लखनऊ: प्रदेश सरकार ने प्रदेशवासियों को निर्वाध एवं सुलभ बिजली उपलब्ध कराने के लिए विद्युत उत्पादन इकाइयों की क्षमता बढ़ाने तथा उत्पादन लागत घटाने की कार्ययोजना पर कार्य कर रही है। इससे वर्तमान में विद्युत उत्पादक इकाइयों का प्लांट लोड फैक्टर बढ़कर 78.83 प्रतिशत हो गया है और विद्युत उत्पादन लागत में भी 3.11 रुपये प्रति यूनिट तक की कमी लायी जा चुकी है। इस कमी से उ0प्र0 पावर कारपोरेशन को 933 करोड़ रुपये की बचत हुयी।
ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकांत शर्मा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में औसत विद्युत आपूर्ति इस समय बढ़कर 438 मिलियन यूनिट प्रतिदिन तक पहुँच गयी है। प्रदेश की उच्चतम मांग 22,500 मेगावाट की पूर्ति में कोई बाधा नही आयी तथा आने वाले समय में इस मांग के और बढ़ने की कार्ययोजना पर पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य किया जा रहा है। इसके लिए 660 मेगावाट की मेजा तापीय परियोजना तथा 660 मेगावाट की टाण्डा तापीय परियोजना की 02 इकाइयों के इसी वर्ष पूर्ण होने से 1980 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी।
इसी प्रकार वर्ष 2020 में 660 मेगावाट की मेजा तापीय परियोजना, 660 मेगावाट की ही हरदुआगंज तापीय बिस्तार परियोजना तथा 660 मेगावाट की घाटमपुर तापीय परियोजना के पूर्ण होने से प्रदेश में 1980 मेगावाट विद्युत क्षमता में वृद्धि होगी। वर्ष 2021 में 660 मेगावाट की ओबरा तापीय विस्तार परियोजना की 02 इकाइयां, 660 मेगावाट की जवाहरपुर तापीय परियोजना की 02 इकाइयां, 660 मेगावाट की ही घाटमपुर तापीय परियोजना की 02 इकाइयों के पूर्ण हो जाने से 3960 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। इसी प्रकार वर्ष 2022 में 660 मेगावाट की पनकी ताप विस्तार परियोजना के पूर्ण होने की संभावना है। इससे प्रदेश में वर्ष 2022 तक 8580 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी।