जाने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम/नियमावली तैयार की जा रही है। इस टास्क फोर्स में पुलिस महानिदेशक व अपर मुख्य सचिव, औद्योगिक विकास के अलावा राजस्व, उद्योग, प्राविधिक शिक्षा, सूक्ष्म, लद्यु एवं मध्यम उद्यम विभाग, नागरिक उड्डयन, पुलिस महानिदेशक (लाजिस्टिक), आई0आई0टी0 कानपुर (तकनीकी विशेषज्ञ) व अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि शामिल है।
पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय पर आज सम्पन्न इस कार्यशाला में ड्रªोन निर्माण से जुड़ी देश की लगभग एक दर्जन कम्पनियों के प्रतिनिधियों द्वारा इस दिशा में अपनायी जा रही तकनीक, उनके द्वारा किये जा रहे विभिन्न प्रकार के ड्रªोन निर्माण, उपयोग व उसके संचालन की प्रक्रिया, कार्य अवधि व अन्य तकनीकी जानकारी से सम्बन्धित बिन्दुओं पर विस्तार से जानकारी दी गयी।
प्रस्तुतीकरण के दौरान डिसास्टर मैनेजमेट के क्षेत्र में की गयी कार्यवाही, बिहार में शराब बंदी के सम्बन्ध में नाइट विजन डिवाइस के उपयोग से मिली सफलता, कृषि कार्यो में कीटनाशक दवाओं के स्प्रे, भारत सरकार के सहयोग से मिलकर विभिन्न प्रकार के सर्वे, जिओ मैपिंग के क्षेत्र में की गयी प्र्रगति, मेलों के दौरान भीड़ नियंत्रण के प्रयासों, सघन पेट्रªोंलिग, अर्बन प्लानिंग, भारत सरकार की स्वामित्व योजना के क्षेत्र में की गयी कार्यवाही, हाइवे पर सव्रिलांस आदि देश के विभिन्न क्षेत्रों यथा पुलिस, रक्षा, राजस्व, कृषि आदि क्षेत्रों में किये गये विभिन्न क्रियाकलापों की विस्तार से जानकारी भी प्रस्तुत की गई। शासन इन कंपनियों से अपेक्षा की गयी है कि वे जैम पोर्टल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराये।
इस टास्क फोर्स द्वारा उत्तर प्रदेश में ड्रªोन तकनीक का विभिन्न क्षेत्रों मे उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में आने वाली कठिनाईयों पर विचार विमर्श कर कार्ययोजना/नियमावली बनाकर प्रस्तुत की जायेगी। वर्तमान में पुलिस विभाग में छापे के दौरान अपराधियों के छिपे होने के स्थानों का पता लगाने, त्यौहार, मेला, बीट प्रबन्धन, एरियल सर्वे, जियो मैपिंग, अर्बन प्लानिंग आदि में ड्रªोन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
शासन द्वारा प्रदेश के प्रत्येक जनपद मंे पुलिस विभाग को ड्रªोन उपलब्ध कराये गये है, जिसका अब सर्किल स्तर पर विस्तार किया जाना है। इसके अलावा अग्निशमन कार्यो, कृषि, स्वास्थ्य, आपदा प्रबन्धन, राजस्व आदि विभागों द्वारा भी ड्रªोन तकनीकी का उपयोग किया जाना है। प्रदेश के एक्सप्रेस वे पर भी यातायात प्रबन्धन, वाहनों की गति नियंत्रण आदि में भी ड्रªोन तकनीक का उपयोग किये जाने की योजना बनायी गयी है। ड्रªोन तकनीक के द्वारा गंभीर मरीजों को जीवन रक्षक दवाइया उपलब्ध, वैक्सीन व सुदूरस्थ क्षेत्रों में जरूरी वस्तुएं पहुचाना भी संभव हो सकेगा।
अपर मुख्य सचिव, औद्योगिक विकास, श्री अरविन्द कुमार द्वारा उनके विभाग में इस तकनीकी का उपयोग किये जाने से सम्बन्धित विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तार से जानकारी दी गयी। उन्होंने राज्य सरकार की इंडस्ट्रिªयल पालिसी, स्टार्टअप पालिसी व औद्योगिक गलियारा योजना आदि बिन्दुओं पर विस्तुत जानकारी देते हुए कंपनियों का आहवाहन किया कि वे डिफंेस कारिडोर में अपनी इकाई की स्थापना कर प्रदेश के विकास में अपना योगदान दे, जिसमें राज्य सरकार द्वारा उन्हे समुचित सहयोग दिया जायेगा।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव, व्यावसायिक व कौशल विकास, श्री अमृत अभिजात, सचिव, राजस्व, रनवीर प्रसाद, पुलिस महानिदेशक, लाजिस्टिक, श्री वी0के0 मौर्या, अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था, श्री प्रशान्त कुमार सहित पुलिस विभाग व अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।